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Padmini Ekadashi 2023: कब है अधिक मास की पद्मिनी एकादशी? जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

अधिक मास का हिन्दू धर्म में बहुत महत्व है। ठीक ऐसे ही अधिक मास की एकादशी भी बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। अधिक मास की एकादशी को पद्मिनी एकादशी कहते हैं। आइये जानते हैं इसके बारे में। 
Editorial
Updated:- 2023-07-28, 16:52 IST

Padmini Ekadashi 2023 Date, Shubh Muhurat, Puja Vidhi Aur Mahatva: अधिक मास का हिन्दू धर्म में बहुत महत्व माना जाता है।

ठीक ऐसे ही अधिक मास की एकादशी भी बहुत महत्वपूर्ण होती है। अधिक मास की एकादशी को पद्मिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। 

अधिक मास भी भगवान विष्णु को समर्पित होता है और एकादशी भी भगवान विष्णु की कहलाती है। ऐसे में भगवान विष्णु का पूजन शुभ होता है।

इसी कड़ी में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं पद्मिनी एकादशी की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व के बारे में विस्तार से। 

पद्मिनी एकादशी 2023 कब है (Padmini Ekadashi 2023 Kab Hai)

  • अधिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि आरंभ: 28 जुलाई, दिन शुक्रवार, दोपहर 2 बजकर 51 मिनट 
  • अधिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि समापन: 29 जुलाई, दिन शनिवार (शनिवार के उपाय), दोपहर 1 बजकर 5 मिनट 
  • ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, अधिक मास की पद्मिनी एकादशी का व्रत 29 जुलाई को रखा जाएगा। 

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पद्मिनी एकादशी 2023 शुभ मुहूर्त (Padmini Ekadashi 2023 Shubh Muhurat) 

  • पद्मिनी एकादशी के दिन पूजा का मुहूर्त आरंभ: सुबह 7 बजकर 22 मिनट
  • पद्मिनी एकादशी के दिन पूजा का मुहूर्त समापन: सुबह 9 बजकर 4 मिनट 

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पद्मिनी एकादशी 2023 पूजा विधि (Padmini Ekadashi 2023 Puja Vidhi)

  • पद्मिनी एकादशी के इन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। 
  • घर के मंदिर में दीपक जलाएं और श्री हरि का ध्यान करें। 
  • भगवान विष्णु के समक्ष व्रत का संकल्प लें।
  • भगवान विष्णु का जलाभिषेक करें और उन्हें वस्त्र पहनाएं। 
  • भगवान विष्णु का श्रृंगार करें और उन्हें चंदन लगाएं।  
  • भगवान  विष्णु को पुष्प अर्पित करें और भोग लगाएं।
  • भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें और आरती गाएं। 
  • भगवान विष्णु की शाम को आरती उतारें।
  • द्वादशी के दिन एकादशी व्रत का पारण करें।   

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पद्मिनी एकादशी 2023 महत्व (Padmini Ekadashi 2023 Mahatva)

  • पद्मिनी एकादशी हर तीन साल के अंतराल में आती है।
  • ऐसा इसलिए क्योंकि यह एकादशी अधिक मास में पड़ती है।
  • अधिक मास में आने के कारण इस एकादशी का फल दोगुना मिलता है। 
  • पद्मिनी एकादशी व्रत करने से संतान, यश और वैकुंठ की प्राप्ति होती है।

 

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