Satyanarayan Vrat 2024: सत्यनारायण व्रत के दिन जरूर करें इस स्तोत्र का पाठ, अक्षय फलों की होगी प्राप्ति

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह की पूर्णिमा तिथि के दिन सत्यनारायण व्रत रखने की मान्यता है। इस दिन नारायण स्तोत्र जाप करने का विशेष महत्व है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 
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हिंदू धर्म में सत्यनारायण व्रत का विशेष महत्व है। सत्यनारायण व्रत के दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने का विशेष विधान है। ऐसी मान्यता है कि सत्यनारायण व्रत रखने से व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है और जीवन में चल रही समस्याएं दूर हो सकती है। ऐसा कहा जाता है कि सत्यनारायण व्रत रखने से व्यक्ति को सभी रोगदोष से सभी छुटकारा मिल जाता है। अब ऐसे में इस दिन नारायण अष्टकम स्तोत्र का पाठ करने से लाभ हो सकता है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

सत्यनारायण व्रत दिन करें नारायण अष्टकम स्तोत्र का पाठ

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सत्यनारायण व्रत के दिन नारायण अष्टकम स्तोत्र का पाठ जरूर करें। इलले शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी हो सकती है।

वात्सल्यादभयप्रदानसमयादार्तार्तिनिर्वाणा दौदार्यादघशोषणादगणितश्रेय: पदप्रापणात् ।
सेव्य: श्रीपतिरेक एव जगतामेतेऽभवन्साक्षिण: प्रहलादश्च विभीषणश्च करिराट् पांचाल्यहल्या ध्रुव” ।।1।।
प्रहलादास्ति यदीश्वरो वद हरि: सर्वत्र मे दर्शय स्तम्भे चैवमिति ब्रुवन्तमसुरं तत्राविरासीद्धरि: ।
वक्षस्तस्य विदारयन्निजनखैर्वात्सल्यमापादयन्नार्तत्राणपरायण: स भगवान्नारायणो मे गति: ।।2।।
श्रीरामात्र विभीषणोऽयमनघो रक्षोभयादागत: सुग्रीवानय पालयैनमधुना पौलस्त्यमेवागतम् ।
इत्युक्त्वाभयमस्य सर्वविदितं यो राघवो दत्तवानार्त. ।।3।।
नक्रग्रस्तपदं समुद्धतकरं ब्रह्मादयो भो सुरा: पाल्यन्तामिति दीनवाक्यकरिणं देवेश्वशक्तेषु य: ।

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मा भैषीरिति यस्य नक्रहनने चक्रायुध: श्रीधर । आर्त. ।।4।।
भो कृष्णाच्युत भो कृपालय हरे भो पाण्डवानां सखे क्वासि क्वासि सुयोधनादपह्रतां भो रक्ष मामातुराम् ।
इत्युक्तोऽक्षयवस्त्रसंभृततनुं योऽपालयद्द्रौपदीमार्त. ।।5।।
यत्पादाब्जनखोदकं त्रिजगतां पापौघविध्वंसनं यन्नामामृतपूरकं च पिबतां संसारसंतारकम् ।
पाषाणोऽपि यद्न्घ्रिपद्मरजसा शापान्मुनेर्मोचित । आर्त. ।।6।।
पित्रा भ्रातरमुत्तमासनगतं चौत्तानपादिर्ध्रुवो दृष्ट्वा तत्सममारूरुक्षुरधृतो मात्रावमानं गत: ।
यं गत्वा शरणं यदाप तपसा हेमाद्रिसिंहासनमार्त. ।।7।।
आर्ता विषन्णा: शिथिलाश्च भीता घोरेषु च व्याधिषु वर्तमाना: ।
संकीत्र्य नारायणशब्दमात्रं विमुक्तदु:खा: सुखिनो भवन्ति ।।8।।

नारायण अष्टकम स्तोत्र का पाठ करने का महत्व क्या है?

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नारायण अष्टकम स्तोत्र भगवान विष्णु को बेहद प्रिय है। इसका नियमित पाठ करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। नारायण अष्टकम का पाठ करने से मन शांत होता है और तनाव कम होता है। यह स्तोत्र सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति दिलाता है। नारायण अष्टकम स्तोत्र का पाठ विधिवत रूप से करने व्यक्ति को भौतिक सुखों की भी प्राप्ति होती है और विवाह में आ रही अड़चनें भी दूर हो जाती है।

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Image Credit- HerZindagi

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