Adhik Maas Kyu Keh Lata Hai Malmas: इस साल हिन्दू पंचांग के अनुसार, अधिक मास पड़ रहा है।
यानी कि एक हिन्दू माह ज्यादा। अधिक मास के कारण यह साल 12 नहीं कुल 13 महीनों का होने वाला है।
हिन्दू धर्म में अधिक मास को बहुत महत्वपूर्ण और पूजा-पाठ के लिए बहुत शुभ एवं पुण्यकर माना गया है।
अधिक मास को मलमास भी कहा जाता है। ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं इसका कारण।
क्या होता है अधिक मास? (What Is Adhik Maas)
- अधिकमास हर तीन साल के अंतराल में एक बार आता है।
- इसे न सिर्फ मलमास बल्कि पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं।
कब लगता है अधिक मास? (When Is Adhik Maas Applied)
- सूर्य के मीन राशि में प्रवेश करने पर मलमास लगता है।
- मीन राशि के स्वामी गुरु ग्रह (गुरु ग्रह को मजबूत करने के उपाय) हैं जो बुद्धि के कारक हैं।
- सभी राशियों में बारी-बारी जानें में सूर्य 365 दिन लेते हैं।
- चंद्रमा 354 दिन में राशियों में प्रवेश विधि पूर्ण करते हैं।
- सूर्य-चंद्र के समान समीकरण के लिए अधिक मास होता है।
- हिन्दू पंचांग के अनुसार, साल में 12 संक्रांतियां पड़ती हैं।
- जबकि अधिक मास में सूर्य संक्रांति बिलकुल नहीं होती है।
क्यों कहलाता है मलमास? (Why Adhik Maas Is Known As Malmas)
- अधिक मास को मलमास के नाम से भी जाना जाता है।
- मलमास कहने का कारण है इस माह का अशुभ होना।
- अधिक मास में शुभ काम करने की मनाही होती है।
- इस माह को अशुभ और अशुद्ध माह माना जाता है।
- अशुद्ध का अर्थ होता है गंदा। इसका संस्कृत अर्थ है मल।
- इसलिए अधिक मास का नाम मलमास पड़ा।
- इस माह में पूजा-पाठ ही शुभ और पुण्यकर माने गए हैं।
क्यों कहलाता है पुरुषोत्तम मास? (Why Adhik Maas Is Known As Purushottam Month)
- अधिक मास को पुरुषोत्तम माह भी कहते हैं।
- पुरुषोत्तम भगवान विष्णु (भगवान विष्णु के मंत्र) का ही एक नाम है।
- इसलिए इस माह के अधिपति श्री हरि हैं।
- इस माह में भगवान विष्णु की पूजा होती है।
- अधिक मास में श्री हरि की पूजा से कष्ट दूर होते हैं।
ये है अधिक मास पड़ने के पीछे का ज्योतिषीय गणित और साथ ही, मलमास कहलाने के पीछे का धार्मिक महत्व। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
Image Credit: shutterstock
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