'मैं लिखने और पढ़नें का काम दाएं हाथ से करती हूं'। अगर आपसे कोई ये सवाल पूछे कि आप अपनी काम किस हाथ से करती है तो आपका लगभग यही जबाब होगा। लेकिन कभी आपने सोचा है कि अगर कोई महिला या पुरुष ये बोले कि मैं अपना लिखने का काम बाएं हाथ से ही करता हूं या करती हूं, तो इसके पीछे क्या वजह हो सकती है? शायद आपको हैरानी होती होंगी कि आखिर कोई लिखने में बाएं हाथ का उपयोग कैसे इतने आराम से कर लेते हैं। अगर दुनिया भर में इसका प्रतिशत निकला जाएं तो लगभग 80-90 प्रतिशत लोग लिखने के लिए दाएं हाथ का ही इस्तेमाल करते हैं। तो फिर ऐसी क्या है जिसके वजह से कोई बाएं हाथ से लिखता है। चलिए जानते हैं आखिर इसके पीछे क्या वजह है कि कोई बाएं हाथ से लिख रहा या लिख रही है-
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शोधकर्मी यह जानने में लगे है की आखिर बाएं हाथ का इस्तेमाल करने वालों की संख्या पूरी दिनिया में लगभग 10 फीसदी ही क्यू है? शुरुआत में यह आम धारण थी कि बाएं हाथ से लिखने की वजह इंसान के अंदर जीन होने का कारण है, पर बाद में इससे सभी असहमति लगे और बाएं हाथ से लिखने का कुछ और कारण बताते हैं। क्या बाएं हाथ से लिखने या पढ़ना कोई पैदायशी कारण है? या कुछ और। इन सभी सवालों का जबाज 'ए जर्नल ऑफ न्यूरोलॉजी' में प्रकाशित एक लेख से पूरा होता है।
ब्रेन, ए जर्नल ऑफ न्यूरोलॉजी में प्रकाशित एक रिसर्च में, कहां गया है कि ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के द्वारा चार लाख लोगों पर एक शोध किया है। डीएनए शोध में पाया कि मनुष्य के शरीर में मौजूद जीनेम के चार क्षेत्र आमतौर पर बाएं हाथ से जुड़े हुए है, और जिनमें से तीन ब्रेन के विकास और संरचना में शामिल है। ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि जैविक अंतर पर रिसर्च करके यह मालूम किया जा सकता है कि ब्रेन किस तरह बाएं और दाएं हाथ से लिखने में मदद करता है।
साल 2005 में जर्नल न्यूरो सईकोलॉजीया के रिपोर्ट में कहां गया है कि बच्चों की पैदाइश से पहले ही जान सकते है कि वह दुनिया में आकर बाएं हाथ से लिखेगा या दाएं हाथ से। इस रिपोर्ट में आगे कहां गया है कि वैज्ञानिकों ने माँ के गर्भ में पल रहे बच्चों का टेस्ट करने के लिए अल्ट्रासाउंड किया, तो यह मालूम चला कि 10 में से 9 बच्चें दायां अंगूठा चूस रहे हैं, वही एक बच्चा बाएं हाथ का अंगूठा चूस रहा है। शोध में कहां गया कि जब यह निरिक्षण किया गया कि कौन सा बच्चा बाद में दाएं हाथ से लिखता है और कौन सा बच्चा बाएं हाथ से, तो आगे चल के अल्ट्रासाउंड वाला ही नतीजा पाया गया।
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अमूमन समाज में यह मान लिया जाता है कि, अगर वो बाएं हाथ से लिख रहा है तो वह जान-बुझ के लिख रहा है या बच्पन के आदत ने ही उसे आज बाएं हाथ से लिखने पर मजबूर कर दिया है। लेकिन ए जर्नल ऑफ न्यूरोलॉजी और जर्नल न्यूरो सईकोलॉजीया के शोध से मालूम चलता है कि यह कोई वैज्ञानिक कारण ही है जिसके चलते बाएं और दाएं हाथ से लिख रहें हैं।
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