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Pradosh Vrat Date 2026: 1 या 2 जनवरी, कब है साल का पहला प्रदोष व्रत? जानें शुभ मुहूर्त और विशेष उपाय

Pradosh Vrat Kab Hai 2026: प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है और मान्यता है कि इस दिन संध्या काल यानी कि प्रदोष काल में महादेव कैलाश पर्वत पर प्रसन्न मुद्रा में नृत्य करते हैं। जो भक्त इस समय पूरी श्रद्धा से शिव जी की पूजा करते हैं उनके जीवन के सभी दुख, दरिद्रता और कष्ट दूर हो जाते हैं।  
Editorial
Updated:- 2025-12-31, 14:28 IST

नए साल 2026 की शुरुआत भक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा के साथ हो रही है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, साल का पहला प्रदोष व्रत बहुत ही खास माना जा रहा है क्योंकि यह जनवरी के शुरुआती दिनों में ही पड़ रहा है। प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है और मान्यता है कि इस दिन संध्या काल यानी कि प्रदोष काल में महादेव कैलाश पर्वत पर प्रसन्न मुद्रा में नृत्य करते हैं। जो भक्त इस समय पूरी श्रद्धा से शिव जी की पूजा करते हैं उनके जीवन के सभी दुख, दरिद्रता और कष्ट दूर हो जाते हैं। नए साल के पहले प्रदोष पर पूजा करने से पूरे वर्ष सुख-शांति बनी रहती है। ऐसे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि नए साल 2026 का पहला प्रदोष व्रत कब पड़ रहा है और क्या है इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त, महत्व एवं विशेष उपाय? 

साल का पहला प्रदोष व्रत कब है? (Pradosh Vrat Kab Hai 2026)

पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 1 जनवरी 2026, गुरुवार के दिन सुबह 5 बजकर 44 मिनट से हो रहा है। वहीं, इसका समापन 1 जनवरी 2026 को ही रात 3 बजकर 52 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि और प्रदोष कल के समय के अनुसार, साल 2026 का पहला प्रदोष व्रत 1 जनवरी को पड़ रहा है। गुरुवार के दिन पड़ने के कारण यह गुरु प्रदोष व्रत कहलाएगा।

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साल का पहला प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat Puja Muhurat 2026)

प्रदोष व्रत की पूजा हमेशा शाम के समय प्रदोष काल में ही होती है। ऐसे में 1 जनवरी को भगवान शिव की पूजा का समय शाम 05 बजकर 35 मिनट से शुरू होगा और शाम 06 बजकर 30 मिनट पर इसका समापन हो जाएगा। पूजा के लिए लगभग 1 घंटे का समय मिलेगा जो भगवान शिव की आराधना के लिए सर्वोत्तम और लाभकारी रहेगा। 

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साल का पहला प्रदोष व्रत 2026 महत्व

गुरु प्रदोष व्रत का आध्यात्मिक और व्यावहारिक महत्व बहुत अधिक है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति साल के पहले दिन यह व्रत रखता है उसका पूरा वर्ष सुख-शांति और समृद्धि से बीतता है। यह व्रत न केवल स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है बल्कि वैवाहिक जीवन में आने वाली अड़चनों को भी दूर करता है। गुरु प्रदोष होने के कारण यह गुरु ग्रह को मजबूत करने में मदद करता है जिससे शिक्षा, करियर और धन के क्षेत्र में उन्नति के द्वार खुलते हैं।

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साल का पहला प्रदोष व्रत 2026 उपाय

शिवलिंग पर केसर मिश्रित दूध या शुद्ध शहद से अभिषेक करें। इससे जीवन में मिठास और धन का आगमन होता है। 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करते हुए 21 बेलपत्रों पर चंदन से 'राम' लिखकर शिवलिंग पर अर्पित करें। चूंकि यह गुरुवार को है, इसलिए शिव जी को पीले रंग के फूल और चने की दाल का भोग लगाएं। शाम के समय शिव मंदिर में या घर के मुख्य द्वार पर घी का दीपक जलाएं, इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।

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