अक्सर मम्मियां अपने बच्चों के लिए इतनी फिक्रमंद रहती हैं कि उन्हें हर दूसरी बात पर डांटती रहती हैं। ये क्यों किया, ऐसे क्यों चिल्ला रहे हो, कोई काम सही से नहीं होता, पढ़ना-लिखना तो है नहीं... और ना जाने क्या-क्या। बेचारे बच्चे दिन-रात मां की डांट सुन-सुनकर इतने त्रस्त हो जाते हैं कि फिर वे या तो मां को जवाब देने लगते हैं या फिर उनकी बात को ही अनसुना करने लगते हैं। अगर आपको भी अपने बच्चे में इसी तरह के लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो मैडम अभी से संभल जाइए।
एक नई स्टडी भी पेरेंट्स के कंट्रोलिंग बिहेवियर से बच्चों के लिए होने वाली मुश्किल की तरफ इशारा कर रही है। वॉशिंगटन में हुई इस स्टडी में कहा गया है कि बच्चों को जरूरत से ज्यादा कंट्रोल करने पर उनके अपना व्यवहार और इमोशन्स को काबू करने की एबिलिटी कम हो जाती है।'
जब मां-बाप हर छोटी बात पर बच्चों को बताते रहते हैं कि ये करो और ये नहीं करो तो उसे उससे बच्चे ज्यादा कुछ नहीं सीख पाते। दरअसल बच्चे पेरेंट्स की बताई बातों को समझ ही नहीं पाते क्योंकि वे उस अनुभव से खुद नहीं गुजरे होते। इसे ही हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग का नाम दिया जाता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि इस तरह की पेरेंटिंग होने पर बच्चे समय के साथ आने वाली चुनौतियों से सही तरीके से नहीं लड़ पाते। विशेष रूप से आजकल स्कूलों में माहौल काफी चुनौतीपूर्ण हो गया है। ऐसे बच्चे जो अपने इमोशन्स और व्यवहार को काबू नहीं कर पाते, वे क्लास में आपे से बाहर हो जाते हैं या फिर उन्हें दोस्त बनाने और मुश्किल स्थितियों से निपटने में काफी परेशानी महसूस होती है। पेरेंट्स की गैरहाजिरी में अपने इमोशन्स शेयर करने और गाइडेंस के लिए बच्चे आजकल आया या दूसरे रिलेटिव्स पर निर्भर हैं, जो कि नाकाफी है।
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बच्चों को पेरेंट्स से ऐसी परवरिश की जरूरत है, जिसमें उनके इमोशन्स और जरूरतों को समझा जाए। जब पेरेंट्स अपने बच्चों की परवरिश इस तरह से करेंगे तभी वे समझ सकते हैं कि बच्चा कौन सी सिचुएशन हैंडल कर सकता है और किस स्थिति में उसे बहुत परेशानी महसूस होती है।
इस तरह की परवरिश होने पर बच्चे मुश्किल स्थितियों को खुद से हैंडल करना सीख लेते हैं और उनकी मेंटल और फिजिकल हेल्थ भी अच्छी रहती है, उनकी सोशल रिलेशनशिप्स अच्छी रहती हैं और वे पढ़ाई-लिखाई में भी आगे रहते हैं।
अपने इमोशन्स और व्यवहार को मैनेज करना मूल चीजें हैं, जिन्हें सभी बच्चों को सीखने की जरूरत होती है। अगर पेरेंट्स बच्चों को जरूरत से ज्यादा कंट्रोल करते हैं तो बच्चे अपने इमोशन्स और व्यवहार मैनेज करने में मुश्किल महसूस कर सकते हैं। रिसर्चर्स का कहना था, 'हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग करने वाले पेरेंट्स बच्चों को लगातार गाइड करते हैं कि उन्हें किससे खेलना चाहिए, खेलने के बाद सामान किस तरह से समेटकर रखना चाहिए। ऐसे पेरेंट्स बहुत स्ट्रिक्ट या डिमांडिंग होते हैं। इस पर बच्चे अलग-अलग तरीके से रिएक्ट करते हैं, कुछ पेरेंट्स की बात की परवाह करना छोड़ देते हैं, कुछ झल्लाना शुरू कर देते हैं।'
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