अक्सर महिलाओं की ये समस्या होती है कि घर का खर्च ज्यादा हो रहा है और पैसों से जुड़ी बचत नहीं हो पा रही है। यहां निवेश और बचत की नहीं खर्च की बात हो रही है। घरों में आजकल की व्यस्त लाइफस्टाइल कुछ ऐसी हो गई है कि लोगों को ये समझ ही नहीं आता कि उनका इतना खर्च आखिर कैसे बढ़ गया है। ये सब कुछ पैसे से जुड़ी कुछ गलतियों के कारण होता है।
Wealth Aware कंपनी की संस्थापक और एमडी तन्वी केजरीवाल गोयल हमें एक्सपर्ट फाइनेंशियल सलाह दे रही हैं। तन्वी जी के अनुसार अक्सर लोग पैसे से जुड़ी ये 7 गलतियां कर बैठते हैं। इसकी वजह से घर का बजट बनाने में भी मुश्किल होती है।
1. पैसे के बारे में बात नहीं करना-
आम तौर पर यही देखा जाता है कि पति और पत्नी एक दूसरे से इसके बारे में बात नहीं करते। पत्नी घर संभाल रही हो या फिर बाहर काम कर रही हो तो भी इसके बारे में बातें नहीं की जातीं। बच्चे अगर पढ़ने की उम्र में हैं या टीनएज हो गए हैं तो उन्हें भी अक्सर घर पर ये नहीं बताया जाता है कि निवेश और बचत की जरूरत क्या है। हफ्ते में कम से कम एक बार सभी को बैठकर घर और पैसे के खर्च से जुड़ी बातें करनी चाहिए। इससे वो खर्च भी सामने आ जाता है जिसका शायद अंदाजा भी नहीं होता। ये घर का बजट बनाने में भी मददगार साबित हो सकता है।
2. पहले खर्च फिर जो बचा वो निवेश-
हमारी भारतीय संस्कृति में एक आम कहावत है कि , 'जितनी चादर है उतना ही पैर पसारो'। ये बहुत अच्छा कथन है, लेकिन इसे हमें थोड़ा सा बदलना होगा क्योंकि हम हमेशा जितना खर्च है उतना कर लो और उसके बाद जो बचा वो बचत। इससे समस्या ये होती है कि जरूरत से अधिक खर्च भी हो जाता है और बचत कम रह जाती है। इसे थोड़ा सा बदलने की जरूरत है और कमाई के बाद एक निश्चित बचत और उसके बाद जितना बचा उसे खर्च करना चाहिए। ये बजट आसानी से बन सकता है कि महीने में कितनी बचत की जा सकती है।
3. बचत और निवेश का अंतर न समझना-
मान लीजिए आप हर महीने की आय में से कुछ पैसे बचा लेते हैं, लेकिन क्या इन पैसों को बचाने से सिर्फ काम हो जाता है? जी नहीं, बचत और निवेश में काफी अंतर है जिसे समझने की जरूरत है। पैसे ड्रॉअर में पड़े रहें या फिर वो बैंक के सेविंग्स अकाउंट में रखा है तो उससे हमारे भविष्य के लिए कोई फायदा हो रहा है? बिलकुल नहीं। तन्वी जी का कहना है कि उनके पास बहुत से लोग आते हैं और वो यहीं मात खा जाते हैं। उन्हें निवेश इस बारे में सोचकर करना चाहिए कि भविष्य में ये कितना रिटर्न देगा।
4. अपनी बचत और निवेश को ऑटोमैटिक मोड पर नहीं डालना-
बैंक की RD या FD जिसका ऑटोमैटिक पैसा कटता है वो ज्यादा सही है। भले ही बचत और निवेश का कोई भी मोड हो पैसा ऑटोमैटिक हर महीने कटना चाहिए। कारण ये है कि अगर बचत हर वक्त नहीं होगी तो हम उस कमाई को खर्च करने के लिए उत्सुक रहेंगे। अकाउंट में या जेब में ज्यादा पैसा होने का मतलब है कि उसे खर्च करने का लालच भी बढ़ जाएगा। अगर सैलरी आते ही एक अच्छे फाइनेंशियल एक्सपर्ट की मदद से पैसे निवेश कर देंगे तो हमारा भविष्य सुरक्षित होगा।
5. अपने पैसे को अलग-अलग जगह न निवेश करना-
पैसा है आपके पास तो क्या हर बार वो एक ही तरह से निवेश किया जाएगा? कई लोग सिर्फ FD बनाते रहते हैं, कुछ को पोस्ट ऑफिस की NSC अच्छी लगती है, लेकिन इसका सीधा सा मतलब ये होता है कि पैसे के साथ कोई एक्सपेरिमेंट नहीं किया जाता। कारण ये है कि अगर एक ही तरह से पैसा निवेश होगा तो खतरे की स्थिति में एक ही साथ उसके खर्च होने या फिर डूब जाने की गुंजाइश भी होती है।
6. फाइनेंशियल भाषा से डरना और इसके कारण रिस्क न लेना-
इंसान का दिमाग जो चीज़ समझ नहीं पाता वो उससे हमेशा डरता रहता है और ये बहुत आम घटना है कि लोग खुद को फाइनेंशियल भाषा सिखा नहीं पाते। ऐसे में उन्हें जानकारी न के बराबर रहती है। होता ये है कि ऐसी स्थिति में निवेश के समय हम बहुत ज्यादा सोच विचार में लग जाते हैं और कई बार डर के कारण रिस्क नहीं ले पाते। इससे बाद में नुकसान होने की गुंजाइश है।
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7. कर्ज को न समझना-
बहुत से लोगों के पास होम लोन होता है, कार का लोन होता है, क्रेडिट कार्ड से खर्च होता है। अर्थव्यवस्था में कर्ज की दरें लगातार बढ़ती और घटती रहती है। ऐसे में हमारे कर्ज पर भी असर पड़ता है। किसी भी तरह के लोन को हमेशा फाइनेंशियल एक्सपर्ट से हर साल रिव्यू करवाना चाहिए। क्या पता ब्याज की दर इससे कम हो सके। इसी तरह से क्रेडिट कार्ड सबसे महंगा तरीका है ऐसे में कई बार वो बहुत महंगा पड़ जाता है। कोशिश करें कि हर वक्त क्रेडिट कार्ड निकालने से बचें।
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