हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व है। हर वर्ष चैत्र नवरात्रि के आते ही देवी दुर्गा के भक्तों में उत्साह की लहर सी दौड़ जाती। कई लोग अपने घरों में कलश स्थापना करते हैं तो कई भक्त देवी जी के 9 दिन के व्रत रखते हैं। देवी जी के यह नौ दिन उनकी भक्ती में डूबे हुए निकल जाते हैं। इन सब के साथ माता रानी के कई भक्त नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ भी करते हैं। आपको बता दें कि दुर्गा सप्तशती का पाठ करने का संकल्प लिया जाता है। फिर इस संकल्प को पूरी श्रद्धा और भक्ती के साथ पूर्ण किया जाता है।
आपको बता दें कि दुर्गा सप्तशती एक ग्रंथ है। इस ग्रंथ में 700 श्लोक हैं और इसे 3 भागों में बाटां गया है। चातिलए पंडित दयानंद शास्त्री से जानतें हैं कि दुर्गा सप्तशती का महत्व क्या है और इसे क्यों और कैसे पढ़ना चाहिए।
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पंडित जी बताते हैं,
‘मार्कण्डेय पुराण में स्वंय ब्रह्मा जी ने कहा है कि हर मनुष्य को दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए। यह ग्रंथ मनुष्य जाति की रक्षा के लिए है और जो व्यक्ति इसका पाठ करता है वह संसार में सुख भोग कर अन्त समय के लिए बैकुंठ में जाता है।’
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भगवत पुराण के अनुसार माँ जगदम्बा का अवतरण श्रेष्ठ मुनुष्यों की रक्षा के लिए हुआ था। जबकि श्रीं मद देवीभागवत के अनुसार वेदों और पुराणों कि रक्षा और दुष्टों के संघार के लिए माँ जगदंबा का अवतरण हुआ है। ऋगवेद के अनुसार माँ दुर्गा ही शक्ति का रूप हैं और वही इस संसार को चलाने वाली हैं। इसलिए भक्तों को मां दुर्गा को खुश करने के लिए नवरात्रि के समय उनके नौ रूपों की उपासना के साथ ही दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहए।
पंडित जी बताते हैं, ‘ दुर्गा सप्तशती को चंडी पाठ भी कहा जाता है। जब भगवान राम देवी सीता को लंका से वापस लेने जा रहे थे तब उन्होंने पहले चंडी पाठा किया था। यह पाठ उन्होंने शारदीय नवरात्रि के दौरान किया था इसलिए दुर्गा सप्तशती का पाठ आप यदि शारदीय नवरात्रि के दौरान करते हैं तो यह विषेश फल देता है। ’ नवरात्र के व्रतों में शास्त्रानुसार करें भोजन
हिन्दु धर्म की मान्यतानुसार दुर्गा सप्तशती में कुल 700 श्लोक हैं जिनकी रचना स्वयं ब्रह्मा, विश्वामित्र और ऋषि वशिष्ठ द्वारा की गई है। इन 700 श्लोकों की वजह से ही इस ग्रंथ का नाम दुर्गा सप्तशती है। नवरात्री: किस राशि पर पड़ेगा क्या असर
यह बेहद शक्तिशाली ग्रंथ है। यदि आप इसे पूरे नियम और कायदे के साथ संकल्प लेकर करती हैं तो आपको इसका फल निश्चित तौर पर मिलेगा। पंडित जी बताते हैं,
‘चंडी पाठ में 700 श्लोक हैं और इन सभी श्लोकों को अलग-अलग जरूरतों के हिसाब से रचा गया है। इसमें 90 श्लोक अंर्गत मारण क्रिया के लिए हैं। 90 श्लोक सम्मोहन क्रिया के लिए हैं। 200 श्लोक उच्चाटन क्रिया के लिए हैं। स्तंभ क्रिया के लिए 200 श्लोक हैं और 60-60 ग्रंथ विद्वेषण क्रिया के लिए हैं।’
आपको बता दें कि इस ग्रंथ को शुद्ध मन से ही पढ़ना चाहिए यदि आप ऐसा नहीं कर पा रही है तो इसका जाप न करें। नवरात्र में इन 5 देवियों के मंदिरों में जरूर जाएं
अगर आप दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले देवी के आगे इस बात का संकल्प लेना होगा कि आप इस पाठ को कितने दिन करेंगे। इसे बाद आपको कलश स्थापना करनी होगी। इसके लिए आप मिट्टी के कलश को मिट्टी की वेदी पर रखना होगा।
आपको उसमें जौ बो कर उस पर कलश रखना चाहिए। इसके बाद आपको रोज दुर्गा सप्तशती का पाठ करना होगा और जिस गति और आकार-प्रकार से जौ बढ़ेंगे उसी से पता चलेगा कि देवी दुर्गा आपसे कितना प्रसन्न हुई हैं। आपको रोज उस कलश की पूजा करनी होगी और अगर आप व्रत रखती हैं तो यह और भी फलदायक होगा। जिस दिन आपका यह पाठ पूरा होता है उस दिन आपको देवी जी से अपनी मनोकामना पूर्ण करने की प्रार्थना करनी चाहिए।
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