होली का माहौल है और गाना बजता है! भंग का रंग जमा हो चकाचक, फिर लो पान चबाय... जैसे ही डॉन फिल्म का ये गाना स्टार्ट होता है लोग झूम उठते हैं। कोई गलत बात तो नहीं बोला मैंने? खैर, होली का नाम सुनते ही दिमाग में रंग-गुलाल, स्वादिष्ट-स्वादिष्ट मिठाई, एक से एक बेहतरीन वेज और नॉनवेज के साथ-साथ भांग का नाम आ जाता है।
कहा जाता है कि होली का मज़ा तब ही है जब भांग का रंग चढ़ा हो। होली के शुभ मौके पर कई लोग भांग की ठंडाई और भांग की लस्सी बनाकर पीना पसंद करते हैं। कई लोग भांग का लड्डू बनाकर भी होली के दिन खाना पसंद करते हैं। आज होली और भांग का रिश्ता भारतीय संस्कृति में हिस्सा बन चुका है। लेकिन क्या आपको मालूम है कि होली के मौके पर भांग खाने और पीने के पीछे की दिलचस्प कहानी क्या हो सकती है? अगर आपको नहीं मालूम है तो आपको इस आर्टिकल को ज़रूर पढ़ना चाहिए। क्योंकि इस लेख में हम आपको दिलचस्प कहानियों के बारे में बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं।
हिन्दू धर्म के तीन प्रमुख भगवान से एक शिव को भांग से जोड़कर देखा जाता है। कहा जाता है कि एक बार भगवान शिव किसी बात से नाराज हो गए थे और नाराज होने के बाद वो घर से निकल गए। घर से निकलने के बाद किसी अंजान जगह भटक गए और बगल में ही भांग की खेत थी जहां उन्होंने सोकर रात गुजार दी। जब भगवान शिव सुबह में उठे तो उन्हें भूख लगी और कुछ नहीं मिलने पर भांग को ही खाने लगे। इसके बाद भांग को भगवान शिव के साथ जोड़कर देखा जाने लगा।
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हिन्दू धर्म में चार वेद है। चारों देव में आखरी वेद है अथर्ववेद। किवंदती के अनुसार इस वेद के एक हिस्से में भांग का भी जिक्र किया गया है। कहा जाता है कि भांग एक औषधीय पौधा है जिसके इस्तेमाल से कई बीमारियों को दूर भी किया जा सकता है। भांग को लेकर ये भी कहा जाता है कि अथर्ववेद के अनुसार भांग के पेड़ की गिनती धरती के पांच सबसे पवित्र पौधे में होती है।
कहा जाता है कि मध्यकाल में वैध की जगह दरबार में हकीम ने ले लिया था। जब हकीम किसी भी इंसान का इलाज करते थे तो भांग भी सेवन करने की सलाह देते थे। कहा जाता है कि मध्यकाल में न्युनानी हकीम भी चिकित्सा में भांग का इस्तेमाल करते थे। एक अन्य किवंदती ये है कि मुगल बादशाह हुमायूं भांग का शौक़ीन था। (होली में बनाएं काजू रोल्स) वो दूध, घी या चपाती आदि व्यंजन में मिक्स करके भांग का सेवन करता था। हुमायूं के अलावा दरबार में मौजूद अन्य लोग भी करते थे।
भांग का संबंध 1857 की क्रांति से भी जोड़कर देखा जाता है। माना जाता है कि जब मंगल पण्डे ने विद्रोह का बकुल फूंका था तो उसके पीछे भांग की भूमिका थी। कहा जाता है कि जब मंगल पण्डे पर विद्रोह का मुकदमा चला तो उन्होंने भांग का सेवन करने की बात बोली थी। हालांकि, कई लोग इस तथ्य को गलत भी बोलते हैं। एक अन्य किवंदती है कि कई ब्रिटिश अधिकारी भी भांग का सेवन और व्यापार करते थे।
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भोले शिव शंकर, कांटा लगे न कंकर जो प्याला तेरा नाम का पीया.... आज भी इस गाना को भांग और शिव से जोड़कर देखा जाता है। इसके अलावा ब्रदर की दुल्हनिया फिल्म में भी भांग के ऊपर गाना है। इसी तरह रंग बरसे भीगे चुनर वाली.... गाने में भी हीरों भांग के नशे में रहता है और गाना गाता है। होली के मौके पर बिहारी, पंजाबी आदि गाने में भी भांग का जिक्र मिलता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि फेमस हिंदी उपन्यास 'राग दरबारी' में भी भांग का जिक्र है।
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