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Sarva Pitru Amavasya 2023: जानें क्या है सर्वपितृ अमावस्या का महत्व, कैसे करें पितरों की विदाई

How to Bid Farewell to Ancestors on Sarva Pitru Amavasya 2023: पितृ पक्ष का 16 दिन तक चलने वाला समय अमावस्या तिथि को समाप्त हो जाता है और पितरों की विदाई कर दी जाती है। आइए जानें क्या है सर्वपितृ अमावस्या का महत्त्व।
Editorial
Updated:- 2023-10-13, 14:02 IST

आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में 16 दिनों की अवधि पितृ पक्ष के रूप में  मनाई जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस अवधि में पितरों की बड़े ही श्रद्धा भाव से पूजा की जाती है , उनकी आत्मा की शांति के लिए हवन किया जाता है तथा पिंड दान व तर्पण किया जाता है। 16 दिनों की अवधि पूर्ण रूप से पूर्वजों को समर्पित होती है। यह भी कहा जाता है कि यही वो समय होता है जब पूर्वज अपने प्रियजनों से मिलने धरती पर आते हैं। इसलिए पूरे श्रद्धा भाव से उनका स्वागत करने के पश्चात उन्हें सर्व पितृ अमावस्या के दिन विदा कर दिया जाता है। इस बार सर्व पितृ अमावस्या 17 सितम्बर को पड़ रही है। शास्त्रों के अनुसार पितृ पक्ष में इस अमावस्या का विशेष महत्व है क्योंकि इसे पितरों की विदाई का समय भी कहा जाता है। आइए जानें क्या है सर्व पितृ अमावस्या का महत्त्व और कैसे पितरों को विदाई देना शुभ होता है जिससे वो प्रसन्न होकर वापस लौट जाएं ।

सर्व पितृ अमावस्या का महत्त्व

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पितृ पक्ष का अंतिम दिन यानी सर्वपितृ अमावस्या इस बार 17 सितंबर, गुरुवार को मनाया जा रहा है। मान्यतानुसार इस दिन तर्पण के साथ पितरों की विदाई (मातृ नवमी का महत्त्व) की जाती है। इसे सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन उन मृत पूर्वजों के लिए भी पिंड दान किया जाता है जिनकी तिथि ज्ञात न हो। सभी पितरों का श्राद्ध एक दिन ही किया जाता है इसलिए इसे सर्व पितृ अमावस्या कहा जाता है। इस दिन श्राद्ध का विशेष महत्त्व है क्योंकि इस दिन के बाद पितर विदा हो जाते हैं और अपने प्रियजनों को आशीर्वाद देते हैं।

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कैसे करें पितरों की विदाई

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अगर किसी कारण से मृत पूर्वज का श्राद्ध कर्म नहीं हो पाया है तो अमावस्या तिथि के दिन श्राद्ध कर्म किए जा सकते हैं। पितृ मोक्ष अमावस्या पर सभी ज्ञात-अज्ञात पितरों का पिंडदान आदि शुभ कर्म करना चाहिए। मान्यता ये है कि पितृ पक्ष में सभी पितर धरती पर अपने कुल के घरों में आते हैं और भोजन एवं जल तर्पण  ग्रहण करते हैं। क्योंकि अमावस्या वह तिथि है जब पितर वापस लौट जाते हैं इसलिए विधि विधान के साथ उनकी विदाई करने से ही उनका आशीष प्राप्त हो सकता है और घर में सुख समृद्धि आ सकती है। पितरों की विदाई के लिए यहाँ बताई गयी बातों का पालन करना चाहिए ।

  • इस दिन सर्वप्रथम स्नान आदि करके साफ़ मन से पितरों के लिए बिना लहसुन प्याज का सात्विक भोजन तैयार करें। ध्यान रखें कि भोजन कराने और श्राद्ध का समय दोपहर का होता है।
  • इस दिन ब्राह्मण को भोजन करवाना चाहिए एवं भोजन की सामग्री जिसमें आटा ,दाल ,चावल ,घी ,तेल एवं दही सम्मिलित हो, पंडित को दान देना चाहिए।  लेकिन सर्वप्रथम  गाय, कौआ ,कुत्ता और चींटी के लिए भोजन निकाल देना चाहिए, साथ ही अपने पितरों के नाम से भी एक जगह भोजन निकाल कर रख देना चाहिए।
  • पंडित से सम्पूर्ण पितरों के लिए पिंड दान करवाकर पितरों को विदा करना चाहिए और  पक्ष में हुई गलतियों के लिए क्षमा प्रार्थना करनी चाहिए।
  • रात्रि के समय किसी मिठाई के साथ एक दीपक प्रज्वलित करके घर के बाहर रख दें और पितरों का ध्यान करके हाथ जोड़कर उन्हें श्रद्धा पूर्वक विदा कर दें।

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क्या है पंडित जी की राय

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सर्वपितृ अमावस्या के बारे में अयोध्या के जाने माने पंडित श्री राधे शरण शास्त्री जी का कहना है कि यदि पूरे पितृपक्ष में व्यक्ति अपने पितरों का श्राद्ध किसी कारण से नहीं कर पाया हो और जिन लोगों की प्रयाण तिथियां भूल गए हैं, तो ज्ञात व अज्ञात पितरों का श्राद्ध करने के पश्चात दोपहर बाद पितरों की विदाई की जा सकती है। संध्या काल में घर के बाहर दीपक अवश्य प्रज्ज्वलित करें। यह सम्पूर्ण कृत्य अमावस्या तिथि को ही किया जा सकता है। ऐसा करने से पितर प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

 


यदि किसी वजह से आप अपने पितरों का श्राद्ध नहीं कर पाए हैं, तो पितरों की मुक्ति हेतु सर्व पितृ अमावस्या को पूरे श्रद्धा भाव से उनका नाम लेकर श्राद्ध करें। पितर अवश्य प्रसन्न होंगे।

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Image Credit:free pik

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