जब दो लोग वैवाहिक रिश्ते में बंधते हैं तो एक-दूसरे के पूरक बन जाते हैं। इसका अर्थ है कि आपके सुख या दुख सिर्फ आपके ही नहीं होते, बल्कि आपका पार्टनर भी उसमें बराबर के लिए शामिल होते हैं। वह एक-दूसरे के इमोशनल सपोर्ट ही नहीं होते, बल्कि फाइनेंशियल सपोर्ट भी देते हैं। हालांकि जिस तरह दोनों व्यक्ति का स्वभाव अलग होता है, ठीक उसी तरह उनकी फाइनेंशियल आदतें भी अलग हो सकती हैं। हो सकता है कि आप भविष्य के लिए बचत पर अधिक फोकस करती हों, जबकि आपका पार्टनर स्वभाव से खर्चीला हो या फिर वह सिर्फ आज में ही जीने में विश्वास रखता हो और भविष्य की बचत की तरफ उसका कोई ध्यान ना हो। इस स्थिति में आपके बीच लड़ाईयां होना लाजमी है। वैसे भी अधिकतर जोड़ों के टूटने के पीछे की एक मुख्य वजह पैसा ही होती है।
अगर आप चाहती हैं कि पैसे के मुद्दे की वजह से आपके रिश्ते में तनाव उत्पन्न ना हो या फिर घर व अन्य खर्चों को लेकर आपके बीच झगड़े ना हो, तो इसके लिए जरूरी है कि आप रिश्ते की शुरूआत में ही पैसों का प्रबंधन कर लें। ऐसे कई तरीके हैं, जिसे अपनाकर आप अपने रिश्ते में फाइनेंशियल प्लानिंग आसानी से कर सकती हैं और इससे आपके रिश्ते पर भी इसका असर नहीं पड़ेगा-
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झिझके नहीं
अमूमन रिश्ते की शुरूआत में दोनों ही व्यक्ति के मन में एक झिझक होती है और इसलिए वह फाइनेंशियल मुद्दों पर बात करने से बचते हैं। लेकिन आप अपने मन की झिझक निकाल दें। अगर आप शुरूआत में ही अपने रिलेशन में कुछ फाइनेंशियल नियम तय कर लेती हैं तो इससे आपके बीच आगे चलकर भी पैसों की बात को लेकर झगड़ा नहीं होता और ना ही रिश्ते में दरार होता है।
करें बात
फाइनेंशियल मुद्दों को सुलझाने का सबसे आसान तरीका है कि आप दोनों साथ बैठकर बात करें। साथ ही आप यह भी तय करें कि आपका मासिक खर्चा कितना है। कोशिश करें कि आप दोनों अपनी आय का बराबर प्रतिशत अपने मासिक खर्चों में व्यय करें। अगर यह संभव नहीं है तो आप खर्चों को बांट लें। मसलन, घर का किराया आप दें और बिजली का बिल व अन्य बिल या लोन की पेमेंट आपका पार्टनर दे। इसी तरह, सेविंग्स के लिए भी आप दोनों बराबर की भागीदारी कर सकते हैं।
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रखें भावनाओं का ख्याल
अक्सर पैसों के व्यय को लेकर दो व्यक्तियों का एक जैसा विचार नहीं होता। ऐेसे में फाइनेंशियल मुद्दों पर बात करते समय आपको इस बात का भी ध्यान रखना है कि आप दोनों की एक-दूसरे की भावनाओं का ख्याल रखें। हो सकता है कि आपके पार्टनर को बाहर घूमना अच्छा लगता हो और आपको सेविंग करना। ऐसे में आप दोनों अपनी आय को चार हिस्सों में बांट लें। पहले हिस्से को आप जरूरी खर्चों के लिए रखें। यह खर्चे ऐसे होंगे, जिन्हें आपको हर महीने करना ही है, जैसे बिल या लोन या राशन आदि में किया जाने वाला खर्च। बाकी बची आय को आप तीन भागों में बांट लें, जिसमें एक हिस्सा सेविंग का हो, दूसरे हिस्से को किसी इमरजेंसी के लिए रखें तथा तीसरे हिस्से को आप घूमने-फिरने व साथ मिलकर इंजाय करने में खर्च कर सकती हैं। इस तरह आप दोनों को ही किसी तरह की परेशानी नहीं होगी।
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