Women Protest In Paris: पेरिस में टॉपलेस होकर सड़क पर विरोध कर रही हैं महिलाएं, क्या है फ्रांस का यौन उत्पीड़न मामला जिसके बाद भड़का आक्रोश

हाल ही में, पेरिस में एक शक्तिशाली विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ है। इसने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा है। यहां हजारों महिलाएं यौन हिंसा और असमानता के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए टॉपलेस होकर प्रदर्शन कर रही हैं। जहां एक तरफ प्रोटेस्ट के इस तरीके पर सवाल उठ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ इस बात की भी हैरानी है कि आज भी महिलाओं को न्याय मांगने के लिए इस तरह के प्रोटेस्ट का सहारा लेना पड़ रहा है।
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महिलाओं के लिए एक सुरक्षित समाज बनाने और उन्हें बराबरी का हक देने की बात को हम अक्सर जोर-शोर से करते हैं। लेकिन, आए दिन कुछ न कुछ ऐसा जरूर हो जाता है, जो इस बात पर सवाल उठा देता है। इन दिनों पेरिस का एक प्रोटेस्ट काफी चर्चा में बना हुआ है। अगर आप सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं या दुनिया की खबरों में रुचि रखते हैं, तो आपको इसके बारे में जरूर पता होगा। दरअसल, पेरिस में महिलाएं टॉपलेस होकर प्रदर्शन कर रही हैं। इस प्रदर्शन ने जहां पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा है, वहीं दूसरी तरफ प्रदर्शन के इस तरीके को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। बताया जा रहा है कि यह प्रोटेस्ट अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस यानी 25 नवंबर से शुरू हुआ था और देखते ही देखते यह सु्र्खियों में आ गया। आखिर, पेरिस में महिलाएं इस तरह प्रदर्शन क्यों कर रही हैं...उनकी क्या मांग है और प्रोटेस्ट के इस तरीके पर सवाल क्यों उठ रहे हैं, चलिए आपको बताते हैं।

पेरिस में टॉपलेस होकर प्रदर्शन कर रही हैं महिलाएं

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पेरिस में महिलाएं सड़कों पर अर्द्धनग्न होकर प्रदर्शन कर रही हैं। FEMEN एक्टिविस्ट की मांग है कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा खत्म हो। उन्होंने अपने सीने पर फ्रेंच और इंग्लिश में इसे लेकर स्लोगन भी लिखे हैं। यह प्रोटेस्ट सीधे तौर पर महिलाओं के खिलाफ बढ़ रही हिंसा के खिलाफ है। कथित तौर पर यह प्रदर्शन लौवर पिरामिड के सामने हुआ। सोशल मीडिया पर जो फोटोज और वीडियोज सामने आ रहे हैं, उनमें महिलाओं के हाथों में बोर्ड हैं और वे नारे लगाती हुई दिख रही हैं। महिलाओं ने अपने शरीर पर भी कई स्लोगन्स लिखे हैं। बोर्ड्स पर 'महिलाओं पर युद्ध बंद करो' और 'महिलाओं के लिए जीवन की स्वतंत्रता' जैसे मैसेज लिखे हुए हैं। जो वीडियोज सामने आए हैं, उनमें पुलिस भी चुपचाप खड़ी नजर आ रही है।

डोमिनिक पेलीकॉट के केस से भड़का था आक्रोश

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यह प्रदर्शन जेंडर बेस्ड वायलेंस को लेकर था। इस तरह के प्रदर्शन पेरिस में पहले भी हो चुके हैं। लेकिन, इस बार मुद्दा अलग था। बता दें कि डोमिनिक पेलीकॉट के केस से यह आक्रोश भड़का है। यह मामला इसी साल सितंबर में सामने आया था। फ्रांस में एक 71 साल के व्यक्ति डोमिनिक पेलीकॉट पर लगभग दस सालों तक अपनी पत्नी का दूसरे मर्दों से रेप करवाने का आरोप था। वह इसके वीडियोज और फोटोज भी लिया करता था। यह मामला कोर्ट में है। Gisele Pelicot ने अपने पति पर आरोप लगाया था कि उसने करीब 72 पुरुषों से उनका 92 बार रेप करवाया। उन्हें नशे की हैवी डोज देकर उनके साथ ऐसा करवाया जाता था। डोमिनिक को कम से कम 20 साल की सजा देने की मांग की जा रही है। यह मांग फ्रांसीसी सरकार द्वारा महिलाओं के खिलाफ हिंसा से निपटने के लिए नए नीतियों को पेश करने के बाद रखी गई है।

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प्रोटेस्ट के इस तरीके पर उठ रहे हैं सवाल

