16 दिसंबर 2012 को निर्भया के साथ हुई बर्बरता ने देश को शर्मसार कर दिया था। गैंगरेप से मिले गहरे जख्मों की शिकार होकर निर्भया ने कुछ ही दिनों में दम तोड़ दिया था। इस मामले पर देशभर में रोष जताया गया था। जगह-जगह धरना प्रदर्शन और आंदोलन हुए थे। महिलाओं की सुरक्षा को पुख्ता बनाने के लिए निर्भया फंड का भी गठन किया गया। लेकिन देश में जमीनी हालात में सुधार नहीं हुआ। निर्भया के सात साल बाद भी देश में बच्चियों और महिलाओं के साथ गैंगरेप और हिंसा के मामले सामने आ रहे हैं। हाल ही में हैदराबाद में वेटरनरी डॉक्टर के साथ गैंगरेप और उन्हें जिंदा जला दिए जाने की घटना में एक बार फिर पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। वहीं कुछ ही दिन बाद उन्नाव की रेप पीड़िता के जमानत पर छूटे दोषियों ने उन्हें आग के हवाले कर दिया। 90 फीसदी जल जाने के बाद आखिरकार उन्नाव रेप पीड़िता ने भी दम तोड़ दिया था।
दोषपूर्ण व्यवस्था की वजह से महिलाओं के खिलाफ होती है हिंसा
देशभर में हो रही ऐसी घटनाएं इस बात की तरफ इशारा करती हैं कि देश की कानून-व्यस्था की स्थिति बदहाल है और महिलाओं की सेफ्टी सुनिश्चित करने के लिए अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। अपनी होनहार बेटी को खो देने के बाद निर्भया के पेरेंट्स आज भी इंसाफ की लड़ाई लड़ रहे हैं। अब जबकि इस मामले में कार्रवाई पूरी होने के कयास लगाए जा रहे हैं, निर्भया के माता-पिता ने दैनिक जागरण के साथ क्राइम अगेंस्ट वुमन पर खास बातचीत की।
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निर्भया की मां का कहना है, 'बाहर महिलाओं के साथ जो अपराध हो रही हैं, उनका जिम्मेदार भी प्रशासन है और न्यायालय में जो लंबी कानूनी प्रक्रियाएं चलती हैं, उसका जिम्मेदार भी प्रशासन है। निर्भया के पिता का कहना है, 'प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी ने नारा दिया, 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ। प्रधानमंत्री जी, बेटियों को बचाने का समय अब आ गया है।'
निर्भया की मां ने भावुक होते हुए कहा कि अगर घायल अवस्था में भी ऑटो ड्राइवर ने निर्भया को अस्पताल में भर्ती करा दिया होता तो शायद आज वो जिंदा होती।
अक्षय कुमार सिंह की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का आना है फैसला
निर्भया मामले में हुई कार्रवाई की बात करें तो उसके चार दोषियों मुकेश, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय कुमार सिंह को साल 2013 में फांसी की सजा सुनाई गई थी, लेकिन अभी तक इन्हें फांसी दी नहीं गई है। मौजूदा प्रावधान के अनुसार दोषियों को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दायर करने का अधिकार होता है। इसी के तहत अक्षय कुमार सिंह ने याचिका दाखिल की थी, जिसका फैसला आगामी 17 दिसंबर को किया जाएगा।
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फांसी की सजा देने की तैयारियां शुरू
इससे एक हफ्ते पहले ही निर्भया मामले के आरोपी विनय शर्मा ने दया याचिका दायर की थी, जिसे दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार ने खारिज कर दिया था। इन चारों आरोपियों के लिए सभी कानूनी रास्ते बंद होने के बाद इन्हें दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी दी जाएगी, जहां इसकी तैयारियां शुरू हो चुकी हैं।
रेपिस्ट्स की दरिंदगी की शिकार हुई थी निर्भया
साल 2012 में अक्षय सिंह और पांच अन्य ने मिलकर 23 साल की निर्भया के साथ गैंगरेप किया था, जो पैरामेडिक स्टूडेंट थी। जब निर्भया ने आरोपियों के सामने झुकने से इनकार किया तो उन्होंने उसे रॉड से घायल कर दिया। निर्भया के दोस्त को भी बुरी तरह पीटा गया और दोनों को चलती बस से फेंक दिया गया। निर्वस्त्र और लहूलुहान निर्भया ने महज 13 दिनों में ही दम तोड़ दिया था।
इस मामले में दोषियों को फांसी होने पर निश्चित रूप से अपराधियों के मन में डर पैदा होगा और महिलाओं की न्याय व्यवस्था में आस जगेगी। लेकिन कानून-व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए सरकार की तरफ से अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।
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