हिन्दू धर्म में प्रत्येक देवी देवताओं की पूजा का अलग महत्त्व है। हर देवी -देवता की पूजा विधि और व्रत करने की विधि अलग होती है और पूजन का फल भी अलग मिलता है। इसी प्रकार प्रदोष व्रत का भी हिंदू धर्म में विशेष महत्त्व बताया गया है। प्रदोष व्रत किसी भी माह की त्रयोदशी तिथि को होता है। त्रयोदशी तिथि महीने में 2 बार यानी कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में होती है और पूरे वर्ष में 24 त्रयोदशी तिथियां होती हैं और इस दिन प्रदोष व्रत रखना मुख्य रूप से फलदायी होता है।
मान्यता है कि यदि श्रद्धा भाव से प्रदोष व्रत और शिव जी का पूजन किया जाए तो सभी पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य की प्राप्ति होती है। प्रदोष व्रत जब सोमवार को होता है तब इसे सोम प्रदोष कहा जाता है और इसका अलग महत्त्व होता है। आइए नई दिल्ली के जाने माने पंडित, एस्ट्रोलॉजी, कर्मकांड,पितृदोष और वास्तु विशेषज्ञ प्रशांत मिश्रा जी जानें वैशाख के महीने में कब पड़ेगा सोम प्रदोष व्रत और इसका महत्त्व।
सोम प्रदोष व्रत की तिथि
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रदोष व्रत 24 मई 2021 दिन सोमवार को पड़ रहा है। सोमवार के दिन पड़ने की वजह से इसे सोम प्रदोष कहा जाएगा और इस दिन शिव पूजन का विशेष महत्त्व है। सोमवार मुख्य रूप से भगवान शिव का दिन माना गया है ऐसे में यह प्रदोष व्रत और भी ज्यादा शुभ फलदाई रहेगा। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करना सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करेगा।
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सोम प्रदोष शुभ मुहूर्त
प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल यानी संध्या काल के समय की जाती है। प्रदोष व्रत में लोग श्रद्धा भाव से शिव जी का पूजन एवं व्रत रखते हैं। इस दिन शुभ मुहूर्त में शिव पूजन मुख्य रूप से फलदायी होता है।
- शुक्ल त्रयोदशी तिथि आरंभ- 24 मई 2021 प्रातः 03 बजकर 38 मिनट से
- शुक्ल त्रयोदशी तिथि समाप्त- 25 मई 2021 रात 12 बजकर 11 मिनट
- पूजा का समय- शाम 07 बजकर 10 मिनट से रात 09 बजकर 13 मिनट तक
- पूजा का समय- 02 घण्टे 03 मिनट
सोम प्रदोष व्रत का महत्व
सोमवार को मुख्य रूप से भगवान् शिव का दिन माना जाता है। इसलिए शास्त्रों में सोम प्रदोष का विशेष महत्त्व बताया गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा करने से कष्टों से मुक्ति प्राप्त होती है और जीवन में सुख समृद्धि आती है। सोम प्रदोष व्रत पर विधि-विधान से पूजन करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। सोम प्रदोष का व्रत करने से करने से वैवाहिक जीवन सुखमय होने के साथ संतान सुख की प्राप्ति भी होती है।
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सोम प्रदोष पूजा विधि
- प्रदोष व्रत के दिन जल्दी उठकर सर्वप्रथम स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा के स्थान को अच्छी तरह से साफ़ करें और शिव जी की मूर्ति या शिवलिंग को स्नान कराएं।
- एक चौकी में सफ़ेद कपड़ा बिछाकर शिव मूर्ति या शिवलिंग स्थापित करें।
- भगवान शिव को चंदन लगाएं और नए वस्त्रों से सुसज्जित करें।
- शिवलिंग पर फूल, धतूरा और भांग चढ़ाएं या ताजे फलों का भोग अर्पित करें।
- पूरे दिन फलाहर व्रत करें और नमक का सेवन न करें।
- प्रदोष काल में प्रदोष व्रत की कथा सुनें व पढ़ें और शिव जी की आरती करके भोग अर्पित करें।
- शिव पूजन करने के बाद भोग वितरित करें और स्वयं ग्रहण करें।
प्रदोष व्रत का विधि पूर्वक पालन करने और शिव पूजन करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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Image Credit: freepik and pintrest
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