रमजान इस्लाम का सबसे पवित्र महीना है, जिसे अल्लाह की रहमत, मगफिरत (गुनाहों की माफी) और जहन्नम से निजात पाने का बेहतरीन मौका माना जाता है। इस महीने को तीन हिस्सों में बांटा गया है और हर अशरा एक खास नेमत से जुड़ा हुआ है। पहले दस दिन अल्लाह की रहमत के हैं, अगले दस दिन मगफिरत के लिए हैं और आखिरी दस दिन निजात के लिए माने जाते हैं।
इन अशरों में खास दुआएं पढ़ने से रोजेदार को अधिक सवाब मिलता है, और उसकी दुआएं कबूल होने की संभावना बढ़ जाती है। अगर कोई व्यक्ति रमज़ान के दौरान इन तीनों अशरों की दुआ कसरत से पढ़ता है, तो अल्लाह उसकी हर जायज मन्नत पूरी करता है और उसकी जिंदगी में बरकत देता है। इसलिए, हर रोजेदार को इन दुआओं को दिल से पढ़ना चाहिए और अल्लाह से रहमत, माफी और जन्नत की दुआ मांगनी चाहिए।
अशरा का मतलब और रमजान के तीन अशरों की दुआएं
अशरा एक अरबी शब्द है, जिसका मतलब दस होता है। रमजान के पूरे महीने को तीन अशरों (दस-दस दिनों के तीन हिस्सों) में बांटा गया है। हर अशरा एक खास उद्देश्य और बरकत के लिए होता है। इस दौरान नमाज पढ़ने और दुआ मांगने की खास फजिलत है।
रमजान के पहले अशरे की दुआ (Pehle Ashray Ki Dua)
यह अशरा अल्लाह की रहमत हासिल करने के लिए है। इस दौरान रोजेदार को अल्लाह की रहमत और सुकून पाने के लिए दुआ करनी चाहिए।
पहला अशरा की दुआ इन इंग्लिश
Allahumma arhamni
पहला अशरा की दुआ इन हिंदी
अल्लाहुम्मा अर्हम्नी
पहला अशरा की दुआ इन उर्दू
اللَّهُمَّ ارْحَمْنِي
क्या करें?
पहले दस रोजे इस दुआ को कसरत से पढ़ें और अल्लाह से दुआ करें। साथ ही, ज्यादा से ज्यादा इबादत करें और गरीबों की मदद करें।
रमजान के दूसरे अशरे की दुआ (Dusre Ashray Ki Dua)
यह अशरा मगफिरत का है, जिसमें अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगी जाती है। इस दौरान रोजेदार को अपने पिछले गुनाहों की माफी के लिए अल्लाह से तौबा करनी चाहिए।
दूसरा अशरा की दुआ इन हिंदी
अस्तग़्फिरुल्लाह रब्बी मिन कुल्लि ज़म्बिन वा अतूबु इलैहि
दूसरा अशरा की दुआ इन इंग्लिश
Astagfirullah Rabbi Min Qulli Zambeen Wa Atuboo ilaih
दूसरा अशरा की दुआ इन उर्दू
اَسْتَغْفِرُ اللہَ رَبِّی مِنْ کُلِّ زَنْبٍ وَّ اَتُوْبُ اِلَیْہِ
क्या करें?
सभी मुसलमानों को इस दौरान अपने गुनाहों की माफी मांगनी चाहिए। अल्लाह से तौबा कर, दिल साफ करके तौबा करनी चाहिए।
रमजान के तीसरे अशरे की दुआ (Teesre Ashray ki Dua)
यह सबसे खास और अहम अशरा है, जिसमें अल्लाह से खूब दुआएं की जाती हैं। आखिर के 10 दिनों में लैलातुल कद्र रातों में से एक रात को पड़ती है, जिसमें अल्लाह अपने बंदों को जहन्नम की आग से मुक्त कर देते हैं।
तीसरा अशरा की दुआ इन हिंदी
अल्लाहुम्मा अजिरना मिनान नार
तीसरा अशरा की दुआ इन इंग्लिश
Allahumma ajirni minan naar
तीसरा अशरा की दुआ इन उर्दू
اللَّهُمَّ أَجِرْنِي مِنَ النَّارِ
क्या करें?
लायलतुल कद्र यानी शब-ए-कद्र की रातों में दुआएं करें। रात को जगाकर अल्लाह से दुआ करें और जकात और सदका दें।
इसलिए रमजान के पूरे महीने में इन दुआओं को ज्यादा से ज्यादा पढ़ें और अल्लाह से अपनी हर जायज मन्नत पूरी होने की दुआ करें।अगर हमारी स्टोरी से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो आप हमें आर्टिकल के ऊपर दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
Image Credit- (@Freepik and shutterstock)
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