
उत्पन्ना एकादशी मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है और इसे सभी एकादशियों का मूल या आरंभ माना जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु के अवतारों के महत्व को दर्शाता है और ऐसा माना जाता है कि जो भक्त इस दिन सच्ची श्रद्धा से उपवास रखता है उसे सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति के पिछले जन्मों के पाप भी धुल जाते हैं और वह जीवन में सुख-समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करता है, इसलिए इसे सनातन धर्म में एक बहुत ही पुण्यकारी तिथि माना जाता है। वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि अगर किसी भी व्यक्ति को एकादशी के व्रत का आरंभ करना हो तो उत्पन्ना एकादशी सबसे श्रेष्ठ है। ऐसे में आइये जानते हैं किस इस साल कब पड़ रही है उत्पन्ना एकादशी, क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व?
वैदिक पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि का आरंभ 14 नवंबर, शुक्रवार के दिन रात 12 बजकर 49 मिनट पर होगा। वहीं, इसका समापन 15 नवंबर, शनिवार के दिन रात 02 बजकर 37 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, उत्पन्ना एकादशी का व्रत 15 नवंबर को रखा जाएगा।
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उत्पन्ना एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 11:44 बजे से दोपहर 12:27 बजे तक रहेगा। वहीं, इस दिन दान के लिए याकिसी भी अन्य शुभ कार्य को करने के लिए शुभ मुहूर्त दोपहर 01:53 बजे से दोपहर 02:36 बजे तक मौजूद है।

वहीं, इसके अलावा उत्पन्ना एकादशी के दिन हस्त नक्षत्र और विष्कुंभ योग रहेगा। ये दोनों किसी भी संकल्प से जुड़े काम को करने के लिए अच्छे माने जाते हैं। हस्त नक्षत्र और विष्कुंभ योग में लिया गया संकल्प अवश्य पूरा होता है और शुभ परिणाम प्रदान करता है।
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उत्पन्ना एकादशी का महत्व सभी एकादशियों में सर्वोच्च माना जाता है क्योंकि इसी दिन एकादशी देवी का जन्म हुआ था जिन्होंने भगवान विष्णु के शरीर से प्रकट होकर मूर नामक राक्षस का वध किया था। यह घटना भगवान विष्णु की शक्ति 'एकादशी' को समर्पित है।
इसी कारण से इस व्रत का पालन इसी दिन से शुरू करने की परंपरा है। यह माना जाता है कि जो भक्त इस दिन पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से व्रत करते हैं उनके पिछले जन्मों के पाप भी धुल जाते हैं और उन्हें जीवन के अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है।

इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी प्रसन्न होते हैं जिससे घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है। इस व्रत को वर्ष भर की सभी एकादशियों के व्रत का प्रारंभ बिंदु माना जाता है। जो लोग पहली बार एकादशी का व्रत शुरू करना चाहते हैं उनके लिए यह दिन सबसे शुभ है।
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