हम सभी अपनी जिंदगी में आगे बढ़ना चाहते हैं, कामयाब होना चाहते हैं, लेकिन हमें ये भी मालूम है कि इसका रास्ता आसान नहीं है। कई बार प्रयास करने के बावजूद हार और नाउम्मीदी हाथ लगती है। अपनी जिंदगी में हमने ऐसा कितनी ही बार होते देखा है, इसीलिए हम बचपन से ही बच्चों को कड़ी मेहनत करने और सफलता हासिल करने के लिए प्रेरित करते हैं। लेकिन मुश्किल तब खड़ी होती है जब हम अपनी आकांक्षों का बोझ बच्चों पर डाल देते हैं और उनके मन में हार का डर बिठा देते हैं।
हमारी चाहत होती है कि बच्चे जो भी काम करें उसमें अव्वल आएं। किसी काम में बेहतर नहीं परफॉर्म कर पाने पर कई बार हम उन्हें जरूरत से ज्यादा डांट देते हैं, डरा देते हैं और उनके आत्मसम्मान को ढेस पहुंचा देते हैं। बच्चे के विकास पर इसका बहुत बुरा असर पड़ता है। चाहें पढ़ाई हो या फिर कोई भी दूसरा कामकाज, बच्चे पर बेस्ट परफॉर्म करने के लिए दबाव नहीं डालें। पेरेंटिंग एक्सपर्ट मानते हैं कि असफलता बच्चे के के लिए बुरी नहीं होती। बल्कि यह सीखनी की पहली सीढ़ी है।
साइकोलॉजिस्ट्स का मानना है कि बच्चे बहुत सेंसिटिव होते हैं। उनके साथ बहुत नरमी से पेश आना चाहिए। आज के समय में बच्चों पर अच्छा परफॉर्म करने का दबाव भी ज्यादा होता है। बच्चों को उनकी रुचि के मुताबिक चीजें करने और आगे बढ़ने के लिए मुश्किल से स्पेस मिल पाता है। ऐसे में अक्सर देखने में आता है कि बच्चा बहुत अच्छा परफॉर्म नहीं कर पाता। अगर बच्चे को स्पोर्ट्स पसंद है तो शायद वह डांस या ताइक्वांडो में उतना अच्छा परफॉर्म नहीं कर पाए। अगर बच्चा बिल्कुल अच्छा नहीं कर पाता तो आपको संकेत मिलता है कि यह हॉबी उसे जंच नहीं रही। लेकिन अगर वह औसत प्रदर्शन कर रहा होता है वह समझ नहीं पाता कि वह इससे कहीं बेहतर प्रदर्शन भी कर सकता है और आप भी उसके आगे बढ़ने के लिए बहुत प्रयास नहीं करतीं। इस बात पर ध्यान दें कि बच्चा सिर्फ कोरी पढ़ाई करके खानापूर्ति ना करे, बल्कि सही मायने में पढ़ाई करे और सीख ले।
नंबर और डिग्री से ज्यादा बच्चे के लिए ज्ञान मायने रखता है। ऐसे में बच्चों पर बिना किसी तरह का दबाव बनाए बिना उन्हें सीखने के लिए प्रोत्साहित करें। अगर बच्चे कोई काम सही तरीके से नहीं कर पाएं तो उन्हें बताएं कि किस चीज में उनके प्रयासों में कमी रह गई और वे कैसे आगे के लिए तैयारी कर सकते हैं।
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जब बच्चा किसी काम में फेल होता है तभी उसे इस बात का अहसास होता है कि उसकी मेहनत काफी नहीं है, बल्कि उसे और ज्यादा प्रयास करने की जरूरत है। अगर आपका बच्चा इंग्लिश में अच्छे नंबर ला रहा है, लेकिन हिंदी में बहुत कम नंबर आएं तो उसे यह रियलाइज होगा कि हिंदी में भी उसे ध्यान से पढ़ाई करने की जरूरत है। बार-बार असफल होना बच्चे को धैर्यवान बनाने में भी मदद करेगा। पेरेंट्स होने के नाते बच्चों को हमेशा इस बात का एहसास कराते रहें कि हर किसी की क्षमता अलग होती है। बच्चों को यह एक्सप्लोर करने में मदद करें कि उनकी रुचि और क्षमता किस चीज में है।
पेरेंट्स अक्सर बच्चों के नंबर कम आने पर या उनकी तरफ से कोई काम सही नहीं हो पाने पर पड़ोसी बच्चों या क्लासमेट्स के साथ उनकी तुलना करने लगते हैं। ऐसा बिल्कुल ना करें, क्योंकि इससे उनके मन में हीनभावना विकसित होती है। अगर आपका बच्चा योग्य है तो देर से ही सही, उसे अपनी मंजिल जरूर मिल जाएगी। विंस्टन चर्चिल, महात्मा गांधी, नेपोलियन जैसी कितनी ही बढ़ी शख्सीयतों के बारे में पढ़ें तो आपको पता चलेगा कि इन्होंने कितनी असफलताओं का सामना करते हुए आगे की राह चुनी और तब जाकर वे सफल हुए। इसीलिए बच्चे पर भरोसा बनाए रखें और उसे भरपूर स्नेह दें। हाल-फिलहाल में मध्य प्रदेश के एक दुकानदार ने अपने बच्चे के फेल होने पर बैंड-बाजे के साथ उसकी असफलता को स्वीकार किया था। उसने अपने बच्चे को प्रेरित करते हुए कहा, 'फेल होने पर दुखी होकर अपना वक्त और ऊर्जा बर्बाद मत करो। खूब मेहनत करो। मुझे पूरा भरोसा है कि तुम जरूर कामयाब होगे।
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