हिंदू धर्म में अपने पूर्वजों को याद कर उन्हें आभार व्यक्त करने की परंपरा सदियों से चलती आ रही है। विशेषतः पितृपक्ष में अपने पितरों को याद करके उन्हें सम्मान प्रदान किया जाता है। मान्यता यह है कि समस्त पितृगण देवतुल्य होते हैं, यही कारण है कि पितृ पक्ष में पितरों से संबंधित पूजन या दान करने पर उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसा माना जाता है कि आपके पितरो के प्रसन्न होने पर समस्त देवतागण भी प्रसन्न होते हैं और आपको आशीर्वाद प्रदान करते है।
पितृपक्ष के दौरान पूर्वजों का तर्पण नहीं करने पर पितृदोष लगता है। पुराणों में उल्लेख है कि यमराज भी पितृपक्ष के इन दिनों पितरों की आत्मा को मुक्त कर देते हैं ताकि वह सभी अपने परिजनों के बीच 15 दिनों तक रह कर श्राद्ध का अन्न जल ग्रहण कर तृप्त हो सकें। आइए एस्ट्रोलॉजर और वास्तु स्पेशलिस्ट डॉ आरती दहिया जी जानें इस साल कब से शुरू हो रहा है पितृ पक्ष और सभी राशियों को इस समय क्या उपाय करने चाहिए।
पितृपक्षशुरू होने की अवधि एवं श्राद्धतिथि
इस साल 2021 में श्राद्ध 20 सितंबर, सोमवारसे आरंभ होकर 6 अक्टूबर, बुधवार तक रहेंगे। पितृपक्ष (पितृपक्ष में न करें ये गलतियां) श्राद्ध हर साल आश्विन कृष्ण पक्ष प्रतिपदा से आरंभ होता है और अमावस्या तिथि तक रहता है। इन पूरे 15 दिनों की अवधि में पितरों को अन्न जल देकर प्रसन्न करने का विधान है।
पितृ पक्ष में श्राद्ध की तिथियां
- पूर्णिमा श्राद्ध - 20 सितंबर, सोमवार
- प्रतिपदा श्राद्ध - 21 सितंबर, मंगलवार
- द्वितीया श्राद्ध - 22 सितंबर, बुधवार
- तृतीया श्राद्ध - 23 सितंबर, बृहस्पतिवार
- चतुर्थी श्राद्ध - 24 सितंबर,शुक्रवार
- पंचमी श्राद्ध - 25 सितंबर, शनिवार
- श्राद्ध तिथि नहीं -26 सितंबर, रविवार
- षष्ठी श्राद्ध - 27 सितंबर, सोमवार
- सप्तमी श्राद्ध - 28 सितंबर, मंगलवार
- अष्टमी श्राद्ध- 29 सितंबर,बुधवार
- नवमी श्राद्ध - 30 सितंबर, बृहस्पतिवार
- दशमी श्राद्ध - 1 अक्टूबर, शुक्रवार
- एकादशी श्राद्ध - 2 अक्टूबर,शनिवार
- द्वादशी श्राद्ध- 3 अक्टूबर, रविवार
- त्रयोदशी श्राद्ध - 4 अक्टूबर, सोमवार
- चतुर्दशी श्राद्ध- 5 अक्टूबर,मंगलवार
- अमावस्या श्राद्ध-6 अक्टूबर, बुधवार
पितृ पक्ष का महत्व
हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का खास महत्व बताया गया है। हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद भी अपने पूर्वजों का समय-समय पर स्मरण किया जाता है और श्राद्ध पक्ष उन्हीं के प्रति अपनी कृतज्ञता जाहिर करने और उनके निमित्त अपनी ग़लतियों की क्षमा मांगने का समय होता है। आरती दहिया जी बताती हैं कि यदि श्राद्ध न किया जाए तो मरने वाले व्यक्ति की आत्मा को मुक्ति और तृप्ति नहीं मिलती है। मान्यता यह भी है कि पितृ पक्ष में पितरों के निमित्त दान-पुण्य करने से हमारी कुंडली से पितृ दोष का दुष्प्रभाव समाप्त हो जाता है। जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली में पितृ दोष उपस्थित होता है, उसे जीवन में अनेको परेशानियों का सामना करना पड़ता है और साथ ही कई रोग और बाधाएं उनका पीछा नहीं छोड़ती हैं। पितृपक्ष में पितरों का तर्पण करने से पितृ दोष दूर होता है और परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
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राशि के अनुसार ऐसे करें तर्पण
मेष राशि
आपको पहले श्राद्ध और अंतिम श्राद्ध में अपने पितरों के निमित्त गरीबों को यथाशक्ति भोजन करवाना चाहिए।
वृषभ राशि
पितरों के नाम पर यथा शक्ति गरीब एवं ज़रूरतमंद कन्याओं को भोजन कराना चाहिए।
मिथुन राशि
श्राद्ध के दौरान रोज़ाना पक्षियों को सात अनाज खिलाना चाहिए एवं उनके लिए पानी की व्यवस्था करनी चाहिए।
कर्क राशि
आपको श्राद्ध में किसी शिव मंदिर में शिवलिंग का दूध से अभिषेक करना चाहिए और एक जटा नारियल अर्पित करना चाहिए।
सिंह राशि
आपको श्राद्ध में निर्धन लोगों को अनाज दान में देना चाहिए ऐसा करने से आपको पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होगा।
कन्या राशि
आपको श्राद्ध में अपने घर पर यथाशक्ति सुंदरकांड का पाठ करवाना चाहिए पितरों का विशेष लाभ मिलेगा।
तुला राशि
पितृपक्ष में कुछ ज़रूरतमंद कन्याओं को काली चप्पल का दान करना चाहिए पितरों का विशेष आशीर्वाद मिलेगा।
वृश्चिक राशि
पितृपक्ष में 5 गरीबों को दो रंग का कंबल दें और साथ ही अपनी शक्ति के अनुसार उन्हें पूर्ण सात्विक भोजन करवाएं। पूर्वजों का विशेष आशीर्वाद मिलेगा।
धनु राशि
आपके लिए श्राद्ध में पशु-पक्षियों को दाना-पानी और गाय को चारा खिलाना विशेष लाभदायक रहेगा।
मकर राशि
श्राद्ध पक्ष में अमावस्या के दिन दृष्टिहीन और दिव्यांग व्यक्तियों को भोजन करवाना लाभदायक रहेगा।
कुंभ राशि
श्राद्ध में अमावस्या के दिन अपने पितरों के निमित्त 11 श्रीफल लेने हैं और अपने पितरों से क्षमा याचना करके एक-एक श्रीफल बहते जल में प्रवाहित करना है।
मीन राशि
आपको श्राद्ध की अमावस्या पर बिहाई गाय को हरा चारा खिलाना है और यदि संभव हो तो गौ दान भी सर्वोत्तम रहेगा।
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पितृपक्ष में उपर्युक्त सभी तरीकों से तर्पण करने और दान-पुण्य करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलने के साथ पितृ दोष से भी मुक्ति मिलेगी और पूर्वजों की विशेष कृपा दृष्टि बनी रहेगी।
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