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पेरिस में महिलाओं के प्रोटेस्ट के इस तरीके पर सवाल उठ रहे हैं। कुछ लोग जहां इस तरीके को गलत बता रहे हैं वहीं कुछ कहा कहना है कि यह पूरे समाज के लिए..पूरी दुनिया के लिए काफी शर्मनाक है कि महिलाओं को इस तरह प्रदर्शन करना पड़ रहा है। प्रदर्शन के तरीके पर सवाल उठाने से कहीं ज्यादा जरूरी यह है कि इस तरह के मुद्दों पर सवाल उठाए जाएं और न केवल सवाल उठाए जाए बल्कि उनके जवाब भी ढूंढे जाएं।

फ्रांस में सामने आ चुके हैं यौन उत्पीड़न के कई मामले

यूं तो फ्रांस की गिनती मॉडर्न कल्चर वाले देश के तौर पर होती है। लेकिन, यहां यौन उत्पीड़न के मामले चौंकाने वाले हैं। थिंक टैंक फाउंडेशन जीन जॉरेस पेरिस की एक रिपोर्ट के अनुसार, फ्रांस की लगभग 40 लाख महिलाएं यौन हिंसा का शिकार हुई हैं। यह आंकड़े कुछ साल पहले सामने आए थे। फ्रांस की लगभग 60 प्रतिशत महिलाओं ने यह माना था कि उन्हें कभी न कभी गलत तरीके से छुआ गया है।

दुनिया में महिलाओं ने गुस्से में पहले भी किए हैं कई प्रदर्शन

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यह पहली बार नहीं है जब महिलाएं गुस्से में प्रदर्शन कर रही हैं। इससे पहले भी दुनिया में कई विमेन प्रोटेस्ट सुर्खियों में रहे हैं। चलिए, इन पर एक नजर डालते हैं।

  • साल 1911 में ट्रैंगल शर्टवेस्ट फैक्टरी, जो महिलाओं के लिए ब्लाउज बनाती थी, वहां आग लग गई थी। उस कंपनी के मालिक एग्जिट को बंद करके रखते थे ताकि वर्कर ब्रेक न ले सकें। इसकी वजह से आग लगने पर लोग बाहर नहीं निकल पाए और 146 कर्मचारी वहीं मारे गए। इनमें से 123 महिला कर्मचारी थीं। इसके बाद लगभग 1 लाख महिलाएं इस तरह के वर्किंग कंडीशन्स के खिलाफ विरोध करने के लिए सड़कों पर उतरीं।
  • अगस्त 1956 में साउथ अफ्रीकी महिलाओं का एक प्रोटेस्ट भी काफी चर्चा में रहा था। यह वहां के एक कानून के विरोध में था। लिलियन नगोई, हेलेन जोसेफ, अल्बर्टिना सिसुलु और सोफिया विलियम्स-डी ब्रुइन के नेतृत्व में, लगभग 20,000 महिलाओं ने प्रधानमंत्री को एक याचिका पेश करने के लिए प्रिटोरिया की यूनियन बिल्डिंग तक मार्च किया। उन्होंने अपनी याचिका में लिखा था, जब आप एक महिला को मारते हैं, तो आप एक चट्टान को मारते हैं। उनकी हिम्मत और साहस की याद में अब 9 अगस्त को दक्षिण अफ्रीका में राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  • वियतनाम युद्ध के खिलाफ कई विरोध मार्च हुए हैं। सबसे शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों में से एक 19 फरवरी, 1968 को हुआ, जब लंदन में 400 से अधिक महिलाओं ने ग्रोसवेनर स्क्वायर में अमेरिकी दूतावास के बाहर से डाउनिंग स्ट्रीट तक एक मौन मार्च शुरू किया। यह काफी चर्चा में रहा था।
  • प्रमुख विकलांगता अधिकार कार्यकर्ता लेस्ली हॉल और नारीवादी विकलांग महिलाओं के समूह के अन्य लोगों ने 1981 मिस ऑस्ट्रेलिया क्वेस्ट सौंदर्य प्रतियोगिता के टिकट खरीदे। उन्होंने महिलाओं को सेक्शुअली ऑब्जेक्टिफाई करने के विरोध में प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन इसलिए भी किया गया था विकलांग महिलाएं सौंदर्य प्रतियोगिता में प्रवेश करने में सक्षम नहीं थीं क्योंकि उन्हें सुंदर नहीं माना जाता था।
  • साल 2017 में महिलाओं का एक प्रदर्शन काफी सुर्खियो में रहा था। यह ग्लोबली एक बड़ा उदारहण बना था। लगभग 7 मिलियन लोगों ने मानव अधिकारों, स्वतंत्रता और समानता की वकालत करने के लिए पूरी दुनिया में शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया था।
  • साल 2012 में दिल्ली में निर्भया रेप केस के विरोध में हुआ प्रदर्शन भी दुनियाभर में चर्चा का विषय बना था। चलती बस में एक महिला के साथ हुए रेप और हत्या के मामले ने पूरे देश को हिला दिया था। विरोधियों को कड़ी से कड़ी सजा देने के लिए पूरा देश एकजुट हुआ था।

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