हिन्दू धर्म के अनुसार हर एक दिन का अपना अलग महत्त्व है। हर दिन किसी न किसी ईश्वर को समर्पित माना जाता है। जैसे सोमवार को भगवान् शिव का दिन माना गया है, मंगलवार को हनुमान जी का, बुधवार को गणपति का और इसी क्रम में बृहस्पतिवार यानी गुरूवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। गुरूवार के दिन विष्णु जी को प्रसन्न करने के लिए पूरी श्रद्धा भाव से व्रत और उपवास किया जाता है।
गुरूवार व्रत का हिन्दू धर्म में विशेष माहत्म्य बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन नियम पूर्वक व्रत उपवास और विष्णु पूजन करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और घर धन-धान्य से पूर्ण होता है। लेकिन कई बार पूजन और व्रत में कुछ बातों का ध्यान न रखने से पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता है। अगर आप भी गुरूवार का व्रत करती हैं तो, नई दिल्ली के जानें माने पंडित, एस्ट्रोलॉजी, कर्मकांड,पितृदोष और वास्तु विशेषज्ञ प्रशांत मिश्रा जी बता रहे हैं कि इस व्रत के दौरान विशेष कृपा पाने के लिए किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
कब शुरू करें व्रत
वैसे तो किसी भी गुरूवार के दिन ये व्रत आरम्भ किया जा सकता है, लेकिन पौष माह में यह व्रत शुरू न करें। यदि गुरु पुष्य( गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र हो, उसे गुरु पुष्य कहते हैं)हो, तो अतिउत्तम है, वैसे इस व्रत को आरम्भ करने का शुभ समय किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष का पहला गुरूवार होता है। व्रत का संकल्प लेकर 16 गुरूवार तक रखा जा सकता है। आप इस व्रत को लगातार प्रत्येक गुरूवार 3 साल तक रख सकती हैं। इसके पश्चात इसका उद्यापन करके इसे दोबारा शुरू किया जा सकता है। पहले गुरुवार से शुरू किया जा सकता है। व्रत को 16 गुरुवार तक मनाया जाता है और इसे 3 साल तक रखा जा सकता है।
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गुरुवार व्रत में ध्यान रखें ये बातें
केले का सेवन न करें
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार केले के पेड़ में देवगुरु बृहस्पति जी का वास होता है, तो वहीं पुराणों के अनुसार केले के वृक्ष में भगवान विष्णु निवास करते हैं और इसलिए गुरुवार के दिन केले के पेड़ की पूजा की जाती है। चूंकि केले के पेड़ की पूजा करके आरती की जाती है इसलिए इस दिन केले का सेवन वर्जित माना जाता है।
पीली वस्तुओं का करें दान
गुरूवार के दिन पीली वस्तु, जैसे- गुड़, पीला कपड़ा, चने की दाल, केला आदि भगवान को अर्पित करके गरीबों को दान करना चाहिए। दान करने से भगवान् विष्णु और बृहस्पति देव की विशेष कृपा दृष्टि प्राप्त होती है।
न करें चावल या खिचड़ी का सेवन
गुरुवार के दिन को पीले रंग का विशेष महत्व बताया गया है और इस दिन पीले भोजन को ही ग्रहण करना लाभकारी होता है। इस दिन भूलकर भी काली दाल की खिचड़ी का सेवन न करें और साथ ही चावल का सेवन करने से भी बचें। कहा जाता है कि इस दिन चावल का सेवन करने से धन की हानि होती है। पंडित प्रशांत मिश्रा जी बताते हैं कि इस दिन भगवान विष्णु को भी तिल चढा़एं, चावल न चढा़एं।
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गाय को रोटी खिलाएं
ऐसी मान्यता है कि गाय में 33 कोटि(कोटि के दो अर्थ हैं, करोड़ एवं प्रकार, 33 प्रकार के देवता माने जाते हैं)देवों का वास होता है, इसलिए ऐसा माना जाता है, कि गुरूवार के दिन गाय को रोटी और गुड़ खिलाने से सभी कष्टों का निवारण होता है, अतः गाय को गुड़ और रोटी अवश्य खिलाएं।
बाल और नाखून न काटें
गुरुवार के दिन नाखून काटना, बाल कटवाना, दाढ़ी बनाना वर्जित होता है। ऐसी मान्यता है कि गुरुवार के दिन ये सारे काम करने से गुरु ग्रह कमजोर होने लगते हैं और गुरु के कमजोर होते ही धन हानि होने लगती है। गुरुवार के दिन महिलाओं को बाल धोने और कपड़े धोने की भी मनाही होती है। खासतौर पर जो महिलाऐं गुरूवार का व्रत करती हैं उन्हें विशेष तौर पर बाल और कपडे नहीं धोने चाहिए। यहां तक कि इस दिन घर से कबाड़ भी बाहर नहीं निकाला जाता है।
कैसे करें भगवान विष्णु को प्रसन्न
इस दिन पीली वस्तु जैसे चने की दाल का भोजन ग्रहण करें। यदि उपवास करती हैं तो पूरे दिन नमक का सेवन न करें और एक ही पहर भोजन ग्रहण करें। पूरे दिन फलाहार ग्रहण करें। विष्णु भगवान् की बृहस्पतिवार व्रत कथा का बिना बीच में रुके हुए पाठ करें। कहा जाता है कि कथा के दौरान किसी से भी बात नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से कथा खंडित हो जाती है और सम्पूर्ण फल की प्राप्ति नहीं होती है। कथा के बाद आरती करके प्रसाद वितरण करें। चना दाल, केला आदि भगवान को अर्पित करें और दान पुण्य करें। भगवान विष्णु के द्वादशाक्षर मंत्र-" ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय" का जाप करें।
पीले वस्त्र धारण करें
भगवान विष्णु को पीला रंग अति प्रिय है इसलिए इस दिन पीले रंग का अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए। यहां तक कि यदि आप व्रत और पूजन करती हैं तो आप खुद भी पीले रंग के वस्त्र धारण करें और विष्णु जी को भी पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें. पूजा में पीले रंग के फूल, पीला चंदन, चने की दाल, केसर, बेसन का लड्डू आदि का इस्तेमाल करें।
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