बारिश में क्यों होता है कुछ बच्चों को कान में दर्द, एक्सपर्ट से जानिए

अगर बच्चे के कान में दर्द महसूस हो रहा है तो उसकी वजह पता लगाने की कोशिश करें। परेशानी ज्यादा लगे तो फौरन बाल रोग विशेषज्ञ से सलाह लेकर बच्चे की दवा कराएं। 

 
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हमारे शरीर में पांच सेंस ऑर्गन्स होते हैं, जिनकी बदौलत हम अपने आसपास की चीजें देखने, सुनते-समझते और महसूस करते हैं। ये ऑर्गन्स हैं आंख, कान, नाक, जीभ और स्‍पर्श। ये सभी सेंसेज अहम हैं और इनकी स्पेशल केयर की ज़रूरत होती है। और अगर बात आपके शिशु की हो तो उसकी देखभाल करना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि नवजात शिशु और बच्‍चों में इन अंगों की देखभाल करने की क्षमता नहीं होती है।

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आज हम बात करेंगे बच्चों के कान में होने वाले दर्द की। अगर आपका बच्चा रह-रहकर कान में दर्द की बात कह रहा है या इसका संकेत दे रहा है तो इसके पीछे ये कारण हो सकते हैं-

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  • टॉन्सिल के आसपास के हिस्सों एडेनॉएड्स में सूजन आने के कारण कान में दर्द हो सकता है। यह ऑर्गन बच्चों के शरीर में बैक्‍टीरिया और वायरस को आने से रोकता है। वैसे किसी चोट या इंफेक्‍शन की वजह से एडेनॉएड्स में सूजन आ सकती है। ये प्रॉब्लम आमतौर पर 2 से 5 साल के बच्‍चों में नजर आती है।
  • कुछ बच्चे एयरप्रेशर में बदलाव आने की वजह से कान में दर्द महसूस करते हैं। सड़क पर चलने के दौरान, हिल स्‍टेशन पर चढ़ाई या हवाईजहाज के उड़ान भरने के दौरान बच्‍चे को कान का दर्द हो सकता है। कुछ बच्चों में इस दौरान इयर इंफेक्‍शन की समस्या भी देखने को मिलती है।
  • कुछ बच्चों में कान में इंफेक्‍शन अधिक म्‍यूकस बनने के कारण भी हो जाता है। म्‍यूकस के कारण कान की ग्रंथियां ब्‍लॉक हो जाती है। इस स्थिति में आप बच्चे को तुरंत किसी बाल रोग विशेषज्ञ को दिखाएं।
  • यह भी देखने में आता है कि बच्चों को ब्रेस्टफीड नहीं कराने पर भी उन्हें कान का दर्द महसूस होता है। दरअसल ब्रेस्टफीड नहीं कराने पर बच्चों की इम्यून पावर कमजोर रहती है, जिससे बच्चों को इन्फेक्शन हो जाता है। वहीं ब्रेस्टफीड कराने पर यह दर्द ठीक भी हो जाता है।
  • स्मोकिंग बड़ों के लिए नुकसानदेह है और बच्चों को यह और भी ज्यादा नुकसान पहुंचाती है। बच्चों के कोमल अंग सिगरेट के धुएं से बुरी तरह प्रभावित होते हैं। यही कारण है कि सिगरेट के धुएं के असर से कुछ बच्चों को कान में तेज दर्द महसूस होता है। वहीं लंबे समय तक स्मोकिंग के संपर्क में रहने पर बच्चे की सुनने की क्षमता भी प्रभावित हो सकती है।

क्या कहते हैं चाइ्ल्ड स्पेशलिस्ट

डॉक्टर बिजेंद्र सिंह, कंसल्टेंट पीडिट्रीशियन, मैक्स हॉस्पिटल वैशाली बताते हैं, 'बारिश में गले में इन्फेक्शन की वजह से फंगल इन्फेक्शन हो सकता है। इन्फेक्शन बैक्टीरियल या फंगल, तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। कई बार बच्चों की मम्मी उनके कान में तेल डाल देती हैं, केमिस्ट या जानने वालों की सलाह पर इयर ड्रॉप डाल देती हैं, ऐसा बिल्कुल नहीं करें। बच्चे के कान में अपनी तरफ से कुछ भी चीजें ना डालें। ऐसा इसलिए क्योंकि तेल डाल देने पर कान के अंदर के हिस्से का एक्जामिनेशन सही तरीके से नहीं हो पाता। कान के भीतर के हिस्से में कलर से डॉक्टर किसी तरह की परेशानी का अंदाजा लगा लेते हैं, लेकिन तेल और ड्रॉप आदि डालने से उन्हें एक्जामिनेशन में परेशानी हो सकती है। सिर्फ यही नहीं, बिना डॉक्टरी सलाह के दवाएं लेने से इयरड्रम की समस्या बढ़ सकती है। कान ब्रेन के बिल्कुल नजदीक होता है, इसीलिए इसमें किसी तरह का दर्द होने पर उसे डॉक्टर को दिखाने में लापरवाही नहीं करें, क्योंकि देरी से इयर ड्रम को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है।'
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