ज्यादातर महिलाओं की इच्छा होती है कि नवरात्रों में वैष्णो देवी की यात्रा की जाएं लेकिन कुछ लोगों की किसी वजह से ये इच्छा पूरी नहीं हो पाती है। आपने भी इस साल नवरात्रों नें वैष्णो देवी माथा टेकने का प्रोग्राम बनाया था लेकिन किसी वजह से वो प्रोग्राम अधूरा रह गया है तो आप दिल्ली के इन 4 मंदिरों में माथाटेकने के लिए जा सकती हैं।
वो कहते हैं ना कि माता जिसकी नाम की चिठ्ठी डालती है वो ही वैष्णो धाम माथा टेकने के लिए जा पाता है। अगर आपकी नवरात्रों में वैष्णो यात्रा करने की इच्छा पूरी नहीं हो पा रही हैं तो चलिए आपको उन मंदिरों का सफर कराते हैं जहां माथा टेकना वैष्णो यात्रा करने से कम नहीं माना जाता है।
गुफा मंदिर
ईस्ट दिल्ली के प्रीत विहार में स्थित माता का मंदिर ‘गुफा मंदिर’ के नाम से विख्यात है। गुफा के अंदर मां चिंतपूर्णी, माता कात्यायनी, संतोषी मां, लक्ष्मी जी, ज्वाला जी की मूर्तियां स्थापित हैं। गुफा में गंगा जल की एक धारा बहती रहती है।
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बता दें कि इस मंदिर का निर्माण सन 1987 में शुरू हुआ था और 1994 में मंदिर बनकर तैयार हो गया था।
योगमाया मंदिर
योगमाया मंदिर दिल्ली में कुतुबमीनार से बिल्कुल करीब है। यह बहुत ही प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है इसका निर्माण महाभारत युद्ध की समाप्ति के दौरान पाण्डवों ने श्रीकृष्ण की बहन योगमाया के लिए किया था।
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तोमर वंश के राजपूतों ने जब दिल्ली को बसाया तब उन्होंने देवी योगमाया की पूजा-अर्चना शुरू की।
कालकाजी मंदिर
साउथ दिल्ली स्थित कालकाजी मंदिर बेहद प्राचीन मंदिर है। ये मंदिर देश के प्राचीनतम सिद्धपीठों में से एक है। मां के भक्त दर्शन करने पहुंचते हैं। कालका काली का ही दुसरा नाम है। इस मंदिर को जयंती पीठ और मनोकामना सिद्ध पीठ भी कहा जाता है।
इस पीठ का अस्तित्व अनादि काल से माना गया है और हर काल में इस जगह का स्वरुप बदला है। ऐसी मान्यता है कि काली मां ने असुरों के संहार के लिए अवतरित हुई थी। इस मंदिर में 12 द्वार हैं जो 12 महीनों का संकेत देते हैं। हर द्वार के पास माता के अलग-अलग रूपों का चित्रण किया गया है।
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इस मंदिर के बारे में ऐसा माना जाता है कि ग्रहण में सभी ग्रह इनके अधीन होते हैं इसलिए दुनिया भर के मंदिर ग्रहण के वक्त बंद होते हैं जबकि कालका मंदिर खुला होता है।
झंडेवालान मंदिर
सेंट्रल दिल्ली स्थित झंडेवाला देवी मंदिर का अपना ही एक ऐतिहासिक महत्व है। इस समय जिस स्थान पर ये मंदिर स्थापित है पहले वह स्थान अरावली पर्वत श्रृंखलाओं में एक श्रृंखला थी। इस मंदिर की स्थापना को लेकर मान्यता है कि इस स्थान की खूबसूरती देखकर अक्सर लोग यहां साधना के लिए आते थे।
इस मंदिर के पीछे की कहानी ये है कि एक दिन बद्री दास नामक व्यापारी साधना में लीन था तो उसे लगा मानों यहां कोई मंदिर जो पहाड़ों में दबा हुआ है। तब व्यापारी ने जमीन की खुदाई करवाने का निर्णय लिया। खुदाई दौरान व्यापारी को यहां मंदिर के कुछ अवशेष मिलें। अवशेषों में उसे एक झंडा लगा हुआ मिला जिसके बाद से ही इसका नाम झंडेवालान रख दिया गया।
टिप्स
इन सभी मंदिरों में दर्शन के लिए आप मेट्रो के जरिए बहुत आसानी से पहुंच सकती हैं। झंडेवालान, कालकाजी, प्रीत विहार और कुतुबमीनार मेट्रो स्टेशन हैं जिनसे इन मंदिरों की दूरी महज 5 से 10 मिनट की है।
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