जब भी कम्युनिकेशन स्किल्स की बात होती है तो अक्सर लोग सही तरह से बोलने पर ही जोर देते हैं। मसलन, आपको कब कहां और कितना बोलना चाहिए। आपके शब्दों का चयन व आवाज की टोन किस तरह की होनी चाहिए। लेकिन अगर आप अच्छी वक्ता है और एक बेहतरीन श्रोता नहीं है तो इसका अर्थ है कि आपको अभी भी अपने कम्युनिकेशन स्किल्स पर काम करने की जरूरत है। बातचीत का अर्थ यह नहीं है कि आप कितना अच्छा बोल सकती हैं, बल्कि यह भी जरूरी है कि आप दूसरे व्यक्ति की बातों को कितना ध्यान से सुनती हैं।
हालांकि बहुत से लोग इस ओर ध्यान ही नहीं देते। लेकिन कई बड़े महान व्यक्तियों ने सुनने से होने वाले लाभों के बारे में बताया है। जैसे अमेरिकन उपन्यासकार तथा कहानीकार अर्नेस्ट हेमिंग्वे ने एक बार कहा था कि मुझे सुनना पसंद है। मैंने ध्यान से सुनने से बहुत कुछ सीखा है। ज्यादातर लोग कभी नहीं सुनते।‘ इसी तरह, ग्रीक स्टोइक दार्शनिक एपिक्टेटस के शब्दों में,‘ प्रकृति ने हमें एक जीभ और दो कान दिए ताकि हम जितना बोलते हैं उससे दोगुना सुन सकें।‘ इन महान व्यक्तियों के कथन यह साफ जाहिर करते हैं कि जीवन में बोलने से ज्यादा सुनना अहम् हैं। जब आप दूसरों की बात ध्यान से सुनती हैं तो बहुत कुछ आप यूं ही सीख जाती हैं। तो चलिए आज हम आपको कुछ ऐसे टिप्स के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें अपनाकर आप भी एक अच्छी श्रोता बन सकती हैं-
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बनाएं आई-कॉन्टैक्ट
अगर आप अपने कम्युनिकेशन को प्रभावी बनाना चाहती हैं तो हमेशा बातचीत के दौरान आई कॉन्टैक्ट बनाएं। इससे दो लाभ होते हैं। सबसे पहले तो सामने वाले व्यक्ति को लगता है कि आप उसकी बात बेहद ध्यान से सुन रही हैं। दूसरा, जब आप आई कॉन्टैक्ट बनाकर सामने वाले व्यक्ति की बात सुनती हैं तो इससे आपका ध्यान भी एकाग्र होता है और आप शांतिपूर्वक सामने वाले व्यक्ति की बातों को सुन व समझ पाती हैं।
स्मार्ट फोन को रखें दूर
कभी भी अपने फोन या कंप्यूटर पर इंटरनेट पर ब्राउजिंग करते हुए सामने वाले की बात ना सुनें। इससे आपका पूरा ध्यान सामने वाले की बातों पर नहीं होता और कम्युनिकेशन उतना प्रभावी नहीं होता। इसी तरह, सामने वाले व्यक्ति को ऐसा अहसास होता है कि उसकी बात नहीं सुनी जाती है। इसलिए सुनिश्चित करें कि आप बातचीत के दौरान फ़ोन नीचे रखें। जब तक आपको कुछ चेक करने या लिखने के लिए फोन की आवश्यकता ना पड़े। डिस्ट्रैक्शन को दूर रखकर आप यकीनन एक अच्छी श्रोता बन सकती हैं।
जब आप सुनें, तो बस सुनें
कुछ महिलाओं की यह आदत होती है कि वह बातचीत के दौरान आधी बात सुनकर ही अपनी राय देने लग जाती है। लेकिन अच्छा श्रोता बनने के लिए धैर्य का परिचय देना जरूरी है। इसलिए जब भी आप सामने वाले व्यक्ति की बात सुनें तो बस सुनें। किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने की जल्दबाजी ना करें। बस उसी पल में मौजूद रहें और दूसरे व्यक्ति को जो कुछ भी कहना है उसे पूरी तरह से सुनें। आप उसे तब तक बोलने दें जब तक कि वह अपने मन की पूरी बात कह ना दें। ऐसा शायद पहली बार में कर पाना आपके लिए संभव ना हो, लेकिन लगातार अभ्यास से ऐसा किया जा सकता है।
करें अभ्यास
सामने वाले व्यक्ति की बात सुनने का धैर्य हर किसी में नहीं होता, लेकिन अच्छा श्रोता बनने के लिए धैर्य रखना बेहद जरूरी है। इसके लिए आप कुछ चीजों का अभ्यास कर सकती हैं। जैसे-सुबह खिड़की खोलकर ताजा हवा को महसूस करना या थोड़ी देर बाहर टहलना या फिर कुछ देर व्यायाम, योग व मेडिटेशन करना। इस तरह का अभ्यास आपके भीतर की ऊर्जा और मानसिक स्पष्टता को बनाए रख सकती है। जिसके कारण आप यकीनन एक अच्छी श्रोता बन सकती हैं।
सिर्फ बेहतर संचार के लिए ही नहीं, बल्कि जीवन में रिश्तों से लेकर करियर को संवारने के लिए थोड़ा सुनना भी आना चाहिए और थोड़ी पै्रक्टिस व धैर्य से आप यकीनन ऐसा कर सकती हैं। इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़े रहें हमारी वेबसाइट हरजिन्दगी से।
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