Pati Patni Aur Woh: क्या रेप पर Joke बनाकर बाद में माफी मांग लेने से सब ठीक हो जाता है?

पति, पत्नी और वो फिल्म विवाद में अब कार्तिक आर्यन ने एक और बार माफी मांगी है। लेकिन क्या ये काफी है?

pati patni aur woh  trailer controversy

बचपन से मैं एक बात हमारी बॉलीवुड फिल्मों में देखती आ रही हूं, पति को देवता माना जाता है। पतिव्रता स्त्री अपने पति की हर हरकत को नजरअंदाज़ कर देती है। यही नहीं ऋषि कपूर और फराह की फिल्म 'नसीब अपना अपना' में तो बाकायदा गाना भी था, 'भला है, बुरा है, जैसा भी है... मेरा पति मेरा देवता है'। जहां ये सोच हमारे भारतीय समाज में बचपन से लड़कियों को सिखाई जाती है वहीं एक सवाल मेरे मन में हमेशा आता है। पति क्या कुछ भी करे वो जायज़ है? पति मारे पीटे तो प्यार, पति गाली दे तो ये उसका हक और अगर पति रेप करे तो?

कार्तिक आर्यन ने अपनी नई फिल्म 'पति, पत्नी और वो' के लिए उन्होंने माफी मांगी है। कार्तिक ने कहा है कि उनका या उनकी फिल्म का इरादा किसी को ठेस पहुंचाना नहीं था। कार्तिक आर्यन की फिल्म में मैरिटल रेप को इस तरह से बोला गया है कि मानो वो मज़ाक हो। यही नहीं जब इसपर विवाद हुआ तो इस डायलॉग को फिल्म से हटा दिया गया, लेकिन ट्रेलर में आप अभी भी ये सुन सकते हैं। अब यही सवाल सबसे बड़ा है, क्या रेप के मामले में जोक कर उसपर माफी मांग लेना ही काफी है? वो भी भारत जैसे देश में जहां रेप इतना भयानक सच बन चुका है कि महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल उठता है।

pati patni aur woh  rape issue

हमारे देश की उत्तम अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट ने भी मैरिटल रेप के मामले को गुनाह नहीं माना। ऐसे में हमे उम्मीद करनी चाहिए कि बॉलीवुड जो सबसे ज्यादा हमारे देश के लोगों पर असर डाल सकता है उसे तो थोड़ा तो संजीदा होना चाहिए इस मामले में, लेकिन हाल ही में 'पति, पत्नी और वो' फिल्म में कार्तिक आर्यन का जो डायलॉग आया था वो मैरिटल रेप को जस्टिफाई कर रहा था। मैरिटल रेप को लेकर मज़ाक करना सही नहीं हो सकता।

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रेप को लेकर बॉलीवुड की सोच कहां तक जायज़?

बॉलीवुड में रेप को लेकर सालों से फिल्में बनती आ रही हैं। फिल्में ऐसी जिसमें लड़की रेप के बाद ज़हर खा लेती है क्योंकि उसे लगता है कि अब वो किसी को मुंह दिखाने के काबिल नहीं रही। फिल्में ऐसी जिसमें लड़की को चुप रहना पड़ता है। फिल्में शाहिद कपूर की कबीर सिंह जैसी जहां एक लड़का सिर्फ अपनी इच्छा पूरी करने के लिए लड़की को सरे आम सेक्स के लिए पूछ सकता है और चाकू की नोक पर उसे कपड़े उतारने को कह सकता है।

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रेप को लेकर पुराने जमाने से ही फिल्मों में संजीदगी की कमी देखी गई है। विलेन प्रेम चोपड़ा, रंजीत, प्राण, राज बब्बर, शक्ति कपूर, गुलशन ग्रोवर यहां तक कि अनुपम खेर जैसे एक्टर भी ऐसी फिल्मों में काम कर चुके हैं जहां रेप को लेकर महिलाओं के शोषण और उनकी बेचारगी दिखाई गई है। जहां रेप को लेकर बॉलीवुड का ये हाल है तो फिर मैरिटल रेप के मामले में संजीदगी दिखाने की बात तो बॉलीवुड के बारे में सोची ही नहीं जा सकती।

