बच्चों की शरारतें, उनकी मासूमियत, उनकी भोलीभाली बातें, मम्मी-पापा के साथ खेलकूद पेरेंट्स को बहुत अच्छे लगते हैं। ये चीजें पेरेंट्स को एनर्जेटिक बनाए रखती हैं, लेकिन जब बच्चे नखरे दिखाते हैं, चिड़चिड़े हो जाते हैं, रोते हैं और गुस्सा करते हैं तो उन्हें संभालना बहुत ज्यादा मुश्किल हो जाता है। आजकल ज्यादातर महिलाएं वर्किंग हैं। ऐसे में बच्चों को पेरेंट्स के साथ वक्त बिताने का बहुत ज्यादा मौका नहीं मिलता। पेरेंट्स जब बच्चों के साथ होते हैं तो उस दौरान बच्चों को खुश रखना बहुत आसान नहीं होता। खासतौर पर जब बच्चे सेंसिटिव हों, छोटी-छोटी चीजों पर बहुत ज्यादा सोचते हैं या किसी बात से परेशान हो जाएं तो पेरेंट्स के लिए उन्हें डील करना और भी ज्यादा मुश्किल होता है। अगर आप भी ऐसी सिचुएशन से गुजर रही हैं तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे तरीके, जिनके जरिए आप अपने सेंसिटिव चाइल्ड से बेहतर तरीके से डील कर सकती हैं।
बच्चे की संवेदनशीलता समझें
अगर बच्चे के दिमाग में छोटी-छोटी बातें भी रह जाती हैं, किसी का झगड़ा या कही हुई बात लंबे वक्त तक उसे परेशान करती हैं, बड़ों का रूखा व्यवहार या किसी की तेज आवाज से वह परेशान होता है तो समझ लें कि आपका बच्चा संवेदनशील है। ऐसे बच्चों के टैंपरामेंट को बदलने की कोशिश ना करें। इसकी बजाय बच्चे को उसके पॉजिटिव्स बताएं और उसके टैलेंट के बारे में बताएं। इससे बच्चे नेगेटिव सोचने से बचेंगे और कॉन्फिडेंट फील करेंगे।
बच्चे को सामान्य होने के लिए ज्यादा समय दें
सेंसिटिव चाइल्ड दूसरे बच्चों की तुलना में सामान्य होने में ज्यादा वक्त लेते हैं। इसीलिए अगर बच्चों से कुछ गलती हो जाए या वे खुद किसी बात से परेशान हो जाएं तो उन्हें डांटने के बजाय उनसे प्यार से पेश आएं। अगर वे आपकी बात नहीं सुन रहे हैं तो भी उन्हें नॉर्मल होने के लिए थोड़ा सा समय दें।
अनुशासन है जरूरी
मुमकिन है कि बच्चे को पैंपर करने या उसे नाराज ना करने के लिए आप उसकी गलतियों को इग्नोर कर दें, लेकिन अगर आप बार-बार उसकी गलतियों पर उसे कुछ नहीं कहेंगी, तो इससे बच्चे में सुधार संभव नहीं होगा। अगर आप चाहती हैं कि बच्चा आपकी बात सुने और आपको ज्यादा परेशान ना करे तो उसके लिए लिमिट तय करें कि एक सीमा से ज्यादा आप उसके गलत व्यवहार को बर्दाश्त नहीं करेंगी। इससे बच्चा अपने बिहेवियर को लेकर सजग रहेगा।
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बच्चे के प्रयास की करें सराहना
संवेदनशील बच्चे छोटी-छोटी चीजों के बारे में भी बहुत ज्यादा सोचते हैं। वे अक्सर किसी बात से बहुत खुश हो जाते हैं या फिर किसी छोटी सी घटना पर भी वे गहराई से विचार करते हैं। इस वजह से वे ज्यादा परेशान भी हो जाते हैं। ऐसे में बच्चे को मजबूत बनाने के लिए बहुत जरूरी है कि आप उनके छोटे-छोटे प्रयासों की सराहना करें और उन्हें कॉन्फिडेंट बनाएं। सराहना करते हुए इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे की मेहनत और उसकी कोशिशों की सराहना करें। आप अपने बच्चे से कह सकती हैं, 'जिस तरह से तुमने मैथ्स और साइंस में मेहनत की, उससे मैं बहुत खुश हूं। इस बात को बच्चे को स्पष्टता से समझाएं कि उसकी मेहनत के लिए उसकी तारीफ हो रही है, चाहें भले ही उसे अपने प्रयासों से उतनी सफलता ना मिले, जितने की वह उम्मीद कर रहा था।
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प्रॉब्लम का सॉल्यूशन निकालने का तरीका बताएं
कई बार बच्चे जब अपनी प्रॉब्लम्स को खुद सॉल्व नहीं कर पाते, तो भी वे परेशान हो जाते हैं। अगर बच्चों को ऐसी परेशानियों के सॉल्यूशन स्टेप बाई स्टेप बताए जाएं तो वे खुद ही उनसे डील कर लेंगे और परेशान भी नहीं होंगे। इससे बच्चे खुद को लेकर कॉन्फिडेंट भी महसूस करेंगे। बच्चे को कोई भी सीख देने के लिए ऐसे तर्क दें, जिन्हें वह आसानी से समझ सकें। इस बात का भी ध्यान रखें कि बच्चे को अनुशासित बनाएं और उसके उसकी गलतियों के लिए बहुत ज्यादा सजा ना दें।
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