पिछले काफी समय से लॉकडाउन लगा हुआ था। दुनिया भर के स्कूलों को कोरोना के कारण बंद करना पड़ा। अब भी कई जगहों पर बच्चों के स्कूल पूरी तरह से नहीं खोले गए हैं। कहीं ना कहीं इनका असर स्कूली बच्चों पर बहुत ज्यादा पड़ा है। वो स्कूली जीवन से कहीं दूर होते चले जाते जा रहे हैं। फोन की स्क्रीन उन्हें शिक्षा तो दे रही है, मगर इस महौल ने उनका बचपना पूरी तरह से बदल दिया है। जब सब कुछ पूरी तरह से नॉर्मल था तब बच्चे एक दूसरे के साथ खेला करते थे, कोई दूरी कोई बंधन नहीं था। कुछ बच्चे तो स्कूल में खेलने के लिए समय से पहले चले जाया करते थे, जिससे वो ज्यादा देर तक खेल लें। स्कूल से दूर हो जाने के बाद भी आज हम इसी दौर को याद करते हैं, आइए एक नजर डालें बचपन के उन यादगार गेम्स की तरफ।
खो खो-
यह एक भारतीय मैदानी खेल है, जिसे स्कूल के दिनों में बच्चे खूब खेल करते थे। यह एक टीम गेम होता है, जिस कारण इस खेल में कई लोगों की जरूरत पड़ती है। इस गेम का क्रेज इतना ज्यादा हुआ करता था कि स्कूल इसके कॉम्पिटिशन कराया करते थे। खेल में 2 टीमें होती थीं, जिसमें हर टीम में 12 खिलाड़ी होते हैं। महर मात्र 9 खिलाड़ी ही मैदान पर खेल सकते हैं।
फ्लेमस-
आज भी स्कूल की बेंच पर मजाक-मजाक में खेला हुआ यह खेल कुरेदा मिलता है। शायद आपने भी अपनी क्रश के लिए भी ये गेम अपनी कॉपी या आखिरी बेंच पर जरूर खेला होगा। इस खेल में 6 शब्द होते हैं, F का मतलब फ्रेंड्स, L का मतलब लव, A का मतलब अफेयर, M का मतलब मैरेज, E का मतलब दुश्मन और S का मतलब सिस्टर होता है। अगर भूल से भी किसी के क्रश और उसका मैच लव या मैरिज का बन जाता थो बच्चे खुश हो जाते थे।
फुटबॉल-
हालांकि की गेम्स पीरियड हफ्ते में एक बार हुआ करता था। मगर स्कूली बच्चे इस दिन का बेसब्री से इंतजार करते थे, जिसमें हम हर मैदानी खेल खेलना पसंद करते थे। हालांकि यह गेम और उसके रूल्स तब हममें से बहुत कम लोग ही जाना करते थे। तब हमारा उद्धेश्य इस खेल को बस एंजॉय करना होता था।
कंचे
स्कूल में कच्चे ले जाने के लिए कई बार शायद आपने डाट भी खाई होगी। कांच के बने खूबसूरत कंचे स्कूली बच्चों के खेलने का सबसे बेहतर सामान हुआ करते थे। आज के बच्चे शायद ही इस खेल को खेलना जानते होंगे। कई बच्चे तो इन्हें इकट्ठा करने का शौक भी रखा करते थे, जिसके पास जितने ज्यादा कंचे हो वह कच्चे दिखा-दिखाकर सबके सामने इतराता था।
इसे भी पढ़ें-घर पर रखी चीजों से तैयार करें अपने लिए खूबसूरत विंड चाइम
लगोरी-
बच्चे आसपास के सामानों से भी नए खेल का निजात कर लेते थे। लगोरी या पिट्ठू भी इन खेलों में से एक था। कई फ्लैट पत्थरों को एक दूसरे के ऊपर रखा जाता था और फिर खिलाड़ी को उसपर निशाना लगाना होता था। यह खेल यहीं खत्म नहीं होता था इसके बाद खिलाड़ी को ये सारी पत्थरों को दोबारा से जोड़ना होता था। ये गेम आपने यकीनन कभी न कभी खेला होगा।
इसे भी पढें- इन आसान तरीकों से कार पर लगे डेंट को हेयर ड्रायर की मदद से हटाएं
पेन फाइट-
स्कूल की बेंच पर बच्चे पेन फाइट खेला करते थे। आपको याद होगा यह खेल पेन की मदद से खेला जाता था, जो दूसरों की पेन को गिराकर आखिर तक गेम में रहता था वो यह खेल जीत जाता था।
स्टेपो-
इस गेम को चॉक की मदद से तैयार किया जाता था। सड़क या जमीन के किसी हिस्से पर 7 ब्लॉक्स बनाए जाते थे। फ्लैट पत्थर का टुकड़ा फेंक कर यह खेल खेला जाता था, सिर्फ हम ही नहीं हमसे पहले की पीढ़ी भी इस खेल को खेला करती थी।
इसके अलावा भी स्कूल में कई खेल हुआ करते थे जो हमें आज तक याद आते हैं। इनमें लुका छुपी, सिकड़ी, लूड़ो जैसे कई और गेम भी शामिल थे। तो यह था हमारा आज का आर्टिकल, आपको हमारा आर्टिकल अगर पसंद आया हो तो इसे लाइक और शेयर करें साथ ही ऐसी यादगार चीजों के बारे में जानने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।
Recommended Video
image credit- wordpress.com, scrolldown.com and other googlesearches
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों