Controversies Of Tirupati Balaji Temple: भारत को मंदिरों का देश कहा जाता है, क्योंकि पूर्व से लेकर पश्चिम और उत्तर से लेकर दक्षिण में करोड़ों मंदिर हैं, जो आस्था के प्रमुख केंद्र माने जाते हैं।
दक्षिण भारत में स्थित किसी पवित्र और विश्व प्रसिद्ध मंदिर का जिक्र होता है, तो आंध्र प्रदेश में स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर का नाम जरूर लिया जाता है। यह भारत के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है।
तिरुपति बालाजी मंदिर इस समय देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। जी हां, इस मंदिर में मिलने वाला प्रसाद पूरे भारत में चर्चा का केंद्र बना हुआ है। इस मंदिर के प्रसाद के बारे में लगभग हर कोई चर्चा कर रहा है।
ऐसा नहीं है कि यह पहली बार है, जब तिरुपति बालाजी मंदिर पूरे भारत में चर्चा का केंद्र बना हुआ है। इतिहास के पन्ने को पलटकर को देखा जाए तो अन्य कई विवादों से भी यह मंदिर घिरा हुआ मिलता है।
What is more to see in this Kalyug😢
— ashis praharaj (@ashisppraharaj) September 19, 2024
In this Era we are faith and devotion with god..but you not Skip them
In #Tirupati Temple #TirupatiLaddu making in Animal Fat instead of Ghee
CM #ChandrababuNaidu said YSR Govt do and play with devotees Faith pic.twitter.com/kyR4ZiwCWE
तिरुपति बालाजी मंदिर किन-किन वजहों से इतिहास में चर्चा के केंद्र रहा है, उससे पहले आपको यह बता दें कि यह मंदिर अपने प्रसाद को लेकर मौजूदा समय में चर्चा का केंद्र बना हुआ है।
तिरुपति बालाजी मंदिर में मिलने वाले प्रसाद के रूप में लड्डू के बारे में कहा जा रहा है कि इसमें पशुओं की चर्बी को मिलाया गया है। इसके अलावा कई लोगों का यह भी मानना है कि इसमें चर्बी के अलावा बीफ-पोर्क और फिश ऑयल का भी मिश्रण है।
नोट: प्रसाद में मिलावट की पुष्टि हरजिंदगी नहीं कर रहा है।
तिरुपति बालाजी मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर का कपाट करीब 12 सालों तक बंद था। माना जाता है कि एक राजा ने मंदिर की दीवार पर 12 लोगों को फांसी दे दी थी।
कहा जाता है कि जब मंदिर की दीवार पर 12 लोगों को फांसी दी गई थी, तब स्वयं भगवान प्रकट हुए थे। कहा जाता है इस घटना के बाद उस समय मंदिर पूरे भारत में चर्चा का केंद्र में बना रहा था।
शायद आपको नहीं मालूम नहीं होगा, लेकिन आपकी जानकारी बता दें कि नवंबर 1979 को तिरुपति में चमत्कार हुआ था, जिसकी वजह से मंदिर पूरे देश में चर्चा का केंद्र बना हुआ था।
जी हां, कहा जाता है कि नवंबर 1979 की रात को मंदिर की घंटियां, गर्भगृह के भीतर गूंजती कांस्य घंटियां, जबरदस्त ताकत और प्रतिध्वनि के साथ बजने लगीं। कहा जाता है कि ध्वनि इतनी तेज थी कि पास में स्थित पहाड़ों के लोग भी डर गए थे।
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