सरयू नदी का भगवान श्रीराम से क्या है नाता? इसके बिना अधूरी है अयोध्या की गाथा

भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या में पहने वाली सरयू नदी का विशेष महत्व है। इस नदी की पूजा विशेष रूप से की जाती है। इस नदी में भगवान श्रीराम ने जलसमाधी ली थी।

Significance of sarayu river in Ayodhya

(significance of sarayu river in ayodhya) भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या में सरयू नदी का जिक्र न हो, ऐसा तो हो ही नहीं सकता है। अयोध्या की गाथा सरयू नदी के बिना अधूरी है। भगवान श्रीराम के जन्म स्थान अयोध्या से बहने वाली नदी का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। इस नदी के कई रहस्य ऐसे हैं, जिसका पता आज भी कोई नहीं लगा पाया है। बता दें, इसी नदी में भगवान श्रीराम ने समाधि ली थी और इसी नदी को एक समय में भगवान शिव ने श्राप भी दिया था। अब ऐसे में सरयू नदी का महत्व क्या है, यह कैसे उत्पन्न हुआ। इसका असली नाम क्या है। इन सभी के बारे में इस लेख में विस्तार से जानते हैं।

जानें सरयू नदी का असली नाम क्या है? (what is the real name of Sarayu river?)

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सरयू नदी का स्थान परिवर्तन होती ही नाम में बदलाव देखने को मिलता है। वहीं कपकोट, बागेश्वर, लेराघाट और रामेश्वर से निकलकर नेपाल की सीमा पर स्थित चम्पावत जिले में पंचेश्वर में काली नदीं शारदा नदी कहलाती है। यही नदी बहराइच के पास ब्रह्माघाट में घाघरा नदी कहलाती है और इनके संगम से बनी नदी को सरयू कहा जाता है। जिसके तट पर अयोध्या शहर बसा हुआ है। वर्तमान में सरयू नदी को घाघरा नदी के नाम से भी जाना जाता है।

सरयू नदी किसकी पुत्री हैं? (Whose daughter is Saryu River?)

पुराणों के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि सरयू भगवान विष्णु के नेत्रों से प्रकट हुई। ऐसा कहा जाता है कि इस पवित्र नदी का उद्गम भगवान विष्णु के आंसू से हुआ है। वहीं आनंद रामायण के अनुसार, प्राचीनकाल में शंकासुर नामक दैत्य ने वेदृ को चुराकर समुद्र में डाल दिया था और खुद भी वहीं जातक छिप गया था। इतना ही नहीं, भगवान श्रीहरि विष्णु की मानस पुत्री सरयू नदी को धरती पर लाने का श्रेय बह्मर्षि वशिष्ठ को जाता है।

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कौन हैं सरयू माता ? (Who is Saryu Mata?)

सरयू नदी भगवान श्रीहरि विष्णु के अवतार श्रीराम की साक्षी हैं। यही नदी भगवान के महाप्रस्थान का मार्ग भी है।

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भगवान शिव ने सरयू नदी को क्यों दिया था श्राप? (Why did Lord Shiva curse Saryu river?)

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भगवान श्रीराम ने सरयू नदी में ही जल समाधि ली थी और उन्होंने अपनी लीला भी यहीं समाप्त की थी। जिसके कारण भगवान भोलेनाथ उनपर बहुत क्रोधित हुए थे और उन्होंने सरयू नदी को श्राप दिया कति तुम्हारा जल मंदिर में चढ़ाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। साथ ही किसी भी पूजा-पाठ (पूजा-पाठ नियम) में इस जल का प्रयोग नहीं किया जाएगा। इसके बाद सरयू भगवान भोलेनाथ के चरणों को पकड़कर रोने लग गई और उनसे बोलने लगी कि हे प्रभु ! इसमें मेरा क्या दोष है, यह तो विधि का विधान है। इसमें मैं क्या कर सकती हूं। माता सरयू के बहुत विनती करने के बाद भगवान शिव ने माता सरयू को कहा कि मैं अपना श्राप वापस नहीं ले सकता हूं, लेकिन मैं बस इतना कह सकता हूं कि तुम्हारे जल में स्नान करने से लोगों के पाप धूल सकते हैं, लेकिन तुम्हारे जल का इस्तेमाल पूजा-पाठ के लिए नहीं किया जाएगा।

जब भगवान राम ने बताया सरयू नदीं का महत्व (significance of sarayu river in Ayodhya by Lord Ram)

सरयू नदी का वर्णन रामचरित मानस में भी बताया गया है। अयोध्या के उत्तर दिशा में उत्तरवाहिनी सरयू नदी बहती है। ऐसा कहा जाता है कि एक बार भगवान श्रीराम (भगवान श्रीराम मंत्र) ने भाई लक्ष्मण को बताया कि सरयू नदी इतनी पावन है कि यहां सभी तीर्थ और दर्शन करने के लिए आते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति इस नदी में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करता है, उसे सभी तीर्थ के दर्शन करने के बराबर फल मिलता है।

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Image Credit- Freepik

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