इस बात में कोई दोराय नहीं है कि बच्चों को कम उम्र से ही एक अनुशासित जीवन जीने की आदत होनी चाहिए। इसमें पैरेंट्स का एक बहुत बड़ा रोल होता है। जब पैरेंट्स कम उम्र से ही बच्चों को डिसिप्लिन में रहना सिखाते हैं तो वह आगे चलकर भी अपने जीवन को अधिक आर्गेनाइज्ड तरीके से जी पाते हैं। इसका लाभ उन्हें ताउम्र मिलता है। लेकिन किसी चीज को मन से करने और उसे थोपने में फर्क होता है।
कुछ पैरेंट्स अपने बच्चे को डिसिप्लिन में रखना तो चाहते हैं, लेकिन वे अनुशासन को बच्चे की लाइफस्टाइल का हिस्सा बनाने की जगह उसे बोझिल बना देते हैं। जिसके कारण बच्चे काफी परेशान हो जाते हैं। हो सकता है कि आप भी अपने बच्चों को अधिक डिसिप्लिन में रखना चाहते हों, लेकिन फिर भी आपको कुछ गलतियों से बचना चाहिए। यह मिसटेक्स तुरंत तो अपना असर दिखाती हैं, लेकिन लॉन्ग टर्म में इनके नेगेटिव इफेक्ट देखने को मिलते हैं-
जोर से बोलना
यह अधिकतर घरों में देखने में मिलता है। जब बच्चे पैरेंट्स की बात नहीं मानते हैं या फिर पैरेंट्स बच्चों को अनुशासन में रखना चाहते हैं तो वह जोर से बोलकर या फिर रफ टोन में बच्चे से बात करते हैं। ऐसा करने से बच्चे उस समय तो पैरेंट्स की बात मान लेते हैं। लेकिन लगातार ऐसा व्यवहार करने से बच्चे में भी कई नकारात्मक परिवर्तन आते हैं। आमतौर पर, ऐसे बच्चे कुछ वक्त बाद स्वभाव से गुस्सैल व जिद्दी हो जाते हैं। अंततः वह किसी की भी बात नहीं मानते हैं।
बच्चों की तुलना करना
कई बार ऐसा होता है कि आप अपने आसपास कुछ ऐसे बच्चे देखते हैं, जो अधिक अनुशासित जीवन जीते हैं। वह हर काम को समय पर व बेहद करीने से करते हैं। ऐसे बच्चों की तारीफ करना लाजमी हैं। लेकिन कभी भी अपने बच्चे की तुलना उस दूसरे बच्चे से ना करें। आपको भले ही इसमें कोई बुराई नजर ना आए, लेकिन वास्तव में इससे बच्चों की भावनाएं बेहद आहत होती हैं। इतना ही नहीं, बच्चे इस तुलना को नकारात्मक रूप में ले लेते हैं, जिससे उनका व्यवहार और भी अधिक नकारात्मक हो जाता है।
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जबरदस्ती थोपना
जीवन में अनुशासन का होना आवश्यक है। लेकिन यह किसी पर भी थोपा नहीं जा सकता है। अगर आप बच्चे को सिर्फ अनुशासन में रहने के लिए बड़े-बड़े लेक्चर देते हैं या फिर उन्हें कहते हैं कि उन्हें इस समय पर यह कार्य करना है तो वह उसे बेमन से करते हैं। जिसके कारण वह अनुशासन को अपने जीवन व लाइफस्टाइल का हिस्सा नहीं बना पाते हैं। अगर आप सच में चाहते हैं कि बच्चे एक अनुशासित जीवन जीएं तो आपको उन्हें इसके कुछ लाभ बताने होंगे, ताकि वह डिसिप्लिन(बच्चों को डिसिप्लिन का महत्व समझाने में कारगर) में रहने के लिए प्रेरित हो सकें।
गलत शब्दों का इस्तेमाल करना
यह शायद सबसे बड़ी गलती है, जो एक पैरेंट के रूप में आप करते हैं। यकीनन आप बच्चे को एक अनुशासित जीवन देना चाहते हैं और वह शायद एक या दो बार में आपकी बात ना मानें। लेकिन इसके लिए बच्चों के लिए गलत शब्दों का इस्तेमाल करना किसी भी लिहाज से उचित नहीं है। कई बार पैरेंट्स गुस्से में ऐसा कर देते हैं। लेकिन इसका गहरा असर बच्चों के बालमन पर पड़ता है। जिससे वह खुद का ही आत्मविश्वास खोने लगते हैं।
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गलत उदाहरण सेट करना
यह गलती अधिकतर पैरेंट्स कर बैठते हैं। वह अपने बच्चे को रात में फोन या टीवीदेखने से मना करते हैं, लेकिन खुद बेड पर लेटे-लेटे फोन की स्क्रीन को स्क्रॉल करते हैं। ऐसा करने से आप बच्चों के सामने गलत उदाहरण पेश करते हैं। अगर आप चाहते हैं कि बच्चे अनुशासित जीवन जीएं तो इसके लिए सबसे पहले आपको खुद में बदलाव लाने होंगे। याद रखें कि बच्चे आपके शब्दों को नहीं, बल्कि किए गए कार्यों को फॉलो करते हैं।
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