Expert Tips: जानें कब है मोहिनी एकादशी, पूजा का शुभ मुहूर्त और इसका महत्त्व

आइए विश्व के जाने माने ज्योतिर्विद पं रमेश भोजराज द्विवेदी जी से जानें वैशाख महीने में कब मनाई जाएगी मोहिनी एकादशी और इसका क्या महत्त्व है ?

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हिन्दू धर्म के अनुसार साल में 24 एकादशी व्रत होते हैं और महीने में दो एकादशी व्रत होते हैं। हिन्दुओं में प्रत्येक एकादशी का अलग महत्त्व है, ख़ास तौर पर विशाख महीने की एकादशी बहुत मायने रखती है। इस एकादशी को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है।

ऐसी मान्यता है कि इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया था और देवताओं को अमृत पान कराया था। आइए जानें इस साल वैशाख महीने में कब है मोहिनी एकादशी और इसका क्या महत्त्व है।

मोहिनी एकादशी की तिथि

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हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोहिनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस वर्ष मोहिनी एकादशी 23 मई दिन रविवार को पड़ रही है। ऐसी मान्यता है कि मोहिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

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मोहिनी एकादशी शुभ मुहूर्त

  • वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि आरम्भ 22 मई दिन शनिवार को सुबह 09 बजकर 15 मिनट पर
  • एकादशी तिथि का समापन 23 मई को प्रात: 06 बजकर 42 मिनट पर होगा।
  • एकादशी की उदया तिथि 23 मई को प्राप्त हो रही है, ऐसे में मोहिनी एकादशी का व्रत 23 मई को रखा जाएगा।
  • व्रत पारण का समय 24 मई दिन सोमवार को प्रात: 06 बजकर 01 मिनट से सुबह 08 बजकर 39 मिनट के मध्य।

मोहिनी एकादशी की कथा

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पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान अमृत से भरा कलश निकला था जिसे लेकर देवताओं और असुरों के बीच झगड़ा होने लगा कि कौन पहले अमृत पिएगा । अमृत को लेकर दोनों पक्षों में युद्ध की स्थिति आ गई। तभी भगवान विष्णु मोहिनी नामक सुंदर स्त्री का रूप लेकर प्रकट हुए और दैत्यों से अमृत कलश लेकर सारा अमृत देवताओं को पिला दिया। जिससे देवता अमर हो गए। मान्यता है कि भगवान विष्णु ने जिस दिन मोहिनी रूप धारण किया था, उस दिन वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी थी। इसलिए इस दिन को मोहिनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है।

मोहिनी एकादशी का महत्व

मोहिनी एकादशी के दिन मुख्य रूप से भगवान् विष्णु की पूजा की जाती है। एक और मान्यता के अनुसार सीता जी के वियोग में दुखी भगवान राम ने भी मोहिनी एकादशी का व्रत रखा था, जिसके प्रभाव से उनको दुख से मुक्ति मिली। कहा जाता है कि मोहिनी एकादशी के दिन व्रत एवं विष्णु पूजन करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और पापों से मुक्ति मिलती है।

कैसे करें पूजन

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  • एकादशी के दिन सबसे पहले सुबह उठकर स्‍नान करने के बाद साफ वस्‍त्र धारण करें।
  • घर का मंदिर साफ़ करें और सभी भगवानों को स्नान करवाएं और नए वस्त्रों से सुसज्जित करें।
  • विष्णु जी की तस्वीर चौकी पर स्थापित करें और उस पर तिलक लगाएं।
  • भगवान विष्‍णु को पीले फूल और तुलसी दल समर्पित करें।
  • धूप-दीप से विष्‍णु जी(विष्णु जी के व्रत में ध्यान रखें ये बातें) की आरती करें और नैवद्य समर्पित करें।
  • पूरे दिन फलाहार व्रत का पालन करें और नमक का सेवन न करें।
  • शाम के समय विष्णु जी की आरती उतारने के बाद फलाहार ग्रहण करें।
  • अगले दिन सुबह व्रत का पारण करने के लिए ब्राह्मण को भोजन कराएं और यथा-शक्ति दान-दक्षिणा देकर विदा करें।
  • इसके बाद स्वयं भोजन ग्रहण करके व्रत का पारण करें।

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Image Credit: freepik and pintrest

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