रमज़ान के पाक महीने में रोज़ेदार सुबह से लेकर शाम तक अल्लाह की इबादत करते हुए रोजा रखते हैं। जब सूरज डूबता है, तो इफ्तार का भी वक्त होता है और रोजा खोला जाता है। इस समय सही तरीके से दुआ पढ़ना न केवल इबादत को पूरा करता है बल्कि सेहत और बरकत भी लाता है।
रोजा खोलने के बाद पढ़ी जाने वाली दुआ इस्लामिक परंपरा में बहुत मायने रखती है। यह दुआ न सिर्फ अल्लाह की रहमत मांगने का तरीका है, बल्कि इसके जरिए इफ्तार का शुक्रिया भी अदा किया जाता है। सही दुआ पढ़ने से इफ्तार का फल और अधिक बढ़ जाता है और यह हमारे लिए बरकत लाने का जरिया बनता है।
आइए जानते हैं रोज़ा खोलने के बाद कौन-सी दुआ पढ़ी जाती है और इसका मतलब क्या है।
रोज़ा खोलने के बाद की दुआ क्यों पढ़ी जाती है? (Roza Kholne ke Baad ki Dua)
रोज़ा खोलने के बाद की दुआ पढ़ने का खास महत्व इस्लामिक परंपरा में बताया गया है। जब कोई व्यक्ति दिनभर रोज़ा रखता है, तो वह अल्लाह की इबादत और सब्र देता है। इफ्तार के समय पढ़ी जाने वाली दुआ अल्लाह का शुक्र अदा करने के लिए होती है।
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रोज़ा खोलने के बाद की दुआ इन हिंदी (Roza Kholne ke Baad ki Dua in Hindi)
ज़हबज़-ज़माऊ वब्तल्लतिल-ऊरूक़ वसाबतल-अज्रु इंशा-अल्लाह
रोज़ा खोलने के बाद की दुआ इन इंग्लिश(Roza Kholne ke Baad ki Dua in English)
zahabaz zamau wabtallatil urooq wa-sabatal-ajru insha-allah
रोज़ा खोलने के बाद की दुआ इन उर्दू(Roza Kholne ke Baad ki Dua in Urdu)
ذَهَبَ الظَّمَأُ وَابْتَلَّتِ الْعُرُوقُ وَثَبَتَ الْأَجْرُ إِنْ شَاءَ اللَّهُ
इस दुआ का क्या है मतलब?
प्यास बुझ गई, रगें तर हो गईं और अल्लाह ने चाहा तो सवाब मुक्म्मल हो जाएगा।
यानी इफ्तार के समय इस दुआ को पढ़ने से अल्लाह की रहमत मिलती है और रोज़े का पूरा सवाब मिलता है। इसे पढ़कर पानी या खजूर से रोज़ा खोलना सबसे अच्छा माना जाता है।
मेहमानों के साथ रोज़ा खोलने की दुआ (Roza Kholne ki Dua)
अगर आप किसी समूह या मेहमानों के साथ इफ्तार कर रहे हैं, तो इस खास दुआ को पढ़ना बहुत फज़ीलत (सवाब) वाला माना जाता है। अगर आप चाहें तो इस दुआ को मुकम्मल पढ़ सकते हैं।
मेहमानों के साथ रोज़ा खोलने की दुआ इन हिंदी
अफ़्तरा इंदकुम अस-साइमून, व अकल तआमकुम अल-अब्रार, व सल्लत अलैकुम अल-मलायक़ा
मेहमानों के साथ रोज़ा खोलने की दुआ इन इंग्लिश
aftara indakum as-saa’imoon, wa akala ta’aamakum al-abraar, wa sallat alaikum al-malaa’ikah.
मेहमानों के साथ रोज़ा खोलने की दुआ इन उर्दू
أَفْطَرَ عِنْدَكُمُ الصَّائِمُونَ، وَأَكَلَ طَعَامَكُمُ الْأَبْرَارُ، وَصَلَّتْ عَلَيْكُمُ الْمَلَائِكَةُ
इफ्तार के बाद दुआ पढ़ना क्यों जरूरी है?
इस दुआ में अल्लाह से दुआ की जाती है कि हमारा रोज़ा कुबूल करें और इसका सवाब हमें जरूर मिले। दिनभर भूखे-प्यासे रहने के बाद रोज़ेदार अल्लाह की दी गई नेमतों का शुक्र अदा करता है। यह दुआ पढ़ने से इफ्तार के खाने में बरकत होती है और सेहत को फायदा मिलता है।
रमज़ान की आम दुआ (Ramzan ki Dua)
दुआ सिर्फ रोज़ा खोलते वक्त नहीं, बल्कि पूरे दिन कसरत से पढ़ी जानी चाहिए। अगर आप कसरत से अल्लाह की इबादत करते हैं, तो सारे काम आसान हो जाएंगे और आपको अच्छा भी लगेगा।
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रमज़ान की आम दुआ इन हिंदी (Ramzan ki Dua in Hindi)
अल्लाहुम्मा बारिक लना फी रमज़ान वा अ'इन्ना अला सियामिहि वा क़ियामिहि
रमज़ान की आम दुआ इन इंग्लिश (Ramzan ki Dua in English)
Allahumma barik lana fi Ramazan wa a'inna ala siyamihi wa qiyamihi.
रमज़ान की आम दुआ इन उर्दू (Ramzan ki Dua in Urdu)
اللَّهُمَّ بَارِكْ لَنَا فِي رَمَضَانَ وَأَعِنَّا عَلَى صِيَامِهِ وَقِيَامِهِ
इसका मतलब यह है कि अल्लाह हमारे लिए रमज़ान को बरकत वाला बना दे और हमें रोज़ा रखने और नमाज़ पढ़ने की ताकत दे, ताकि हम पूरे रमजान सिर्फ और सिर्फ तेरी इबादत कर सकें।
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Image Credit- (@Freepik and shutterstock)
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