बच्चे में मां की जान बसती है। हर मां अपने बच्चे को दुनिया की किसी भी तरह की मुसीबत व परेशानी से बचाना चाहती है। कहते हैं कि मां के आंचल की छांव ही बच्चे को दुनिया की कड़ी धूप से बचाकर रखती है। लेकिन जिस तरह सिर्फ मीठा खाने से शुगर हो जाता है और इसलिए थोड़ा कड़वा भी खाना जरूरी है। इसी तरह, अगर बच्चे को मां हरदम अपने आंचल में छिपाकर रखे तो वह कभी भी जीवन की कड़ी धूप का सामना करने के लिए तैयार नहीं हो पाता और हमेशा अपने पैरेंट्स के उपर ही निर्भर रहता है।
मां का अपने बच्चे को लेकर प्रोटेक्टिव होना लाजमी है और उन्हें अपने बच्चे की चिंता भी करनी चाहिए। लेकिन प्रोटेक्टिव होने और ओवर-प्रोटेक्टिव होने में काफी अंतर है। ओवर-प्रोटेक्टिव एक नकारात्मक शब्द है। आपको भले ही इस बात का अहसास ना हो, लेकिन आपके ओवर-प्रोटेक्टिव बिहेवियर के कारण बच्चे के व्यक्तित्व यहां तक कि उसके पूरे जीवन पर नकारात्मक पड़ता है। ऐसे बच्चों को अपने जीवन में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। तो चलिए जानते हैं ओवर प्रोटेक्टिव पैरेंट्स के बच्चों को किस तरह की परेशानियों को झेलना पड़ता है-
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आत्मविश्वास में कमी
ऐसा देखा जाता है कि जिन बच्चों के पैरेंट्स ओवर-प्रोटेक्टिव होते हैं, उनके बच्चों में आत्मविश्वास की कमी होती है। दरअसल, ऐसे बच्चे बचपन से ही अपनी हर छोटी-छोटी चीज के लिए अपनी मां पर ही निर्भर होते हैं। बच्चे किस तरह के कपड़े पहनेंगे, किससे दोस्ती करेंगे या अपनी लाइफ में क्या करेंगे, उनके जीवन के हर छोटे-बड़े फैसले मां ही लेती है। ऐसे में जब वह अपने लिए खुद कोई फैसला नहीं ले पाते तो उनके मन में यह विश्वास पैदा ही नहीं हो पाता कि वह खुद भी कोई फैसला कर सकते हैं या अपने दम पर कोई काम कर सकते हैं।
एंग्जाइटी व डिप्रेशन
सुनने में आपको शायद अजीब लगे लेकिन ओवर-प्रोटेक्टिव पैरेंट्स के बच्चों को अक्सर एंग्जाइटी व डिप्रेशन की समस्या का सामना भी करना पड़ सकता है। दरअसल, ऐसे बच्चों के भीतर अपने इमोशंस को खुद समझने और उन्हें रेगुलेट करने की कला नहीं आती। ऐसे बच्चे हमेशा ही अपने माता-पिता की निगरानी में रहते हैं, जिसके कारण वह कभी भी अपनी लाइफ को खुलकर नहीं जी पाते। ऐसे में उन्हें एंग्जाइटी अधिक होती है। इसके अलावा, ऐसे बच्चे अपने माता-पिता पर इस हद तक निर्भर होते हैं कि उनके बिना अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। उन्हें लगता है कि अगर उनकी मां उनके साथ ना हो तो उनका क्या होगा। इस तरह की सोच तनाव व अवसाद की भावना को जन्म देती है। इतना ही नहीं, ऐसे बच्चे इमोशली ज्यादा डिस्टर्ब रहते हैं।क्या होती है ‘स्नो प्लाओ पेरेंटिंग’? जानें बच्चों पर पड़ने वाले इसके नुकसान
अधिक डिमांडिंग
ओवर-प्रोटेक्टिव पैरेंट्स के बच्चे स्वभाव से अधिक डिमांडिंग होते हैं। ऐसे बच्चों को बचपन से ही माता-पिता का प्यार व काफी अंटेशन मिलता है। जिसके कारण उनके मन में यह बात घर कर जाती है कि उन्हें हमेशा सबसे बेस्ट मिलना चाहिए। वह सिर्फ घर पर ही नहीं, हर जगह स्पेशल ट्रीटमेंट की उम्मीद करते हैं, लेकिन जब ऐसा नहीं होता तो वह भावनात्मक रूप से काफी परेशान हो जाते हैं। बेबी प्लान करने से पहले खुद को कुछ इस तरह करें तैयार
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हर जगह मिलती है असफलता
ओवर-प्रोटेक्टिव पैरेंट्स बचपन से ही बच्चों को अपनी छत्रछाया में रखते हैं। वह बच्चों को किसी तरह की मुसीबत का सामना नहीं करना पड़ता। इसके चलते वह जीवन में आने वाली किसी भी मुसीबत के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं हो पाते और जब बड़े होकर उन्हें बाहरी दुनिया में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है तो वह बेहद जल्द give up कर देते हैं। ऐसे में उन्हें सफलता की जगह असफलता मिलती है।
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