हिन्दू कैलेंडर के अनुसार हर मास के कृष्ण और शुक्ल पक्ष में आने वाली त्रयोदशी तिथि का विशेष महत्त्व है। इस दिन भगवान् शिव को प्रसन्न करने हेतु को प्रदोष का व्रत रखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पूरे विधि विधान के साथ शिव जी का व्रत और पूजन करने से उनकी कृपा दृष्टि बनी रहती है। हर एक प्रदोष व्रत का अपना अलग महत्त्व है उसी प्रकार अश्विन के महीने में कृष्ण पक्ष में पड़ने वाले प्रदोष में विशेष रूप से शिव पूजन फलदायी माना जाता है।
चूंकि इसी महीने में पितृ पक्ष भी होता है अतः इस व्रत का महत्त्व और ज्यादा बढ़ जाता है क्योंकि इस महीने में भगवान के साथ पितरों को प्रसन्न करने के लिए भी कई कार्य किये जाते हैं। आइए अयोध्या के जाने माने पंडित राधे शरण शास्त्री जी से जानें अश्विन के महीने में कब रखा जाएगा प्रदोष का व्रत और इसका क्या महत्त्व है।
पितृ पक्ष प्रदोष व्रत तिथि और शुभ मुहूर्त
- हिन्दी पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 03 अक्टूबर दिन रविवार को रात 10 बजकर 29 मिनट से हो रहा है। त्रयोदशी तिथि का समापन अगले दिन 04 अक्टूबर दिन सोमवार को रात 09 बजकर 05 मिनट होगा।
- ऐसे में उदया तिथि में प्रदोष व्रत की 04 अक्टूबर को प्रात:रखा जाएगा और इसी दिन शिव पूजन करना फलदायी माना जाएगा।
- प्रदोष व्रत मुख्य रूप से उस दिन रखना फलदायी होता है जब प्रदोष काल मिल रहा हो।
- इसके अलावा इस बार का प्रदोष व्रत सोमवार को पड़ेगा जिसे सोम व्रत कहा जाएगा।
- 04 अक्टूबर को प्रदोष मुहूर्त भी है इसलिए सोम प्रदोष व्रत रखा रखना विशेष रूप से फल दे सकता है।
प्रदोष काल का शुभ मुहूर्त
04 अक्टूबर को पड़ने वाले सोम प्रदोष व्रत के लिए शिव पूजा का शुभ मुहूर्त शाम को 06 बजकर 04 मिनट से रात 08 बजकर 30 मिनट तक है। यदि आप प्रदोष व्रत रखती हैं तो प्रदोष काल में मुख्य रूप से शिवलिंग की पूजा करें। बेलपत्र, गंगाजल, गाय का दूध और मदार पुष्प, भांग अर्पित करें।
पितृ पक्ष सोम प्रदोष व्रत का महत्व
किसी भी महीने में जब प्रदोष व्रत सोमवार के दिन पड़ता है तब इसका महत्त्व और ज्यादा बढ़ जाता है। सोम प्रदोष (जानें सोम प्रदोष का महत्त्व)के दिन विशेष रूप से शिव जी का व्रत करने और शिव जी का माता पार्वती समेत पूजन करने से शिव जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। कहा जाता है कि व्रत और पूजन करने वाले व्यक्ति के जीवन से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यही नहीं उस व्यक्ति को संतान सुख की प्राप्ति होने के साथ संतान का स्वास्थ्य भी ठीक बना रहता है। प्रदोष व्रत रखने वाले और विधि विधान से शिव पूजन करने वाले के जीवन में यश, सुख और समृद्धि बनी रहती है।
प्रदोष व्रत में कैसे करें शिव पूजन
- प्रदोष व्रत वाले दिन प्रातः जल्दी उठकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और घर के मंदिर की सफाई करें।
- पूजा की चौकी को साफ़ करके उसमें शिवलिंग या शिव परिवार की मूर्ति स्थापित करें।
- घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें एवं श्रद्धा भाव से शिव जी को स्नान कराएं और चन्दन लगाएं।
- भगवान् शिव का माता पार्वती समेत पूजन करें। पूरे दिन व्रत का पालन करें और अन्न ग्रहण न करें।
- प्रदोष काल में शिव पूजन करें और पूरे श्रद्धा भाव से प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें।
- कथा के बाद शिव जी की आरती करें और भोग अर्पित करें।
उपर्युक्त विधान से प्रदोष का व्रत करने और इस दिन शिव पूजन करने से भक्तों को कई कष्टों से मुक्ति मिलने के साथ उनकी सभी इच्छाओं की पूर्ति भी होती है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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Image Credit: freepik
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