एडवोकेट से लेकर डॉक्टर तक, सरकारी कर्मचारी के प्रदर्शन को लेकर भारत में क्या हैं कानून... एक्सपर्ट से समझें

Right To Protest In India: भारत में सरकारी कर्मचारियों द्वारा प्रदर्शन और हड़ताल करने के मामले आए दिन अखबारों या टेलीविजन पर देखने और सुनने को मिल जाते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आम इंसान और सरकारी कर्मचारी द्वारा किए जाने वाले हड़ताल के लिए अलग-अलग नियम-कानून है या एक जैसे। इस बारे में चलिए एक्सपर्ट से जानते हैं-
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Legal Rights of Government Employees:हम सभी ने कभी न कभी तो जरूर देखा होगा कि अगर कोई एक डॉक्टर या वकील धरने पर बैठता है, तो सभी अस्पताल या कोर्ट के एडवोकेट आकर बैठ जाते हैं। ये खबरे अक्सर अखबार या टेलीविजन में भी देखने को मिल जाती है। अब ऐसे में कई बाप हम सोचते हैं कि ये सरकारी कर्मचारी है, तो ये जैसे प्रदर्शन या हड़ताल करना चाहते हैं कर सकते हैं। लेकिन आपको बता दें कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। एडवोकेट,डॉक्टर और अन्य सरकारी कर्मचारियों द्वारा प्रदर्शन और हड़ताल करने के अधिकारों को लेकर कड़े नियम- कानून बनाए गए हैं। इन के प्रदर्शन से जुड़े कानूनी प्रावधान आमतौर पर उनके सेवा अनुबंध और संबंधित कानूनों पर आधारित होते हैं। इस लेख में इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता नीतेश पटेल से जानते हैं कि सरकारी कर्मचारी के प्रदर्शन को लेकर भारत में क्या नियम हैं।

सरकारी कर्मचारियों के प्रदर्शन पर क्या कहता है कानून?

legal rights of government employees

सरकारी कर्मचारियों को प्रदर्शन या हड़ताल करने का अधिकार नहीं होता है, क्योंकि यह उनके सेवा अनुबंध और सरकार द्वारा बनाए गए नियमों के खिलाफ हो सकता है। भारतीय संविधान में कर्मचारियों को शांतिपूर्ण ढंग से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है, लेकिन सरकारी कर्मचारियों के प्रदर्शन और हड़ताल पर प्रतिबंध लगाए गए हैं।

रोजगार संबंधी नियम (Industrial Disputes Act, 1947)

भारतीय श्रम कानून के तहत, सरकारी कर्मचारियों द्वारा हड़ताल की अनुमति नहीं होती है। हालांकि, Industrial Disputes Act, 1947 निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए हड़ताल को कंट्रोल करता है, लेकिन सरकारी कर्मचारियों पर यह लागू नहीं होता है। सरकारी कर्मचारियों के लिए प्रदर्शन या हड़ताल करना अनुशासनहीनता मानी जाती है और इसे कानूनी रूप से दंडनीय माना जाता है।

ऑल इंडिया सर्विस रूल्स (All India Services Rules)

सरकारी कर्मचारियों के लिए All India Services Rules लागू होते हैं, जिनके तहत वे किसी भी प्रकार की हड़ताल या प्रदर्शन नहीं कर सकते। यदि वे ऐसा करते हैं तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है, जिसमें सेवा से निलंबन, वेतन में कटौती, या अन्य सजा शामिल हो सकती है।

डॉक्टरों का प्रदर्शन

भारतीय चिकित्सा परिषद और अन्य चिकित्सा संस्थान डॉक्टरों के लिए भी कड़े नियम बनाते हैं। यदि डॉक्टर अपनी हड़ताल या प्रदर्शन करते हैं, तो यह आम जनता की स्वास्थ्य सेवा में बाधा डाल सकता है और इसे कानूनी रूप से अनुशासनहीन माना जाता है। Indian Medical Association (IMA) ने भी डॉक्टरों को अपनी समस्याओं के समाधान के लिए हड़ताल के बजाय बातचीत और सुधार की प्रक्रिया अपनाने का सुझाव दिया है।

एडवोकेट और न्यायालय में प्रदर्शन

न्यायालयों में वकीलों का प्रदर्शन भी एक संवेदनशील मुद्दा है। वकील Bar Council of India द्वारा निर्धारित नियमों का पालन करते हैं। हालांकि वकीलों को कुछ मामलों में विरोध प्रदर्शन करने की स्वतंत्रता मिलती है, लेकिन यह न्यायिक प्रणाली में रुकावट डालने की अनुमति नहीं देता। अगर वकील न्यायालय के कामकाज में बाधा डालते हैं, तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है।

पब्लिक सेफ्टी और कानून

consequences of protest by government employees

सरकारी कर्मचारियों द्वारा किए गए प्रदर्शन, जो सार्वजनिक व्यवस्था को नुकसान पहुंचाते हैं, उनके खिलाफ Indian Penal Code (IPC) की धारा 144, 186, और 341 जैसी धाराएं लागू हो सकती हैं, जो सार्वजनिक शांति भंग करने और अव्यवस्था फैलाने पर जुर्माना और सजा का प्रावधान करती हैं।

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Image credit- Freepik


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