एक पैरेंट्स के रूप में आपकी जिम्मेदारी सिर्फ बच्चे का पालन-पोषण करने या फिर उसकी जरूरतें पूरी करने तक ही सीमित नहीं है। बल्कि बच्चों में अच्छे गुणों का विकास करना और उन्हें discipline बनाना भी माता-पिता का ही कर्त्तव्य होता है। डिसिप्लीन वास्तव में हर व्यक्ति के जीवन में एक अहम् महत्व रखता है। अगर एक व्यक्ति अपने जीवन में अनुशासित है तो उसे बेहद कम समस्याओं का सामना करना पड़ता है। साथ ही जीवन में सफलता प्राप्त करना भी उसके लिए काफी आसान हो जाता है। यह एक ऐसा गुण है, जिसका विकास व्यक्ति के बचपन से ही होता है। वैसे तो माता-पिता भी बच्चों को बचपन से डिसिप्लीन में रखने की कोशिश करते हैं, लेकिन शायद उनका तरीका इतना इफेक्टिव नहीं होता और केवल शॉर्ट टर्म में ही काम आता है।
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कुछ पैरेंट्स बच्चों को डांटकर या कभी-कभी मारकर उन्हें अनुशासित करने की कोशिश करते हैं। इसके कारण भले ही बच्चे उस वक्त के लिए या फिर कुछ वक्त के लिए अनुशासित हो जाएं, लेकिन इस तरह आप कभी भी उनके आचरण में अनुशासन नहीं ला पाएंगी। अगर आप कुछ हेल्दी तरीकों से बच्चे को discipline सिखाना चाहती हैं तो आपको इन तरीकों का सहारा लेना चाहिए-
सही शब्दों का चयन
हम बच्चों से किस तरह बात करते हैं, यह उनके पूरे व्यक्तित्व को प्रभावित करता है। इसलिए चाहे आप उन्हें अनुशासित बनाना चाहती हों या फिर उनके भीतर अन्य गुणों का समावेश करना चाहती हों, यह बेहद जरूरी है कि आपके शब्दों का चयन सकारात्मक हो।
आप उन्हें बताएं कि जीवन में डिसिप्लीन होने के कितने फायदे हैं। साथ ही बच्चे के लिए रोल मॉडल बनें। दरअसल, बच्चे सबसे पहले अपने माता-पिता को देखकर ही सीखते हैं और अगर आप अपने जीवन में अनुशासित व संयमित आचरण अपनाती हैं तो बच्चे में यह गुण खुद ब खुद आ जाते हैं।
सेट करें रूल्स
बच्चे को अनुशासित करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप कुछ रूल्स सेट करें। कोशिश करें कि वह रूल्स बच्चों से लेकर बड़ा हर कोई फॉलो करे। इस तरह छोटे-छोटे रूल्स के जरिए बच्चे अपने जीवन को अनुशासित करना सीखते हैं।
बताएं परिणाम
हो सकता है कि बच्चा शुरू में आपकी बात ना माने। ऐसे में आप उस पर चिल्लाने की जगह उसके परिणाम के बारे में बताएं। मसलन, अगर खिलौनों से खेलने के बाद बच्चा उसे जगह पर नहीं रखता है तो आप उससे कहें कि अगर वह ऐसा करता है तो फिर आप पूरा दिन उससे खिलौनों को दूर रखेंगी। याद रखें कि आप उन परिणामों पर अटल रहें। अधिकतर मामलों में मॉम meltdown हो जाती हैं और फिर बच्चे उनकी बातों को सीरियसली नहीं लेते।
जब तोड़ें रूल्स
एक बात हमेशा ध्यान रखें कि बच्चा सिर्फ आपके कहने भर से ही अनुशासित जीवन नहीं जीने लगेगा। बच्चे स्वभाव से काफी चंचल होते हैं और उन्हें अनुशासित करने के लिए बेहद धैर्य की आवश्यकता होती है। हो सकता है कि बच्चा कभी-कभी रूल्स को तोड़े भी।
लेकिन हर गलती पर उसे डांटे या चिल्लाएं नहीं। बल्कि आप उससे कहें कि आपको उससे यह उम्मीद नहीं थी। उसके इस काम से आपको दुख पहुंचा है और आप उम्मीद करती हैं कि वह इस गलती को नहीं दोहराएगा। इस तरह वह अगली बार कोई भी रूल तोड़ने से पहले जरूर सोचेगा।
दें रिवॉर्ड
बच्चों के साथ रिवॉर्ड का सहारा लेकर भी अनुशासित बनाया जा सकता है। जरा सोचिए, जब आप कोई अच्छा काम करती हैं तो उम्मीद करती हैं कि लोग उसकी तारीफ करें या उसके लिए आपको रिवॉर्ड मिले। यही प्रवृत्ति बच्चों की भी होती है। अगर आपने बच्चे को कुछ समझाया और वह स्वयं से एक अनुशासित जीवन जीने का प्रयास कर रहा है तो उसके इस प्रयास को रिवॉर्ड के जरिए प्रोत्साहित करें।
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मसलन, आप उस दिन शाम को बच्चे के साथ जाकर आईसक्रीम खा सकती हैं या फिर उसके इस effort के लिए आप उसकी तारीफ करें या फिर उसके साथ संडे के दिन भरपूर मस्ती करें, ताकि अनुशासन में रहने के साथ वह अपने बचपन को भी पूरी तरह से एन्जॉय कर पाए। साथ ही रिवॉर्ड के कारण वह खुद को ज्यादा अनुशासित रखने की कोशिश करेगा।
दें जिम्मेदारी
यह भी बच्चे को अनुशासित बनाने का आसान लेकिन प्रभावी तरीका है। दरअसल, जब व्यक्ति के उपर कोई जिम्मेदारी आती है तो वह खुद ब खुद अनुशासित हो जाता है। जरूरी नहीं है कि आप उसे कोई बड़ी जिम्मेदारी दें। आप उसे कहें कि घर लौटने के बाद उसे खुद कपड़े चेंज करने हैं और फिर बैग व कपडे़ वह खुद जगह पर रखे या फिर अपने कमरे को क्लीन करने की जिम्मेदारी उसकी है। इस तरह के छोटे-छोटे काम उसे अधिक जिम्मेदार व अनुशासित बनाते हैं।
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