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Pehowa  Tirth  In  Haryana

Pitru Paksha Shradh 2020: पितरों की मुक्ति के लिए बना है यह तीर्थ , महाभारत काल से जुड़ा है इतिहास

जानें हरियाणा के कुरुक्षेत्र में बने पिहोवा को क्‍यों कहा जाता है पितरों का तीर्थ और उसका रोचक इतिहास। 
Editorial
Updated:- 2020-08-26, 19:20 IST

हिंदू धर्म में कई तीज-त्‍योहार मनाए जाते हैं। सभी का अपना विशेष महत्‍व होता है, मगर  हिंदू धर्म में हर साल 15 दिनों के लिए श्राद्ध बनाए जाते हैं। इन्‍हें पितरों के दिन कहा जाता है। इन दिनों को विशेष इसलिए माना गया है, क्‍योंकि यह समय पितरों को मुक्ति दिलाने के लिए शास्‍त्रों में निर्धारित किया गया है। वैसे तो अपने पूर्वजों और पितरों का श्राद्ध अमूमन लोग घर पर ही कर लेते हैं, मगर कुछ लोग पूरे विधि-विधान के साथ इन दिनों में अपने पतिरों की मुक्ति की कामना करते हैं और उनका श्राद्ध करने के लिए हरियाण के कुरुक्षेत्र नगर से कुछ ही दूर बसे पिहोवा तीर्थ जाते हैं। 

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Paksha Shradh

पिहोवा का इतिहास 

हिंदू धर्म में पिहोवा को पितरों का तीर्थ कहा गया है। आमतौर पर पर पिंड दान करने की जब बात आती है तो लोग बिहार में मौजूद गया तीर्थ को ही अहमियत देते हैं। मगर पिहोवा का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है। यह बात लगभग हर किसी को पता है कि कुरुक्षेत्र महाभारत की युद्ध भूमि रही है। यहां पर पांडवों और कौरवों के बीच घमासान युद्ध हुआ था। इस युद्ध में पांडवों के कई सगे संबंधी मारे गए थे। तब युद्ध की समाप्‍ती के बाद पांडवों ने भगवान श्री कृष्‍ण के साथ मिल कर अपने सगे संबंधियों की आत्‍मा को शांति पहुंचाने के लिए पिहोवा की धरती पर ही श्राद्ध किया था। तब से पिहोवा को पितरों का तीर्थ स्‍थल माना गया है। (3 जगह हैं श्राद्ध मनाने के तीर्थ)

पिहोवा के तीर्थ का महत्‍व 

शास्‍त्रों मे कहा गया है कि पिहोवा तीर्थ पर आकर, जो भी अपने पितरों का पिंड दान करता है या फिर उनका श्राद्ध मनाता है, उस पर से पितृ दोष हटने के साथ-साथ उसकी सारी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। इतना ही नहीं पिहोवा में 200 से भी अधिक पुरोहित हैं, जो किसी भी व्‍यक्ति की लगभग 200 साल पुरानी वंशावाली बता सकते हैं। पिहोवा में कई बड़े राजा-महाराजाओं का श्राद्ध मनाया जा चुका और उनके वंशजों द्वारा पिंडदान भी कराया जा चुका है। 

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श्राद्ध के लिए अमावस्‍या का दिन है खास 

पंडित विनोद पोद्दार बताते हैं, 'अश्विन मास में प्रतिवर्ष कृष्ण पक्ष से शुरू हो कर 15 दिनों तक श्राद्ध मनाया जाता है। हर व्‍यक्ति अपने पितरों का तिथि अनुसार श्राद्ध करता है। अगर कोई सही तिथि पर अपने पितरों का श्राद्ध नहीं करता है तो वह अमावस्या को सभी पितरों व अज्ञात पितरों का श्राद्ध कर सकता है।' अमावस्‍या के दिन पिहोवा में अपने सभी पितरों का एक साथ श्राद्ध करने वालों की बहुत भीड़ जमा होती है। (पितृपक्ष में न करें ये गलतियां)

 

कैसे पहुंचे पिहोवा 

पिहोवा जाने के लिए आप रेल मार्ग से कुरुक्षेत्र पहुंचे और उसके बाद आप वहां से किसी भी लोकल यातायात साधन से पिहोवा तीर्थ जा सकते हैं। 

 

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