MahaShivratri 2023 : भगवान शिव को बेलपत्र है बेहद प्रिय, शिवलिंग पर इसे ऐसे चढ़ाने से होगा फायदा

आखिर शिवलिंग पूजा में बेलपत्र का क्या महत्व है और इसे चढ़ाने का सही तरीका क्या है। आइए ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री से जानें। 

how to offer bel patra on shivling

महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा होती है। धर्म और शास्त्रों में ऐसा माना गया है कि भगवान शिव की पूजा में उनकी प्रिय चीजों को चढ़ाने से वह खुश हो जाते हैं। वैसे तो भगवान शिव की पूजा में बहुत सारी चीजें चढ़ाई जाती हैं लेकिन सबसे ज्यादा महत्व बेलपत्र का होता है। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री बताते हैं, ‘शिवलिंग की पूजा में बहुत सारी चीजें चढ़ाई जाती हैं, लेकिन बेल पत्र भगवान शिव को अति प्रिय है। बेल के पेड़ की पत्तियों का शिव पूजन में बहुत ही अधिक महत्व है। इस पेड़ की पत्तियां एक साथ 3 की संख्या में जुड़ी होती हैं और इसे 1 ही पत्ती माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि बिना बेलपत्र के शिव जी की उपासना पूरी नहीं होती है।’शास्त्रों में भगवान शिव को बेलपत्र आर्पित करने की एक विधि होती है। चलिए जानते हैं कि शिवलिंग पूजा में किस विधि से बेलपत्र चढ़ाया जाना चाहिए।

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कैसा होना चाहिए बेलपत्र और कैसे चढ़ाया जाना चाहिए

ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार, ‘बेल पत्र के तीनो पत्ते त्रिनेत्रस्वरूप् भगवान शिव के तीनों नेत्रों को विशेष प्रिय हैं। अगर आप शिवलिंग पूजा के दौरान बेलपत्र चढ़ाती हैं तो इससे भगवान शिव खुश होंगे और आपकी मनोकामना पूरी करेंगे।’ मगर, बहुत जरूरी है कि बेलपत्र चढ़ाने से पहले आप जान लें कि बेलपत्र कैसा होना चाहिए और कैसे चढ़ाया जाना चाहिए। (रोज महामृत्युंजय मंत्र पढ़ने से मिलेंगे ये 5 लाभ)

  • ध्यान रहे कि एक बेलपत्र में 3 पत्तियां होनी चाहिए। 3 पत्तियों को 1 ही माना जाता है।
  • इस बात का भी ध्यान रखें कि बेल की पत्तियां कटी फटी न हों। बेलपत्र में चक्र और वज्र नहीं होना चाहिए। ऐसा पत्तियों को खंडित माना गया है। हालाकि 3 पत्तियां आपस में मिल पाना मुश्किल होता है। मगर, यह मिल जाती हैं।
  • बेल की पत्तियां जिस तरफ से चिकनी होती हैं आपको उसी तरफ से शिवलिंग पर चढ़ानी चाहिए। (10 तरह के होते हैं शिवलिंग)
  • यह बात बहुत कम लोगों पता होगी मगर, एक ही बेलपत्र को आप पानी से धो कर बार-बार चढ़ा सकती हैं।
  • कभी भी शिवलिंग पर बिना जल के बेलपत्र न चढ़ाएं।
  • बेलपत्र 3 से लेकर 11 दलों तक के होते हैं। ये जितने अधिक पत्र के हों, उतने ही उत्तम माने जाते हैं।
leaves offered to lord shiva

बेलपत्र का महत्व

ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री बताते हैं, ‘बिल्वाष्टक और शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव को बेलपत्र अत्यंत प्रिय है। वहीं स्कंदपुराण में बल पत्र के महत्व के बारे में बताया गया है। ऐसा कहा गया है कि यदि बेलपत्र के साथ शिवलिंग की पूजा की जाए तो सभी पापों का नाश होता है।’ एक कथा के अनुसार एक बार माता पार्वती को बहुत पसीना आ रहा था। तब उन्होंने अपनी उंगलियों से माथे के पसीने को साफ किया। इससे पसीने की कुछ बूंदे मदार पर्वत पर जा गिरी और उन्हीं बूंदों से बेल का पेड़ उत्पन्न हुआ। बेलपत्र का महत्व यही खत्म नहीं होता है। ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री बताते हैं,

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‘ बेलपत्र बहुत ही पवित्र होता है। इसमें मां पार्वती के कई रूपों का वास होता है। इस वृक्ष की जड़ों में माँ गिरिजा, तने में मां महेश्वरी, इसकी शाखाओं में मांं दक्षयायनी, बेल पत्र की पत्तियों में माँ पार्वती, इसके फूलों में मांं गौरी और बेल पत्र के फलों में माँ कात्यायनी का वास हैं। इतना ही नहीं इसमें माता लक्ष्मी का भी वास होता है। अगर आप घर में बेल का पेड़ लगाती हैं तो इससे माता लक्ष्मी बहुत प्रसन्न होती हैं और घर में वैभव आता है।’

बेलपत्र चढ़ाने के लाभ

  • इसका सबसे बड़ा लाभ होता है कि भगवान शिव बहुत प्रसन्न होते हैं और सारी मनोकामनाएं पूरी कर देते हैं।
  • वहीं बेलपत्र चढ़ाने से सुख के साथ घर में वैभव और धन भी आता है। यानि आपको कभी भी आर्थिक संकट का सामना नहीं करना पड़ता।
  • अगर आप पुण्य कमाना चाहती हैं तो आपको बेल के पत्तियों में ॐ नम: शिवाय (क्‍या है ॐ के उच्‍चारण का सही तरीका और समय)या राम राम लिखकर उसे भगवान भोलेनाथ पर अर्पित करना चाहिए।
  • शास्त्रों के अनुसार आप रविवार के दिन अगर बेलपत्र की पूजा करते हैं तो आपके सारे पाप धुल जाते हैं। (शिवमहापुराण पढ़ने से मिलते हैं ढेर सारे फायदे)
  • केवल भगवान भोलेनाथ ही नहीं आप भोलेनाथ के प्रिय क्रबेर जी पर तृतीया को बेलपत्र चढ़ा कर उनकी पूजा करेंगी तो पीढि़यों तक आपके घर में धन की कभी कमी नहीं होगी।
  • ऐसी मान्यता है कि बेलपत्र और जल चढ़ाने से भगवान शंकर का मस्तिष्क ठंडा रहता है और वे बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं
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