नवरात्रों में अखंड ज्योत और कलश स्थापना से मिलेंगे ये चमत्कारी लाभ

नवरात्रों में अखंड ज्योत और कलश की स्थापना करने का विशेष महत्व है, आइए जानें इस महत्व के बारे में।

navratri akhand jyoti and kalash

नवरात्रों में अखंड ज्योत और कलश की स्थापना करने का अपना ही एक विशेष महत्व है। हर पूजा में ज्योति जलाने का विशेष महत्व होता है। ऐसी मान्यता है कि पूजा में यह भक्त की भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक होती है इसलिए घी या फिर सरसो के तेल की ज्योत के बिना कोई भी पूजा पूरी नहीं होती। नवरात्रि क्योंकि नौ दिनों का होता है, इसलिए इसमें अखंड ज्योति जलाई जाती है। मतलब यह पूरे 9 दिनों तक दिन-रात जलने वाला दीपक होता है। ऐसा माना जाता है कि अखंड ज्योत और कलश की स्थापना करते टाइम मन में अच्छी भावनाएं होनी चाहिए और इसे व्रत की समाप्ति तक बुझने देना नहीं चाहिए।

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अखंड ज्योति जलाने का महत्व

नवरात्रे में अखंड ज्योहति जलाने का विशेष महत्व है। मां दुर्गा की कृपा पाने के लिए बहुत से लोग नवरात्रें में मां की प्रतिमा के सामने अखंड ज्योति जलाते हैं। ऐसा माना जाता है कि अखंड ज्योति जलाने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह अखंड ज्योति माता के प्रति आपकी अखंड आस्था का प्रतीक मानी जाती है।

फायदे

ऐसी मान्य।ता है कि अखंड ज्योआति जलाने से घर में हमेशा से मां की कृपा रहती है और साथ ही घर-परिवार में खुशहाल वातावरण बना रहता है और घर पर कभी भी बुरा साया नहीं पड़ता है। ऐसा कहा जाता है कि नवरात्रि में अखंड दीप जलाने से मां कभी अपने भक्तों से नाराज नहीं होती हैं।

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अगर आप इन फायदों पर विश्वास नहीं रखती हैं तो चलिए आपको अखंड ज्योति से हेल्थ पर होने वाले प्रभाव के बारे में बताते हैं।

हेल्थ से जुड़े फायदे

नवरात्रि में घी या तेल की अखंड ज्योत जलाने से दिमाग में कभी भी नकारात्मक सोच हावी नहीं होती है और चित्त खुश और शांत रहता है। अखंड ज्योत जलाना स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा है क्योंकि घी और कपूर की महक से इंसान की श्वास और नर्वस सिस्टम सही रहता है।

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कलश रखने का महत्व

सभी धार्मिक कार्यों में कलश का बड़ा महत्व माना गया है। जैसे मांगलिक कार्यों का शुभारंभ, नया व्यापार, नववर्ष आरंभ, गृहप्रवेश, दिवाली पूजन, यज्ञ-अनुष्ठान, दुर्गा पूजा आदि के अवसर पर सबसे पहले कलश स्थापना की जाती है।

धर्मशास्त्रों के अनुसार कलश को सुख-समृद्धि, वैभव और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है। खासतौर पर मां भगवती की पूजा-अर्चना करते समय सर्वप्रथम कलश की स्थापना की जाती है। नवरा‍त्रि के दिनों में मंदिरों और घरों में कलश स्थापित किए जाते हैं और मां दुर्गा की विधि-विधानपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है।

यह कलश विश्व ब्रह्मांड और ब्रह्मा का प्रतीक माना गया है। ऐसी मान्यता है कि इसमें सम्पूर्ण देवता समाए हुए हैं। पूजन के दौरान कलश को देवी-देवता की शक्ति, तीर्थस्थान आदि का प्रतीक मानकर स्थापित किया जाता है।

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