टीवी पर आने वाले अनगिनत किड्स चैन और बच्चों की कार्टून शोज के लिए बढ़ती दीवानगी का आलम यह है कि बच्चे दिनभर टीवी से चिपके रहना पसंद करते हैं। चाहें छोटा भीम हो या फिर मोटू-पतलू या फिर टॉम एंड जेरी, बच्चों को ये शोज इतने पसंद हैं कि वे मौका मिलते ही टीवी ऑन कर देते हैं। सुबह उठने के साथ टीवी देखने का जो सिलसिला शुरू होता है, वह रात में डांट पड़ने तक खत्म नहीं होता। मेरा बेटा अक्सर रात में कार्टून्स से बातें करता है। वह अक्सर बताता है कि मोटू कैसे समोसे की खुशबू सूंघते ही हवा में तैरना शुरू कर देता है और कैसे टॉम हमेशा जैरी को परेशान होने के चक्कर में खुद फंस जाता है। कार्टून शोज और किड्स मूवीज बच्चों का खूब मनोरंजन करते हैं, उनकी क्रिएटिविटी को पंख भी देते हैं, लेकिन किसी भी चीज की अति बुरी होती है। अगर बच्चे जरूरत से ज्यादा टीवी देखेंगे, तो उनका ध्यान खाने-पीने, पढ़ाई-लिखाई और आउटडोर गेम्स से हट सकता है। इससे उनके पर्सनेलिटी डेवलपमेंट और हेल्थ पर भी बुरा असर पड़ता है। तो आइए जानें कुछ ऐसे तरीके, जिनके जरिए आप बच्चों को क्रिएटिव तरीके से टीवी से दूर रख सकती हैं-
बच्चों को प्यार से समझाएं
बच्चों को कोई भी बात अगर प्यार से समझाई जाए तो वे उस पर जरूर ध्यान देते हैं। बच्चों से उनकी पसंद के प्रोग्राम पूछिए। कभी-कभी आप उनके साथ उनके फेवरेट शो का भी मजा ले सकती हैं। इससे बच्चे आपके साथ ज्यादा कनेक्टेड महसूस करेंगे। अगर आपको लगे कि शो से आपके बच्चों पर बुरा असर हो सकता है। मसलन किसी कार्टून में बच्चे बहुत शैतान नजर आएं या गलत शब्दों का प्रयोग करते नजर आएं तो आप बच्चों को दूसरे शो देखने के लिए इंस्पायर कर सकती हैं। बचपन में बच्चे जैसी चीजें देखते हैं, उसका उनके मन-मस्तिष्क पर गहरा असर होता है।
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लत न लगने दें
अगर आप बच्चों के सवालों से परेशान होकर या खुद को रिलैक्स करने के लिए उन्हें टीवी देखने के लिए छोड़ देती हैं तो इससे उन्हें टीवी देखने के लत लग सकती है। एक या दो घंटे से ज्यादा टीवी देखना बच्चे के लिए सही नहीं है। ज्यादा टीवी देखने से मुमकिन है कि बच्चा अपनी ही दुनिया में सिमट जाए और आपसे उसकी शेयरिंग कम हो जाए। साथ ही बच्चे की सोशल स्किल्स सीखने, दोस्तों के साथ खेलने-कूदने की प्रक्रिया पर भी असर पड़ता है।
बच्चों की नींद पर ना पड़े असर
कई बार बच्चे डरावनी फिल्में या कुछ ऐसा कंटेंट भी टीवी पर देख लेते हैं, जिससे वे घबरा जाते हैं। इसका असर उनकी नींद पर भी पड़ सकता है। अगर बच्चा सोते समय डरे या रोए-बड़बड़ाए और टीवी पर देखे शोज से डर लगने की बात करे तो सतर्क हो जाएं। ऐसे शोज बच्चों को ना देखने दें। अगर बच्चे किसी चीज से डरेंगे तो उससे उनकी ऑब्जर्वेशन श्रमता में कमी आ सकती है।
बच्चों को घुमाने ले जाएं
बच्चों को अगर घर पर कोई इंट्रस्टिंग चीज करने को नहीं मिले तो उन्हें टीवी ज्यादा रास आने लगता है। अगर आप बहुत व्यस्त रहती हैं और बच्चे को ज्यादा वक्त नहीं दे पातीं तो मुमकिन है कि आपका बच्चा ऐसे शोज देखने का हैबिचुअल हो जाए। ऐसे में आपको बच्चे के लिए थोड़ा क्वालिटी टाइम निकालने की जरूरत है। जब भी आपके पास वक्त हो तो बच्चे के साथ पार्क में जाएं, झूले जूलें, गेम्स खेलें, उन्हें ऐसी जगह लेकर जाएं, जहां आप उन्हें कुछ नई चीजें दिखा और सिखा सकें। साइंस सेंटर, म्यूजियम, एक्वेरियम जैसी जगहों पर आपके बच्चे का मन लगेगा और वे सीखने के लिए भी प्रेरित होंगे।
बच्चों को करें इंस्पायर
अगर आप खुद टीवी देखने में मसरूफ रहती हैं तो आपका बच्चा भी वही सीखेगा। इसीलिए अगर आप बच्चे को ज्यादा टीवी देखने से रोकना चाहती हैं तो उसके सामने एक अच्छा उदाहरण पेश करते हुए टीवी कम देखें। अगर आप सुबह वॉक पर जाएं, शाम में आउटडोर गेम्स खेलने के लिए बच्चे को साथ ले जाएं तो उसे टीवी देखने की लत बिल्कुल नहीं लगेगी।
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