महिलाओं को ऊंचे-ऊंचे रिटर्न दिखाकर कई तरह की योजनाओं में पैसे देने का लालच दिया जाता है। महिलाएं भी ऊंचे रिटर्न देखकर इन योजनाओं में पैसा लगा देती हैं। लेकिन कुछ ही समय में पता चलता है कि रिटर्न तो दूर अपनी जमा पूंजी भी ठगी गयी है।
पोंजी स्कीम में बड़े-बड़े रिटर्न देने से महिलाओं को लालच दिया जाता है। यह मनुष्य का स्वभाव है कि ऊंचे रिटर्न देखकर हर कोई इन स्कीम की ओर खींचा चला जाता है। लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि ये पोंजी स्कीम क्या है और इनमें पैसा क्यों नहीं लगना चाहिए।
अधिकतर महिलाएं ही पोंजी स्कीम के शिकार होते हैं क्योंकि इनमें अधिक रिटर्न का लालच दिखाया जाता है। पहले कुछ समय तक आपको रिटर्न दिया भी जाएगा। कुछ समय बाद जब आप रिटर्न की मांग करते हैं तो पहले कुछ लोगों को जोड़ने के लिए कहा जाता है। जैसे ही आप कुछ और महिला मित्रों को इसमें शामिल करते हैं आपको पैसा मिल जाता है। इस तरह आपका भरोसा बढ़ता है और आप अधिक से अधिक महिलाओं को शामिल करते चले जाते हैं।
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ये कंपनियां शुरु में विश्वास जीतने के लिए आपके आसपास ऑफिस भी खोल लेते हैं। जिसे ये लोग आपको यह भी भरोसा दिलाते हैं कि हमारा ऑफिस आपके घर के पास में ही। जब जरूरत हो तब आप ऑफिस पहुंच भी सकते हैं। कई बार तो डोर-डू-डोर सर्विस भी ये लोग देते हैं ताकि आपका विश्वास इन पर अटूट हो जाए। शुरु-शुरु में आपको बहुत गिफ्ट भी दिए जाते हैं ताकि आपका भरोसा जीता जा सके।
बैंक में ब्याज दर 4 फीसदी के आसपास है जबकि शेयर बाजार में भी 10 फीसदी के रिटर्न बहुत ही मुश्किल से मिलते हैं।
जबकि पोंजी कंपनियां 15 से 20 फीसदी तक का रिटर्न देने का वादा करते हैं। यह असंभव है। जब ये कंपनियां कुछ बनाती ही नहीं हैं तो प्रोफिट कहां से कमाती है। इसका मतलब साफ है कि जो पैसा आपने और अपनी सहेलियों से जमा करवाये हैं उन्हीं में से एक हिस्सा आपको भी दिया जाता है।
ये कंपनियां किसी रेगुलेटर जैसे भारतीय रिजर्ब बैंक, सेबी, आईआरडीएआई आदि पीएफआरडीए से संबंध नहीं होते। किसी भी तरह की अनहोनी या इनके भाग जाने पर इनके बारे में जानकारी जुटाने मुश्किल होता है। इसलिए जब भी ऐसा कोई स्कीम आपको पेशकश करता है तो पहले पता करें कि वो कहां से पंजीकृत हैं।
ऐसा नहीं है कि हमारे देश में कानून नहीं है, लेकिन आपको ज्यादा जागरुक होना होगा। कंपनी के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होने के कारण इन कंपनियों के बारे में सख्त कार्रवाई करने में भी दिक्कतें आती हैं।
आमतौर पर स्कीम बेचते समय ये लोग आपको गारंटी शब्द का इस्तेमाल कर फंसाते हैं। समझ लीजिए कोई भी अगर गारंटी का शब्द इस्तेमाल कर रहा है तो कुछ गड़बड़ है। क्योंकि फाइनेंसियल मार्केट में कुछ भी गारंटेड नहीं होता। मार्किट में जितना बिक्री होती है उसी का रिटर्न होता है, जबकि इनके पास बेचने के लिए कुछ सामान होता ही नहीं है।
इन पोंजी स्कीम चलाने वालों के बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं होती है। इन कंपनियों के बड़े पदाधिकारियों और ऑफिसों की जानकारी भी सार्वजनिक नहीं होती है। यह इसलिए ताकि इनकी करतूतों का खुलासा होते समय ये लोग भाग सकें। वैसे फॉर्म भरवाते समय इतना लंबा चौड़ा फॉर्म भरवाते हैं कि पहली नज़र में यह काम प्रमाणिक लगता है। आपसे हर तरह के डॉक्यूमेंट भी मांगे जाएंगे। आपको कहीं से भी एहसास नहीं होगा कि आप गलत जगह अपना पैसा फंसा रहे हैं।
नए लोगों का विश्वास जीतने के लिए पोंजी स्कीम वाले कई बार ऑनलाइन फॉर्म भी भरवाते है। लेकिन कुछ ही दिनों में इंटरनेट में प्रोबल्म, सर्वर प्रॉबल्म दिखाकर सारा पैसा लेकर भाग जाते हैं।
रिटर्न के बारे में मौखिक ही कहा जाता है। क्योंकि बताने वाला एडवाइजर (एजेंट) भी जान पहचान या रिश्तेदार होता है इसलिए महिलाएं आंख मूंदकर भरोसा कर लेती हैं। इनके रिटर्न को आप कहीं जाकर चैक नहीं कर सकते कि ये झूठ बोल रहे हैं या सच। इतना ही नहीं ये लोग भी अपने रिटर्न के बारे में कहीं लिखित में नहीं बताते हैं।
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आमतौर पर पोंजी स्कीम वाले पहले तीन महीने में पैसा डबल होने की बात करते हैं जबकि उसके बाद 45 दिन बाद पैसे के दोगुने होने की बात करते हैं। यहां कोई बिजनेस मॉडल नहीं होता है। यहां हमेशा नया कोई पैसा डालता है और उसी पैसे में से कुछ पैसा आपको दिया जाता है। इससे लगता है कि पैसा का अच्छा रिटर्न आ रहा है।
देश में रोज वैली, शारदा, आईएमए, स्टॉकगुरु और स्पीक एशिया ऐसे ही पोंजी स्कीम के उदाहरण हैं जो लोगों के पैसे लेकर फरार हो गए।
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