मैरिटल रेप एक बहुत कड़वा सच-

बॉलीवुड की एक फिल्म थी 'जय संतोषी मां' बहुत ही हिट फिल्म थी और लोग उस फिल्म को देखने के लिए हाथ में पूजा की थाली लेकर जाते थे। लेकिन इस फिल्म में भी मैरिटल रेप का एक सीन दिखाया गया है। हालांकि, सीन में ये दिखाया है कि पति किसी बाहरी शक्ति के प्रभाव में पत्नी के साथ जबरदस्ती करता है, लेकिन वो सीन तो मैरिटल रेप का ही था। पत्नी रोते हुए ये बात अपनी सास को बताती है, लेकिन दोनों में से कोई भी उस आदमी से नहीं पूछते कि उसने जबरदस्ती क्यों की। चलिए ये तो 40 साल पहले बनी फिल्म है, लेकिन आज भी मैरिटल रेप को एक तरह का अपवाद ही माना जाता है।

kartik aryan on pati patni controversy

पति, पत्नी और वो फिल्म का उदाहरण बिलकुल सही है। साल 2019 जहां #Metoo जैसे मूवमेंट को भी 1 साल हो चुका है और भारत के हर हिस्से, हर फील्ड से ऐसे लोग निकले हैं जिनपर रेप, मॉलेस्टेशन, छेड़खानी के आरोप लगे हैं, लेकिन कुछ नहीं हुआ, वहां एक ऐसी फिल्म आती है जो मैरिटल रेप को पति का हक मानती है और अगर उसे ये न मिले तो पति को बेचारा बताती है।

बॉलीवुड में रेप सीन या तो साइड एक्ट्रेस का होता है जिसे लेकर एक्ट्रेस और मेन एक्टर लड़ाई करते हैं या फिर कई सालों से एक ऐसा सीन दिखाया जाता है जिसमें हिरोइन या फिर कोई साइड एक्ट्रेस परेशान हो रही होती है और वहां हीरो आकर उसे बचाता है। लेकिन अगर बात मैरिटल रेप की हो तो कौन बचाएगा हिरोइन को।

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बॉलीवुड में मैरिटल रेप और आदर्शवादिता का संगम-

मैरिटल रेप जो बाहर के देशों में क्राइम है वो भारत में शायद इंटेस लव मेकिंग कहा जाएगा। अमिताभ बच्चन, मनोज बाजपेई, नंदिता दास, रवीना टंडन की फिल्म आई थी Aks (अक्स)। इस फिल्म में अमिताभ बच्चन नंदिता दास के पति होते हैं और वो नंदिता दास का रेप करते हैं। हालांकि, इस सीन में भी ये दिखाया गया है कि अमिताभ आत्मा के साए में रहते हैं, लेकिन सुबह जब उन्हें होश आता है तो वो नंदिता की हालत देखते हैं। ये एकलौती ऐसी फिल्म थी जिसमें कुछ हद तक मैरिटल रेप की सच्चाई दिखाई गई थी।

पर 2019 में आने वाली फिल्म अभी भी इसे मज़ाक ही समझ रही है। मैं आपको बता दूं कि ये बिलकुल मज़ाक नहीं है और इसे पति का हक कहना बहुत बड़ी गलती होगी। अगर महिला अपना शरीर नहीं सौंपना चाहती तो वो ना कहने का अधिकार रखती है। इस मामले में बहुत सारे एक्टर्स खुलकर बोल चुके हैं, लेकिन जब बॉलीवुड में फिल्मों की बात आए तो यहां सिर्फ एक ही फिल्म ऐसी है जो मैरिटल रेप के मुद्दे पर बनी है, जहां मैरिटल रेप और पति के देवता मानने की सोच नहीं बल्कि शैतान पति को सज़ा देने की बात सामने आई है। वो है रवीना टंडन की फिल्म 'दमन' जहां अंत में रवीना अपने पति को मार डालती है। ये फिल्म थी जिसने इतना बड़ा मुद्दा उठाया था।

पर इस बारे में वैसी डिबेट जो आज कबीर सिंह जैसी फिल्म के लिए हो रही है वो कभी नहीं हुई। फिर अब तो इसे जोक के रूप में पेश किया गया। 'पति, पत्नी और वो' आखिर विरोध के बाद उस डायलॉग को हटाया गया जिसमें मैरिटल रेप का जिक्र था। क्या एक्टर, डायरेक्टर, प्रोड्यूसर या फिल्म यूनिट में से किसी को भी ये नहीं लगा कि इस डायलॉग को आखिर फिल्म में लिया ही क्यों जा रहा है? ये बात चुभने वाली है कि इस फिल्म में काम कर रही एक्ट्रेस को भी ये गलत नहीं लगा। भले ही कोई इसे मज़ाक समझ रहा हो, लेकिन माफ कीजिए मैरिटल रेप कोई जोक नहीं है।

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