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सांप काटने से मौत होने पर शव का अंतिम संस्कार कैसे किया जाता है?

मृत्यु के बाद सामान्यतः शव का अंतिम संस्कार जलाकर या दफनाकर किया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि सांप के काटने से मृत्यु होने पर शव को न तो जलाया जाता है और न ही दफनाया जाता है? ऐसे में मन में सवाल आता है कि फिर उस शव के साथ क्या किया जाता है। चलिए एक्सपर्ट से जानते हैं-
Editorial
Updated:- 2025-02-28, 09:32 IST

हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद शव के अंतिम संस्कार को लेकर कई नियम और संस्कार बनाए गए है। बड़े लोगों की आकस्मिक या अचानक हुई मौत पर उनका क्रिया-कर्म शव को जलाकर तो वहीं नवजात शिशु के शव को मिट्टी में दफनाया जाता है। लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि अगर किसी व्यक्ति की सांप के काटने से मौत होती है, तो उसके शव को ना तो दफनाया जाता है और न ही जलाया जाता है। जी हां, अब सवाल आता है, कि फिर इनके शव का क्या किया जाता है। चलिए आचार्य उदित नारायण त्रिपाठी से जानते हैं कि सांप काटने से मौत होने पर शव का अंतिम संस्कार कैसे किया जाता है?

सांप के जहर से मौत होने पर शव का क्रिया कर्म कैसे किया जाता है?

What are the postmortem appearance of snake bites

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भगवान शिव के गले में लिपटा हुआ सर्प, मृत्यु और पुनर्जम का प्रतीक है। वहीं सर्प कुंडलिनी का प्रतीक माना जाता है, जो सभी व्यक्ति के मूलधार चक्र में से एक है। हिंदू धर्म में सांप के काटने से मौत होने पर शव का अंतिम संस्कार अन्य सामान्य मौतों से अलग तरीके से किया जाता है। बता दें कि सांप का विष खतरनाक होता है और इसके कारण मृत्यु होने पर कुछ विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का निभाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस तरीके से हुई मौत पर शव को नदी में प्रवाहित कर दिया जाता है।

पुनर्जन्म को लिए नदी में प्रवाहित किया जाता था शव

funeral rites snake bite

इसके पीछे ऐसी मान्यता है कि सांप के काटने से मृत्यु का शिकार हुए व्यक्ति की पूरी तरह से मृत्यु नहीं होती है। पहले के समय में ऐसे लोग होते थे, जो मंत्रों की मदद से सांप के विष को उतारने की कला जानते थे। वे लोग नदियों के किनारे रहते थे और अगर किसी सांप के काटे हुए व्यक्ति की लाश मिलती थी, तो वे उसे निकालकर पुनर्जीवित कर देते थे।

वहीं कुछ लोगों का ऐसा भी मानना था कि पानी के संपर्क में आने से जहर उतर सकता था। इसलिए ऐसे व्यक्तियों का अंतिम संस्कार न करके उन्हें जल प्रवाह किया जाता था, ताकि उनके पुनर्जीवित होने की संभावना बनी रहे।

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