हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व बताया गया है। नवरात्रि के 9 दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा और उपासना की जाती है और मान्यता है कि माता दुर्गा अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करती हैं। वैसे तो साल में चार बार नवरात्रि तिथि होती है लेकिन उनमें से दो नवरात्रि तिथियों का विशेष महत्व है। ये दो नवरात्रि तिथियां हैं चैत्र के महीने में पड़ने वाली चैत्र नवरात्रि और दूसरी भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से आरंभ होने वाली शारदीय नवरात्रि।
इनमें से भी शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्त्व है। यह पितृ पक्ष के समापन के तुरंत पश्चात आरम्भ होकर दशहरे वाले दिन तक चलती है। आइए जानें इस साल कब से शुरू हो रही है शारदीय नवरात्र, कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और महत्त्व।
शारदीय नवरात्रि तिथि
मान्यता है कि नवरात्रि पर माँ दुर्गा की विधि-विधान से पूजा करने से जीवन के सभी दुख दूर हो जाते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। नवरात्रि के दिनों में माता के भक्त माँ की विशेष कृपा पाने के लिए 9 दिनों तक श्रद्धा भाव से व्रत रखते हैं। इस साल शारदीय नवरात्रि का पर्व 07 अक्टूबर, गुरुवार से आरंभ होने जा रहा है जो कि 15 अक्टूबर, शुक्रवार, विजय दशमी के दिन तक चलेगा। आरती दहिया जी बताती हैं कि इस साल नवरात्रि पर देवी माता डोली में सवार होकर आ रही हैं और मान्यता है कि माता का डोली में सवार होकर आना बहुत शुभ होता है।
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कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
- शुभ मुहूर्त 07 अक्टूबर, गुरूवार प्रातः 06:17 से आरम्भ होकर 10:11 तक रहेगा।
- अभिजीत मुहूर्त 11:46 से आरंभ होकर 12:32 तक रहेगा।
- इस मुहूर्त में कलश या घाट स्थापना करना भक्तों एक लिए विशेष रूप से फलदायी होगा।
- जो देवी भक्त इन नौ दिनों के दौरान उपवास रखते हैं, उनके लिए पारणा का मुहूर्त 15 अक्टूबर को होगा।
- 15 अक्टूबर को धूमधाम के साथ विजयदशमी का त्योहार यानी दशहरा मनाया जाएगा।
- इसी दिन बंगाल प्रथा के अनूसार दुर्गा विसर्जन भी बड़ी धूमधाम से किया जाएगा।
कैसे करें कलश स्थापना
घट स्थापना या कलश स्थापना के दौरान कुछ विशेष नियमों को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण होता है। सर्वप्रथम घटस्थापना के लिए मिट्टी के पात्र में जौ रखें। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि सृष्टि के उत्पन्न होने के समय जौ की ही एकमात्र फसल थी। इसीलिए जौ का नवरात्रि में विशेष मह्त्व है।
- कलश लेकर उसमें गंगा जल या सामान्य जल भरकर उसे मिट्टी के पात्र के ऊपर रख दें।
- इसके बाद कलश के ऊपर आम के 5,7,11 पत्ते रखें और लाल कपड़े में नारियल बाँध कर उस पर रख दें।
- इसके बाद गणपति जी की पूजा करें और अपनी पूजा सफल होने का आशीर्वाद लें।
- यदि आप नौ दिन के व्रत का संकल्प लेती हैं तो नियमित कलश की पूजा करें और देवी का आह्वान करें ।
- माता को लौंग का जोड़ा, सुपारी , श्रृंगार, रोली ,चावल, सिंदूर, माला, फूल, चुनरी, साड़ी, आभूषण ,दक्षिणा आदि अर्पित करें।
- यदि आप में शक्ति एवं इच्छा हो तो आप अखण्ड ज्योति माँ के समक्ष पूर्ण नवरात्रि के लिए जागृत रखें।
- लेकिन यदि आप अखंड ज्योति प्रज्वलित करती हैं तो उसके नियमों का पालन करें और घर में किसी की उपस्थिति होनी अनिवार्य है।
नवरात्रि के नौ दिन की तिथियां
- 7 अक्टूबर, गुरूवार - प्रतिपदा घटस्थापना और माँ शैलपुत्री पूजा
- 8 अक्टूबर, शुक्रवार -द्वितीय माँ ब्रह्मचारिणी पूजा
- 9 अक्टूबर, शनिवार - तृतीया और चतुर्थी माँ चंद्रघंटा पूजा और माँ कुष्मांडा पूजा
- 10 अक्टूबर, रविवार - पंचमी माँ स्कंदमाता पूजा
- 11 अक्टूबर, सोमवार - षष्ठी माँ कात्यायनी पूजा
- 12 अक्टूबर, मंगलवार - सप्तमी माँ कालरात्रि पूजा
- 13 अक्टूबर, बुधवार -अष्टमी माँ महागौरी पूजा
- 14 अक्टूबर, बृहस्पतिवार -नवमी माँ सिद्धिदात्री पूजा
- 15 अक्टूबर,शुक्रवार -दशमी नवरात्रि पारण/दुर्गा विसर्जन
नवरात्रि के नौ दिनों की पूजा विधि
- नवरात्रि के दिनों में यदि आप व्रत का संकल्प लेते हैं तो सुबह उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- फिर पूजा के स्थान पर गंगाजल डालकर उसकी शुद्धि कर लें।
- घर के मंदिर में माता दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें और माता के सामने दीप प्रज्वलित करें।
- मां को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें, प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं और लौंग का जोड़ा जरूर चढ़ाएं ।
- धूप और दीपक जलाकर दुर्गा सप्तशती का पाठ और चालीसा का नियमित रूप से पाठ करें और फिर माता की आरती करें।
- मां को श्रद्धानुसार भोग लगाएं और इस बात का ध्यान रखें कि भोग में सात्विक चीज़ें ही अर्पित करें।
इस प्रकार शारदीय नवरात्रि के पूरे नौ दिनों में माता की श्रद्धा भाव से पूजा और आराधना करने से माता प्रसन्न होकर अपने भक्तों को शुभ फल प्रदान करती हैं।
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