हिंदू धर्म में पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पितृ पक्ष का समय होता है। इस दौरान पूर्वजों के निमित्त श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। पितृ पक्ष का समय पूरे 16 दिन तक रहता है जिसका समापन अमावस्या तिथि से हो जाता है।
ऐसा माना जाता है कि पितृपक्ष के 16 दिनों तक लोग कई विशेष उपायों से पूर्वजों को प्रसन्न करते हैं जिससे घर में पितृ दोष न हो और सुख समृद्धि बनी रहे। लेकिन यदि किसी वजह से लोग इस दौरान तर्पण या पितृ शांति के उपाय नहीं कर पाते हैं तो सर्वपितृ अमावस्या के दिन कुछ विशेष उपाय आजमा सकते हैं।
आइए आइए ज्योतिर्विद पं रमेश भोजराज द्विवेदी जी से जानें इस साल पितृ पक्ष में कब पड़ेगी अमावस्या तिथि और इसमें पितृ दोष मुक्ति के उपाय क्या हैं।
सर्व पितृ अमावस्या की तिथि
- इस साल अमावस्या तिथि 25 सितंबर, रविवार के दिन पड़ेगी। इस दिन आप शुभ मुहूर्त में तर्पण कर सकते हैं।
- कुटुप मुहूर्त - सुबह 11:24 बजे से दोपहर 12:12 बजे तक
- अवधि - 00 घंटे 48 मिनट
- रोहिना मुहूर्त - दोपहर 12:12 बजे से दोपहर 01:00 बजे तक
- अवधि - 00 घंटे 48 मिनट
- अपराहन काल - दोपहर 01:00 बजे से दोपहर 03:25 बजे तक
- अवधि - 02 घंटे 25 मिनट
- अमावस्या तिथि आरंभ - 03:12 पूर्वाह्न 25 सितंबर, 2022
- अमावस्या तिथि समाप्त - 26 सितंबर 2022 को 03:23 AM
सर्व पितृ अमावस्या का महत्व
हिंदू धर्म में किस भी अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है, लेकिन पितृ पक्ष की अमावस्या तिथि इन सबसे खास होती है। ऐसा माना जाता है कि यदि किसी पूर्वज की मृत्यु की तिथि का पता नहीं होता है तो उनका श्राद्ध इस दिन करने से उन्हें मुक्ति मिल जाती है।
इसके अलावा यदि आप पूरे 16 दिनों में भी किसी वजह से तर्पण नहीं कर पाए हैं तब भी इस दिन पितरों के नाम से तर्पण करने से हमेशा घर की शांति बनी रहती है। इस दिन पितरों को तर्पण देते हुए उन्हें उनकी पसंद के अनुसार भोजन भी कराया जाता है जो गाय, कौए (पितृ पक्ष में कौओं को भोजन क्यों कराते हैं) और कुत्ते के रूप में भोजन ग्रहण करते हैं। मान्यता है कि इस दिन श्राद्ध करने से पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त होता है।
सर्व पितृ अमावस्या के दिन करें ये उपाय
- यदि आप पूरे पितृ पक्ष में जल से तर्पण नहीं कर पाए हैं तो पितृ पक्ष की अमावस्या के दिन जल के लोटे में तिल डालकर पूर्वजों का नाम लेते हुए तर्पण करें। ऐसा करने से पितरों को शांति मिलती है और घर में पितृ दोष नहीं होता है।
- सर्वपितृ अमावास्या के दिन मंदिर में कुछ चीजों का दान करने से भी पितरों को शांति मिलती है। इस दिन मंदिर में चावल, आटा, गुड़, काली उड़द दाल और घी का दान करें।
- इस दिन ब्राह्मण को घर में बुलाकर भोज कराएं और उन्हें वस्त्र और दक्षिणा देते हुए सम्मानपूर्वक विदा करें।
- सर्व पितृ अमावस्या के दिन पूर्वजों के नाम से भोजन निकालें और किसी खुले स्थान या घर की छत में रखें।
- अमावस्या तिथि के दिन गाय को घी और गुड़ के साथ रोटी अवश्य खिलाएं। ऐसा करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और घर में शांति बनी रहती है।
सर्व पितृ अमावस्या में कैसे करें तर्पण
- इस दिन सबसे पहले जल्दी उठकर स्नान आदि करें और साफ़ वस्त्र धारण करें।
- अपना मुख दक्षिण दिशा की तरफ करके बैठें और लोटे में गंगाजल(पितृ पक्ष में गंगाजल के उपाय) लें इसमें काले तिल, कच्चा दूध और कुस डालें।
- जल का तर्पण करते हुए पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें।
- इस दिन ब्राह्मण को भोजन कराएं और दक्षिणा दें।
- गाय, कुत्ता, कौआ और चींटी के लिए भोज निकलें।
- इस दिन पूर्वजों के नाम का दीपक अवश्य जलाएं और उन्हें श्रद्धा पूर्वक विदा करें।
सर्वपितृ अमावस्या में इस तरह से किया गया पूजन सभी के लिए फलदायी हो सकता है और पितरों की आत्मा को शांति भी मिलती है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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