
साल 2021 में ऐसा कहा जा रहा था कि सरकार जल्द ही नए लेबर कोड लागू करने वाली है। लेकिन कुछ कारणों से इसे तब पोस्टपोन कर दिया गया था। अब कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, न्यू वेज कोड (New Wage Code) 1 जुलाई 2022 से लागू होने की संभावना है। अगर यह लागू होता है, तो इसके बाद कई चीजों में बदलाव देखे जा सकते हैं।
नौकरीपेशा लोगों की जेब पर भी इसका बड़ा असर पड़ने वाला है। हालांकि सरकार ने अभी तक इसकी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है। चलिए आज आपको इसके बारे में और इससे होने वाले बड़े बदलावों के बारे में बताते हैं।
केंद्र सरकार ने कुल 29 श्रम कानूनों को मिलाकर 4 नए कोड बनाए हैं। 4 नए कोड में इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड, कोड ऑन ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस कोड और न्यू वेज कोड शामिल हैं। मौजूदा श्रम कानूनों में कई संशोधन किए गए हैं। इस संशोधन को संबोधित करने वाले नए वेतन कोड का उद्देश्य कर्मचारियों के वेतन में 50% वेतन को सीधे शामिल करना है। इस नए वेतन संहिता अधिनियम 2021 द्वारा शुरू किए गए नियमों के अनुसार, कर्मचारी का मूल वेतन CTC के 50% से कम नहीं हो सकता है।
एक कर्मचारी के सीटीसी में कम से कम 4 प्राथमिक कॉम्पोनेंट्स शामिल होते हैं जैसे हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए), मूल वेतन, पीएफ जैसे सेवानिवृत्ति लाभ, राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली और मिसलेनियस टैक्स-फ्रेंडली अलाउंस।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब तक 23 राज्यों ने इन कानूनों पर ड्राफ्ट रूल प्री-पब्लिश किया है, जबकि केंद्र ने फरवरी 2021 में इन संहिताओं पर ड्राफ्ट रूल्स को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया पूरी कर ली है। केंद्र सरकार चाहती है कि राज्य अन्य श्रम संहिताओं के साथ-साथ नए वेतन कोड को लागू करें- क्योंकि श्रम एक कन्करेंट फैक्टर है। इसलिए प्राइवेट कर्मचारियों के वेतन ढांचे में 2022 में बड़े बदलाव और संशोधन देखने को मिलेंगे।
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न्यू वेज कोड एक्ट के मद्देनजर काम करने के घंटे बढ़ जाएंगे। इसके साथ पीएफ में इजाफा होगा, लेकिन इन-हैंड सैलरी कम हो जाएगी। ग्रैजुएटी रूल में एक बड़ा बदलाव आएगा और इसके अतिरिक्त अर्न लीव्स में भी कुछ बदलाव होंगे।
नया वेज कोड आने से कर्मचारियों के काम के घंटे प्रभावित होंगे। कुछ मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, कर्मचारियों को चार दिन काम करने के साथ, 3 दिन वीक ऑफ और चार दिनों में 12 घंटे काम करना होगा। साथ ही अगर आप अपनी शिफ्ट के समय से ज्यादा काम करते हैं, तो उस अतिरिक्त समय को ओवर टाइम में भी गिना जा सकता है (टाइम मैनेज करने के तरीके)।

इस नए वेज कोड एक्ट अनुसार,किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी कंपनी की लागत (Cost To Company-CTC) के 50 प्रतिशत से कम नहीं हो सकती है। इससे ऐसा होगा कि यह नया कोड लागू होने के बाद कर्मचारियों की सैलरी घट जाएगी। लीव ट्रैवल, ओवर टाइम, ट्रैवल अलाउंस जैसे भत्ते सीटीसी के शेष प्रतिशत तक सीमित रहेंगे (सैलरी बढ़ाने के लिए ऐसे करें बॉस से बात)।
अर्न लीव के मामलों में सबसे बड़ा बदलाव देखा जा सकता है। सरकारी विभागों में अब 1 साल में 30 छुट्टियां और रक्षा कर्मचारियों को 1 साल में 60 छुट्टियां मिलेंगी। कर्मचारी लगभग 300 हॉलिडेज को कैरी फॉर्वर्ड में कैश कर सकते हैं, लेकिन श्रमिक संघ नए कोड में छुट्टियों की संख्या 450 तक बढ़ाने की मांग कर रहा है। वर्तमान में विभिन्न विभागों में 240 से 300 अवकाश हैं। कर्मचारी 20 साल की सेवा के बाद ही ये छुट्टियां नकद में ले सकते हैं।
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कर्मचारी के ग्रेच्युटी और पीएफ कंट्रीब्यूशन में वृद्धि होगी। इसलिए, जहां कर्मचारियों का टेक होम वेतन कम किया जा सकता है, वहीं ग्रेच्युटी और पीएफ कॉम्पोनेंट्स बढ़ सकते हैं। अधिनियम के अनुसार, कर्मचारी एक ही कंपनी में 5 साल तक लगातार काम करे तो उसे ग्रेच्युटी मिलती है। मगर नए एक्ट के अनुसार, कर्मचारी केवल एक वर्ष के लिए किसी कंपनी में काम करने पर भी ग्रेच्युटी प्राप्त करने के हकदार होंगे (EPFO ब्याज दर)।
अब देखना होगा कि क्या वाकई 1 जुलाई से यह नया कोड लागू होगा या नहीं। इस न्यू वेज कोड को लेकर लोगों के मन में नए-नए सवाल हैं। आपका इस बारे में क्या ख्याल है, हमें जरूर बताएं।
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