हमारे लाडले में हमारी जान बसती है। बच्चे की उछलकूद और शरारतों से घर आबाद रहता है। बच्चा स्वस्थ रहें तो वे खूब खेलते हैं और उनके साथ परिवार के सभी लोग खुश रहते हैं। इसके लिए बच्चे की डाइट पर खास ध्यान देने की जरूरत है। बच्चे की ओवरऑल हेल्थ के लिए पौष्टिक और संतुलित आहार जरूरी है। बच्चे की डाइट में कौन-कौन से तत्व होने चाहिए और उनकी अहमियत क्या है, इस बारे में जानने से हम अपने बच्चे के खानपान में बखूबी सुधार ला सकते हैं। अगर बच्चे को खाने से पोषक तत्व नहीं मिल रहे, तो इससे उनके शारीरिक विकास पर असर पड़ सकता है; कमजोरी और थकान से लेकर बड़े होने पर गंभीर बीमारियां तक हो सकती हैं। आइए संपूर्ण और पौष्टिक आहार के बारे में विस्तार से जानें, जिससे आप अपने बच्चे की सेहत का पूरा ध्यान रख सकें-
संपूर्ण आहार में उम्र के हिसाब से शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्व, विटामिन और मिनरल शामिल होते हैं। इस डाइट को लेने से शरीर के सभी अंग सुचारु रूप से काम करते हैं। यूं तो हर इंसान अलग होता है और उसकी शारीरिक जरूरतें भी अलग होती हैं। लेकिन अगर मूलभूत जरूरतों की बात करें तो शरीर के लिए मुख्य रूप से कार्बोहाइट्रेड्स, प्रोटीन, फैट, विटामिन, मिनरल और रेशयुक्त भोजन की जरूरत होती है। बचपन से लेकर बड़े होने तक विकास की विभिन्न अवस्थाओं से गुजरते हुए शरीर को अलग-अलग तरह के पोषक तत्वों की खासतौर पर जरूरत होती है।
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डायटीशियन सुजाता गुप्ता बताती हैं,
'बचपन से लेकर टीनेज में पहुंचने तक बच्चों के विकास की रफ्तार सबसे तेज होती है। ऐसे में बच्चों के लिए आयरन से भरपूर अनाज, टोफू, लेग्यूम्स, लेंटिल्स और फल अच्छे रहते हैं। जहां तक प्रीस्कूलर बच्चों की बात है, तो इस अवधि में कुछ बच्चों के विकास की गति थोड़ी धीमी नजर आती है, क्योंकि वे खाना खाने में नखरे करते हैं। इस टाइम पीरियड में बच्चों में शारीरिक बदलाव तेजी से होते हैं, इसीलिए उनकी डाइट पर ध्यान देने की खास जरूरत होती है। भोजन की सही खुराक नहीं मिलने से बच्चों के मानसिक विकास पर असर पड़ सकता है, उन्हें ध्यान केंद्रित करने में परेशानी या फिर मोटापे की समस्या सकती है। और इसी वजह से बाद में उन्हें डायबिटीज, हार्ट डिजीज, जोड़ों के दर्द जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।'
इस उम्र में सही खुराक से बच्चा रोजाना की अपनी गतिविधियों में पूरी तरह सक्रिय रहता है। बचपन और किशोरावस्था में कुछ खास तत्वों का भोजन में शामिल होना जरूरी होता है-
कैल्शियम: हड्डी और दांतों के विकास के लिए कैल्शियम पर्याप्त मात्रा में लेना जरूरी होता है। टीनेज में शरीर की हड्डियों में 30 फीसदी मिनरल्स का जमाव हो जाता है और 18 वर्ष की आयु तक पहुंचते-पहुंचते 90 फीसदी तक एक व्यस्क का शारीरिक ढांचा तैयार हो चुका होता है। इस अवधि में कैल्शियम की सही खुराक नहीं मिलने से भविष्य में ऑस्टियोपोरोसिस होने की आशंका बढ़ जाती है।
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आयरन: मस्तिष्क, शरीर के संपूर्ण विकास और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए पर्याप्त मात्रा में शरीर को आयरन की खुराक मिलना जरूरी होता है। बहुत सी टीनेजर्स में आयरन की कमी पाई जाती है, क्योंकि पीरियड्स के दौरान होने वाली आयरन के नुकसान की भरपाई भोजन से नहीं हो पाती। आयरन की ज्यादा कमी होने पर लड़कियों में एनीमिया की समस्या भी हो सकती है, इसीलिए आयरन युक्त डाइट जरूरी है। साथ ही विटामिन सी भी लिया जाना चाहिए, क्योंकि यह आयरन युक्त भोजन को शरीर में एब्जॉर्ब करने में मदद करता है।
इसी तरह जिंक यौन अंगों के विकास और विटामिन ए बेहतर दृष्टि तथा प्रतिरोधक क्षमता के विकास के लिए जरूरी है। वहीं बी ग्रुप विटामिन्स नर्वस सिस्टम और शरीर में नई कोशिकाओं के विकास के लिए आवश्यक है। कहीं-कहीं देखने को मिलता है कि संपूर्ण भोजन न लेने वाले बच्चे और किशोर एनोरेक्सिया नर्वोसा और बुलीमिया जैसी समस्याओं से भी ग्रस्त हो जाते हैं। अगर बच्चों में इस तरह के लक्षण दिखते हैं, तो उन्हें धैर्यपूर्वक समझाना चाहिए और इस बारे में न्यूट्रिशनिस्ट से सलाह ली जानी चाहिए।
बच्चे खाने-पीने में अक्सर ना-नुकुर करते हैं। मना करने के बावजूद जंक फूड खाते हैं। ऐसे में आप बच्चों का टेस्ट बनाए रखने के लिए उन्हें डीप फ्राइड फूड के बजाय बेक्ड या ग्रिल्ड फूड दें। इसके अलावा उन्हें सब्जी, सलाद और दाल (प्रोटीन का अच्छा सोर्स) जरूर खिलाएं। बच्चों को खाने में वैराएटी पसंद होती है। ऐसे में उन्हें बेक्ड पोटेटो, चीला, वैज सैंडविच, वेज कटलेट बर्गर, फ्रूट पंच और ओट्स के साथ दूध और ड्राईफ्रूट्स दिए जा सकते हैं। तेज दिमाग के लिए दूध, दूध से बने पदार्थ, फल और सब्जियां लेना भी जरूरी है।
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