मेरा बेटा 9 साल का है। वह मेरे साथ खेलना-कूदना पसंद करता है और उससे मेरी बॉन्डिंग भी अच्छी है, लेकिन अक्सर ऐसा होता है कि वह मेरी कही बातों को इग्नोर कर देता है। कई बार छोटी-छोटी बातों पर वह मुझसे नाराज भी हो जाता है और रूखे तरीके से बात करता है। यह समस्या सिर्फ मेरी ही नहीं है, बहुत सी मदर्स इस समस्या से जूझ रही हैं। बच्चों का पेरेंट्स की बातों को गंभीरता से ना लेना, बातों को अनसुना कर देना और पेरेंट्स को उचित सम्मान ना देना ऐसी प्रॉब्लम्स हैं, जो आगे चलकर बड़ी समस्या बन जाती हैं। खासतौर पर टीनेज में ऐसी समस्या बहुत ज्यादा देखने को मिलती है। ऐसे में पेरेंट्स को यह समझने की जरूरत है कि बच्चों का ऐसा व्यवहार होने पर उनसे किस तरह से डील करने की जरूरत है-
बड़े होने के साथ बच्चे चाहते हैं आजादी
बच्चे अगर मम्मी-पापा की बात को इग्नोर करते हैं तो यह चीज बिल्कुल नॉर्मल हो सकती है। बड़े होने के साथ बच्चों में स्वतंत्र तरीके से रहने की भावना जोर पकड़ने लगती है। ऐसे में यह समझने की जरूरत है कि बच्चा अपनी इंडिपेंडेंस जाहिर करने की कोशिश कर रहा है या फिर उसने वाकई पेरेंट्स से गलत व्यवहार किया है। बहुत सामान्य सी चीजों पर अगर बच्चे कभी-कभार गुस्सा करें तो उसे इग्नोर कर देना चाहिए।
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बहुत ज्यादा गुस्सा करना ठीक नहीं
प्री-टीन्स और टीन्स तक पहुंचते-पहुंचते बच्चों को कई बातों पर गुस्सा आने लगता है और वे अपने पेरेंट्स से बात करते हुए रूड हो जाते हैं। हालांकि पेरेंट होने के नाते बच्चों का व्यवहार अखर सकता है, लेकिन बच्चे ऐसे ही मौके की तलाश में रहते हैं, जहां वे आपकी बात में कमी निकाल सकें या फिर आपको डिफेंसिव होने के लिए मजबूर कर दें। अगर आप इस समस्या को अपने सम्मान से जोड़कर देखेंगी तो इससे डील आपके लिए और भी ज्यादा मुश्किल हो जाएगा। आपको इस बात पर ध्यान दें कि बच्चे के किस व्यवहार पर आपको गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। अगर बच्चे किसी बात पर थोड़ा-बहुत गुस्सा कर रहे हैं तो वे उनकी झुंझलाहट को जाहिर करता है, उस स्थिति में उनसे शांत भाव से डील करना बेहतर है।
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ना करें दूसरों की बुराई
कई बार महिलाएं ऑफिस के लोगों या घर के किसी सदस्य के व्यवहार से आहत होकर उनके बारे में नेगेटिव चीजें बोल देती हैं। इस तरह के बहुत से मौके आते हैं, जिनमें स्वाभाविक तौर पर गुस्सा आता है, लेकिन आप बच्चों को समझा सकती हैं कि कैसे खुद को संयमित रखा जाए। दूसरों की आलोचना करने पर बच्चे भी वही चीजें सीख लेते हैं और वे आपके सामने आपकी आलोचना कर सकते हैं। अगर आप संयमित व्यवहार करती हैं तो आप पाएंगी कि बच्चे भी इससे सीख लेंगे। अपनी तरफ से बच्चों को हमेशा सम्मान दें और यह जाहिर करें कि किसी भी व्यक्ति से उचित तरीके से कैसे व्यवहार किया जाना चाहिए।
हर वक्त बच्चे की तरफदारी सही नहीं
कई बार किसी चीज की वजह से अगर बच्चों को परेशानी होती है तो अक्सर वे अपने पेरेंट्स से उसकी शिकायत कर देते हैं। इस तरह का की समस्या सामने आने पर मम्मी-पापा अक्सर अपने बच्चों की साइड लेते हैं और उन चीजों पर गुस्सा जाहिर करने लगते हैं। इस बात पर ध्यान दें कि कि बच्चे ने किस सिचुएशन में किस तरह से बिहेव किया। अगर बच्चे ने गलती की हो तो उनका पक्ष लेना सही नहीं है। इससे आप अनजाने में बच्चों को यह सीख दे रही होती हैं कि अगर कोई व्यक्ति उनकी बातों को नहीं माने या उनके अनुसार व्यवहार नहीं करे तो वह बुरा है। बच्चों को यह बताएं कि बहुत सी चीजें हमारे मन की नहीं होतीं, लेकिन उन्हें स्वीकार करना चाहिए। इससे बच्चे सीख लेते हैं कि मुश्किल स्थितियां आएं तो उनसे कैसे डील करना चाहिए।
बच्चों के अच्छे व्यवहार की सराहना करें
बच्चे की छोटी-छोटी खूबियों पर जब आप उसकी सराहना करती हैं तो उसे अपने व्यवहार को अच्छा बनाए रखने के लिए प्रेरणा मिलती है। बड़ों की तरह ही बच्चे भी धीरे-धीरे अपनी गलतियों से सीखते हैं। अगर आप बच्चों के संयमित व्यवहार के लिए उनकी सराहना करेंगी तो वे आगे भी अपनी कोशिशें जारी रखेंगे।
ये पेरेंटिंग टिप्स फॉलो करते हुए आप अपने बच्चों के मनोभावों को बेहतर तरीके से समझ सकती हैं और उन्हें खुश भी रख सकती हैं। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो इसे जरूर शेयर करें। पेरेंटिंग से जुड़े अन्य टिप्स पाने के लिए विजिट करती रहें हरजिंदगी।
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