अक्सर बच्चे बाहर खेलने के बजाय घर में ही खेलना पसंद करते हैं। इंटरनेट सर्फिंग भी बच्चों को बहुत पसंद आती है। इंटरनेट पर बच्चों के लिए बहुत सारा इंट्रस्टिंग कंटेंट होता है, लेकिन यह भी सच है कि अगर बच्चों पर निगरानी नहीं रखी जाए तो वे एडल्ट या नेगेटिवली असर करने वाले कंटेंट तक भी पहुंच सकते हैं। माइक्रोसॉफ्ट डिजिटल सिविलिटी इंडेक्स की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया कि एडल्ट्स की तुलना में टीन्स को इंटरनेट यूज करने में ज्यादा जोखिम है।
मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि पेरेंट्स को बच्चों की इंटरनेट एक्टिविटीज के बारे में ज्यादा अटेंटिव रहना चाहिए। उन्हें अपने बच्चे के बिहेवियर पर भी नजर रखनी चाहिए, क्योंकि इसमें किस तरह का बदलाव इमोश्नल अब्यूज का संकेत हो सकता है। ऐसा कुछ होने पर उन्हें बचाव के तरीके भी फौरन अपनाने चाहिए। इसीलिए साइबरस्पेस को सुरक्षित बनाने और बच्चों की छुट्टियां मजेदार बनाने के लिए आप कुछ टिप्स का ध्यान रख सकती हैं-
अगर आपके बच्चों ने हाल-फिलहाल में ही इंटरनेट सर्फिंग की शुरुआत की है, तो आपको उन्हें इससे जुड़े खतरों से आगाह करना चाहिए। यह भी जरूरी है कि पेरेंट्स बच्चों से खुली सोच के साथ बातचीत करें। साथ ही उन्हें यह भी देखना होगा कि कहीं बच्चे को इंटरनेट की लत ना लग जाए। इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे के यूज करने से पहले आपके सभी डिवाइस सेफ और सिक्योर हों। बच्चे को डिवाइस का एडमिन ना बनाएं। ऑपरेटिंग सिस्टम का लेटेस्ट वर्जन इंस्टॉल करें। इस बात का भी ध्यान रखें कि सिस्टम रेगुलर तरीके से अपडेट होता रहे। वायरस प्रोटेक्शन को चेक और अपडेट करते रहें। वेबसाइट्स पर प्राइवेसी सेटिंग एनेबल कर दें। एक महत्वपूर्ण चीज ये कि सभी डिवाइसेस से जिओलोकेशन सेटिंग डिसेबल कर दें। इसके लिए Windows settings में Update and security में जाकर settings को अपडेट कर दें।
इंटरनेट से आने वाली अनचाही सामग्री को रोने का सबसे इफेक्टिव तरीका है स्ट्रॉन्ग पासवर्ड। लंबे पासवर्ड, जिसमें लोअर केस, कैपिटल लेटर, नंबर और सिंबल होते हैं, उन्हें बेस्ट माना जाता है। यह भी जरूरी है कि आपका पासवर्ड बहुत टेढ़ा ना हो। मसलन आप किसी फेवरेट सॉन्ग को पासवर्ड बना सकती हैं।
हर जगह वायरस और स्पाइवेयर हो सकते हैं, इसीलिए किसी अनचाने ऑप्शन पर क्लिक करनें में सावधानी बरतें, फिर चाहें वो वेबसाइट हों, लिंक्स हों या फिर ईमेल। अगर कोई व्यक्ति आपका जानकार भी हो, तो भी इन पर क्लिक करते हुए पूरी तरह अटेंटिव रहें।
बच्चों को इस बारे में बताएं कि किसी से भी अपनी पर्सनल इन्फॉर्मेशन शेयर नहीं करें, जिन्हें वे जानते नहीं हों। बिना प्राइवेस फिल्टर के सोशल मीडिया पर अपनी पर्सनल इन्फॉर्मेशन साझा करना भी आपके बच्चे को मुश्किल में डाल सकता है। पेरेंट्स को यह भी देखना चाहिए कि जब बच्चे का मूड खराब हो, वह गुस्से में हो या फिर वह किसी बात से बहुत ज्यादा इमोशनल हो तो वह सोशल मीडिया का इस्तेमाल नहीं करे।
पेरेंट्ल कंट्रोल सेट करने के बाद आप उनकी एकेटिविजी पर डीटेल्ड रिपोर्ट देख सकती हैं। बच्चों की एक्टिविटीज को रेस्ट्रिक्ट करने वाली एप्लीकेशन के ऑप्शन भी आप चुन सकती हैं मसलन बच्चे कौन सी वेबसाइट देखेंगे, कितना टाइम कंप्यूटर और दूसरी विंडो बेस्ड एक्टिविटी में बिताएंगे। विंडोज 10 में पेरेंटल कंट्रोल के लिए आप 'फैमिली ऑप्शन' भी सेलेक्ट कर सकती हैं।
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