जय माता दी।
मां दुर्गा की आराधना का पर्व नवरात्रि आज से शुरू हो गई है। नवरात्र के व्रतों का हिंदुओं में काफी महत्व है। नब्बे प्रतिशत हिंदू घरों में कम से कम एक इंसान नवरात्र के व्रत जरूर करता है। माना जाता है कि इन दिनों में देवी स्वंय सबके घरों में पधारती हैं और आशीर्वाद देती हैं। इसलिए देवी को बुलाने के लिए लोग नवरात्र का व्रत रखते हैं।
व्रत चाहे किसी भी प्रकार का हो, उससे जुड़े नियमों का पालन करना अति आवश्यक होता है। क्योंकि मन मुताबिक व्रत रखने को संघर्ष नहीं माना जाता है और जहां संघर्ष नहीं होता है वहां देवी का आशीर्वाद कैसे मिल सकता है? इसलिए ऐसी मान्यता है कि नवरात्र के व्रत पूरे विधि-विधान से रखे जाते हैं।
नवरात्र के व्रत में पूजा करने के दौरान सही तरीके से मंत्रोच्चारण करना चाहिए। क्योंकि मंत्रोच्चारण के दौरान अगर शब्दों का गलत उच्चारण किया जाता है तो उसका प्रभाव गलत पड़ सकता है। इसलिए सही तरीके से मंत्रों को पढ़ें और भगवान जी को याद करें।
पूजा करने के बाद देवी को भोग लगाना ना भूलें। क्योंकि जो भोग आप लगाती हैं वह भोग ही देवी खाती हैं। माना जाता है कि जब आप देवी को भोग नहीं लगाती हैं तो देवी भूखी रह जाती हैं। ऐसा ना करें। देवी को भोग लगाएं और उनसे खाने का आग्रह करें। फिर देवी का नाम लेकर खुद भी फलों का भोग लगाएं।
व्रत करने का मतलब यह नहीं कि आप खाली पेट रहें। नवरात्र के व्रत में खाली पेट बिल्कुल भी नहीं रहा जाता है। इसलिए माता का नाम लें और उन्हें फलों का भोग लगाकर खुद भी फलों का सेवन करें।
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पूरे दिन खुद में एनर्जी बनाएं रखने के लिए फल खाने के बाद एक ग्लास दूध या लस्सी पिएं। दूध में सभी तरह के पोषक-तत्व होते हैं जिनसे हमें एनर्जी मिलती है। वहीं दही आपकी बॉडी को डिहाइड्रेट होने से बचाता है। इसलिए दूध या दही में से एक चीज जरूर पिएं। इससे दिन में भूख नहीं लगेगी और आपका ध्यान व्रत से खाने की तरफ नहीं जाएगा।
नवरात्र के व्रत रखने के कुछ नियम होते हैं। इन नियमों के अनुसार ही हर किसी को नवरात्र के व्रत रखने चाहिए। कुछ लोग पूरे नौ दिन निर्जला व्रत रखते हैं। यह गलती ना करें। नवरात्र के व्रत खुद पर जबान पर संयम रखने के लिए किए जाते हैं। इसनिए निर्जला व्रत रखने के बजाय फलाहार व्रत करें। इस तरह के व्रत में केवल फलों को सेवन किया जाता है वह भी समय के अनुसार।
कुछ लोग नवरात्र में पूरे दिन फल खाते रहते हैं। शास्त्रों के अनुसार इस तरह से व्रत नहीं रखा जाता है। व्रत में हमेशा मुंह को झूठा नहीं किया जाता है। या तो दो बार या तीन बार फलों को सेवन करें। जैसे कि सुबह पूजा कर के एक बार फल ग्रहण करें। फिर दिन में एक बार माता का नाम लेकर फलों को सेवन करें। शाम को माता की आरती कर तीसरी बार फलों का सेवन करें। इससे बॉडी डिटॉक्स होती है और व्रत करने का किसी तरह का नकरात्मक प्रभाव शरीर पर नहीं पड़ता है।
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नवरात्र के व्रत में कुछ खाने की चीजों के तरफ देखना भी गलत माना जाता है। ये चीज निम्न हैं-
अगर फलों पर व्रत रखने से आपको लो बीपी की समस्या हो जाती है तो शाम को सात्विक भोजन ग्रहण करें। सात्विक भोजन में फलाहारी चीला, सिंघाड़े के आटे की नमकीन बर्फी या रोटी और फलाहारी चटनी शामिल है। लेकिन नमक का भोजन केवल शाम को ही करें। तो इन नियमों के अनुसार नवरात्र का व्रत करें और माता का आशीर्वाद पाएं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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