पूजा के समय आसन पर बैठना क्यों होता है जरूरी

Significance Of Asana In Puja: पूजा-पाठ को लेकर कई विशेष नियम बनाए गए हैं। उन्हीं नियमों में से एक है पूजा के दौरान आसन का इस्तेमाल करना। आइए जानें इसके महत्व और इसके फायदों के बारे में कुछ बातें।

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हिंदू धर्म में पूजा-पाठ को लेकर कुछ विशेष नियम बनाए गए हैं और इनका पालन करने से जीवन में सदैव खुशहाली बनी रहती है। ऐसा माना जाता है कि पूजा के दौरान आपका तन और मन दोनों ही पवित्र होना चाहिए।

पूजा से जुड़े कुछ विशेष नियमों में से एक है किसी आसान में बैठकर पूजा करना। मान्यता है कि पूजा कभी भी जमीन पर सीधे बैठकर नहीं करनी चाहिए। ज्योतिष के अनुसार जब भी आप पूजा-पाठ करें आपको एक चटाई या आसन बिछा लेना चाहिए।

पूजा के समय आसन बिछाने के कई लाभ हैं और इससे पूजा पूर्ण मानी जाती है। आइए ज्योतिषाचार्य डॉ आरती दहिया जी से जानें ज्योतिष के अनुसार पूजा के दौरान आसन बिछाना जरूरी क्यों माना जाता है।

सम्मान का प्रतीक

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पूजा के दौरान चटाई या आसन पर बैठना देवी-देवता के प्रति सम्मान का प्रतीक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि हम जिस भगवान की भी पूजा कर रहे हैं उसके प्रति सम्मान जताने के लिए आसन पर बैठना जरूरी होता है। इससे पता चलता है कि पूजा करने वाला व्यक्ति किसी भी पूजन या अनुष्ठान को गंभीरता से ले रहा है और श्रद्धा के साथ अपनी भक्ति अर्पित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

शारीरिक आराम देता है

पूजा के दौरान आसन पर बैठना शारीरिक आराम प्रदान कर सकता है। खासतौर पर जब हम लंबे अनुष्ठान के लिए बैठते हैं तो आसन से शारीरिक आराम मिलता है और पूजा में ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है। आसन आपको एक आराम प्रदान करता है जो एक स्थिर मुद्रा बनाए रखने में मदद करता है। वास्तव में इन्हीं कारणों से पूजा के दौरान आसन का इस्तेमाल जरूरी माना जाता है।

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पवित्रता का प्रतीक

पूजा के दौरान आसन को पवित्रता और स्वच्छता का प्रतीक माना जाता है। आसन पर बैठकर पूजा करने वाला व्यक्ति अनुष्ठान के दौरान शारीरिक और आध्यात्मिक स्वच्छता की स्थिति बनाए रखता है और पूजा में उसका मन भी लगता है। (मंदिर में सिर ढककर प्रवेश क्यों करना चाहिए)

परंपरा से जुड़ाव

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पूजा के दौरान चटाई या आसन पर बैठना भी हिंदू परंपरा और भारत की आध्यात्मिक विरासत से जुड़ने का एक अच्छा तरीका है। यह हिंदू संस्कृति में पूजा के महत्व और समुदाय की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में निभाई जाने वाली भूमिका को स्वीकार करने का भी एक तरीका है।

शरीर में ऊर्जा का संचार होता है

हिंदू धर्म में पूजा करते समय एक निर्देश का पालन करने की आवश्यकता होती है, वह है आसन का उपयोग करना। अक्सर कहा जाता है कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप पूजा किस समय करते हैं, लेकिन जब भी आप पूजन करें तो हमेशा आसन पर बैठकर ही करें। यदि आसन पर बैठकर पूजा-अर्चना की जाए तो पृथ्वी की ऊर्जा हमारे शरीर में पहुंचती है और हम शान्त मन से पूजा के लिए एकाग्र हो पाते हैं।

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पूजा के लिए कैसा आसन होना चाहिए

  • ज्योतिष के अनुसार आप पूजा के लिए सूती, रेशमी या ऊनी आसन का प्रयोग कर सकते हैं।
  • पूजा का आसन हमेशा साफ़-सुथरा होना चाहिए।
  • आसन पर बैठकर अनुष्ठान करने से ज्ञान, सौभाग्य, शांति, धन और सिद्धि की प्राप्ति होती है।
  • कभी भी आपको पूजा के समय पत्ते या बांस से बने आसन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
  • आसन के लिए लाल, पीला, नारंगी रंग सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है।

पूजा के दौरान आसन पर बैठना हिंदू धर्म में कई कारणों से महत्वपूर्ण माना जाता है, जिसमें देवता के प्रति सम्मान, शारीरिक आराम, पवित्रता का प्रतीक और परंपरा से जुड़ाव शामिल है। चाहे आप एक साधारण दैनिक पूजा कर रहे हों या एक जटिल अनुष्ठान, आसन पर बैठना परंपरा के प्रति श्रद्धा और प्रतिबद्धता दिखाने का एक तरीका होता है।

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