आजकल की लाइफस्टाइल के चलते डिप्रेशन एक आम समस्या बन गई है। लेकिन जब निजी लाइफ में डिप्रेशन आने लगता है तो कुछ समझ नहीं आता है और व्यक्ति परेशान रहने लगता है। डिप्रेशन या निराशा क्या है और इससे कैसे बचना चाहिए। इस बारे में हमें ग्लोबल लिडिग होलिस्टिक के हेल्थ गुरु और कॉर्पोरेट लाइफ कोच डॉक्टर मिकी मेहता बता रहे हैं। अगर आपकी निजी जिदंगी में निराशा बहुत ज्यादा बढ़ गई हैं तो घबराएं नहीं बल्कि एक्सपर्ट के टिप्स से इससे छुटकारा पाएं। लेकिन सबसे पहले जान लेते हैं कि निराशा क्या है।
निराशा दो तरह की होती हैं। एक नैदानिक जो बीमारी के कारण होती है और दूसरा स्व-निर्मित। नैदानिक मामले बहुत दुर्लभ हैं। नैदानिक निराशा होने की स्थिति में चिकित्सीय सहायता की जरुरत होती है, लेकिन प्राकृतिक उपचारों को परखने के बाद। आजकल अनेक लोगों को जरुरत से ज्यादा सोचने, अत्यधिक चिंता करने, भावनात्मक असंतुलन, नेगेटिव सोच, काम का प्रेशर, अव्यावहारिक लक्ष्य, परिवार का प्रेशर, चिंता, भय, अनावश्यक तवज्जो की चाहत, आराम/नींद की कमी, फिजिकल एक्टिविटी की कमी, खराब पोषण, मोटापा आदि के कारण निराशा या व्यग्रता का अनुभव होता है।
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ऐसे में चिंता और निराशा पैदा करने वाले कारणों का सामना कैसे करें
- मन और तन से हेल्दी रहने के लिए प्रथम चरण के रूप में जीवन के प्रति पॉजिटीव दृष्टिकोण का होना बहुत ज़रूरी है।
- हद से ज्यादा गंभीर नहीं बनें.... आनंदपूर्वक जीएं, मन करें तो खूब जोर से हंसे या रोयें, बेमतलब मुस्कुराएं।
- बेशक ज़िंदगी में ऐसी ढेरों चीजें हैं जिनके कारण आपको कभी-कभी काम, रिश्ते, कारोबार आदि में निराशा महसूस होती है। लेकिन हालत को तुरंत पलटने के लिए हमारे चेहरे पर मुस्कान का होना ज़रूरी है..... हर चीज और हर व्यक्ति के प्रति कृतज्ञता-भाव के साथ।
- ऐसी अनेक परिस्थितियां होतीं हैं जो आपको निराशा में डुबो देतीं हैं, किन्तु हमें यह समझना चाहिए कि यह परिस्थिति गुजर जायेगी और फिर हम किसी बाहरी स्थिति के लिए अपने मन की शान्ति और आनंद को प्रभावित क्यों होने दें।
कहना हमेशा करने से आसान होता है
- क्या-क्या करना है यह तो हर कोई जानता है, लेकिन सवाल है, “कैसे”। इस सवाल का जवाब यह है कि सबसे पहला और सबसे ज़रूरी ही सचेतन शारीरिक गतिविधि.... योग, टहलना, दौड़ना, जिम, तैरना, साइकिल चलाना एरोबिक्स, जुम्बा आदि कुछ भी जो आपके अनुकूल हो।
- एक्सरसाइज से खुशी हॉर्मोन का स्राव करता है और आपको संतुलित रखता है। साथ ही, खुद को तंदुरुस्त भी रखें।

लेकिन इनमें सबसे बढ़िया है योग, ध्यान
- योग– अगर आप चाहते हैं कि आपका मन आपके हित में, न कि विरुद्ध काम करें..... तो इसकी पहली शर्त है कि आपका शरीर लचीला हो ताकि आपका मन पर्याप्त लचीला रहे। आपके शरीर से आपके मन का बहुत कुछ तय होता है। साथ ही योग से आपका न्यूरोलॉजिकल सिस्टम बैलेंस बना रहता है।
- ध्यान– न्यूरोलॉजिकल सिस्टम की बात, यानि....... ध्यान – बस रीढ़ सीधी, ठुड्डी थोड़ा ऊपर की ओर दोनों भौंह के बीच ध्यान फोकस करके अपनी श्वास महसूस करना। श्वसन विधियां जैसे कि प्राणायाम, अनुलोम विलोम, कपालभाति, भ्रामरी, सुख क्रिया करें। ॐ का उच्चारण...... सार्वलौकिक ध्वनियां हैं, जो हमारी ऊर्जा तंत्र में गूंज उत्पन्न करने में सहायक हैं और हमारे चक्र को संतुलित करतीं हैं।
बैलेंस और सही पोषण की भी भूमिका है!
- हेल्दी /बैलेंस डाइट लें..... पर्याप्त और विविध फल एवं सब्जियां, विशेषकर हरी सब्जियां अपनी भरपूर ऑक्सीकरणरोधी शक्तियों से आपके शरीर को निर्मल और विषरहित बनातीं हैं।
- साथ ही आपके आरोग्य, पोषण और रक्षा के लिए विटामिन और मिनरल से भरपूर फूडृस लेते रहें।
- भारत में अद्भुत जड़ी-बूटियों का भंडार है..... हर्बल पेय, चाय आदि को अपनी डाइट में शामिल करें।
- कैफीन से दूरी या दैनिक आधार पर कैफीन की कम मात्रा लें। अल्कोहल को दूर ही से प्रणाम करें।
- फाइबर से भरपूर भोजन करें, अपनी आंत को हेल्दी रखने के लिए प्रोबायोटिक्स और प्रीबायोटिक्स फूड्स लेने की आदत डालने से आपकी आंते हेल्दी रहतीं हैं। आंत आपका दूसरा ब्रेन है, आपके ब्रेन का जुड़वां।
- रात में जल्दी खा लेना, समय पर खाना, बस पर्याप्त मात्रा में खाना और जरुरत से अधिक नहीं खाना...... समय पर उपवास और डिटॉक्सिफिकेशन से फायदा हो सकता है।
- नेचर के साथ जुड़ना, अर्थात अक्सर पर्वतों में घूमना.... समुद्रतट पर, घास पर या शहर की धमाचौकड़ी से दूर, कहीं जंगल में सामान्य ढंग से पैदल चलना।
- तनाव दूर करने के लिए रिलैक्सिंग मसाज करें।
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