तिरुपति में श्री वेंकटेश्वर स्वामी का मंदिर है। इन्हें वेंकटेश्वरा भी कहा जाता है। तिरुपति बालाजी भी कहा जाता है, श्रीनिवास भी कहा जाता है और गोविंदा भी। हाल ही में इस मंदिर में हुई भगदड़ के कारण एक दुखद घटना सामने आई। यहां दर्शन के लिए उमड़े श्रद्धालुओं की भगदड़ बैकुंठ दर्शन टिकट लाइन के कारण हुई। तिरुपति मंदिर में हर साल करोड़ों श्रद्धालु आते हैं। इसका कारण है तिरुपति से जुड़ी श्रद्धा और मान्यताएं। तिरुपति में बहुत सी ऐसी मान्यताएं हैं जिनके कारण श्रद्धालु हमेशा तिरुपति के दर्शन करते हैं और वहां जाकर बालों को दान देते हैं।
ऐसी मान्यताएं जिनके बारे में विज्ञान भी कुछ नहीं कर पाया है। ऐसी मान्यताएं जिन्हें आसानी से समझाया नहीं जा सकता है। इनमें से कुछ को मिथक माना जाता है और कुछ को दैवीय शक्ति। चलिए आज तिरुपति से जुड़ी इन्हीं मान्यताओं का जिक्र करते हैं।
भगवान की मूर्ति जो मंदिर में स्थित है, उसे एक नजर में देखें, तो लगता है कि वो मंदिर के कक्ष के मध्य में स्थित है, जबकि असल में ऐसा नहीं है। यह मूर्ति मंदिर के दाईं ओर स्थित है। ऑप्टिकल इल्यूजन के बारे में तो आपने सुना ही होगा। यही कारण है कि मंदिर की मूर्ति अपनी जगह पर नहीं दिखती है। दर्शन करते वक्त श्रद्धालुओं को इस तथ्य का आभास नहीं होता है।
अब इसे मान्यता कहें, मिथक कहें या फिर दैवीय ताकत या फिर इसे साइंस का कोई तर्क मानें, लेकिन मूर्ति के पीछे कान लगाकर सुनने पर समुद्र की लहरों की आवाज सुनाई देती है। मान्यता है कि यह आवाज सीधे वैकुंठ से आती है और स्वयं भगवान विष्णु के होना का प्रतीक है यह आवाज।
इसे जरूर पढ़ें- Tirupati Balaji Temple Facts: आखिर बालों का ही क्यों दान होता है तिरुपति बालाजी मंदिर में, इस परंपरा के पीछे है एक कारण
इस कथा को कई लोग मिथक मानते हैं और कई मानते हैं कि यह सालों पुरानी प्रथा है। दरअसल, मंदिर में चढ़ने वाले फूलों, घी, दूध, तुलसी आदि को देने वाले का नाम नहीं पता। माना जाता है कि तिरुपति से 22 किलोमीटर दूर किसी गांव से ये सामान रोजाना आता है। पर इस गांव के लोगों के अलावा, कोई और इसे कभी नहीं देख पाया। इस गांव का नाम भी लोगों को नहीं पता है। अब यह सत्य है या फिर मिथ्या यह आप खुद ही समझ लें।
भगवान की मूर्ति से जुड़ी एक और बात है जिसके बारे में लोग जानते तो हैं, लेकिन इसकी असलियत किसी को नहीं पता। दरअसल, भगवान की मूर्ति में लगे बाल असली माने जाते हैं। माना जाता है कि यह बाल एक राजकुमारी के हैं जिन्होंने भगवान के सिर पर लगी चोट को छुपाने के लिए अपने बाल दान दे दिए थे। भगवान ने अपने सिर पर ये बाल लगा लिए।
अब मूर्ति में लगे असली बाल कभी नहीं उलझते हैं और हमेशा मुलायम बने रहते हैं। इसलिए माना जाता है कि ये बाल असली हैं।
इसे जरूर पढ़ें- Tirupati Balaji Controversy: तिरुपति बालाजी मंदिर सिर्फ लड्डू ही नहीं, इन कारणों की वजहों से भी रहा है चर्चा के केंद्र में
तिरुपति में दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को तो हमेशा पसीना आता ही है। इतनी भीड़, इतना चलना पड़ता है ऊपर से मौसम भी कुछ ज्यादा खुशनुमा नहीं रहता, लेकिन क्या आपको पता है कि तिरुपति में भगवान की मूर्ति को भी पसीना आता है। जी हां, मूर्ति की पीठ में कई बार छोटी-छोटी पानी की बूंदें दिखाई देती हैं जैसे पसीना हो। इस पसीने को मखमल के कपड़े से पोछा जाता है। ये बूंदें कहां से आती हैं, क्या है ये, किसी को नहीं पता, लेकिन इसे भी भगवान की एक लीला ही माना जाता है।
ऐसी ही मान्यता भगवान की जोत को लेकर भी है जो सालों से जल रही है। ये किसी को नहीं पता कि इस जोत को जलाया किसने था या ये कितने वर्षों से जल रही है। मान्यता ये भी है कि भगवान की मूर्ति इतनी मजबूत है कि अगर इसमें पत्थर मारो, तो पत्थर टूट सकता है, लेकिन मूर्ति नहीं।
अब इनमें से क्या सच है और क्या कल्पना इतना तो नहीं पता, लेकिन फिर भी भगवान की मान्यता श्रद्धालुओं के लिए सबसे ऊपर है।
अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो आप हमें आर्टिकल के ऊपर दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
यह विडियो भी देखें
Herzindagi video
हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।